महाराष्ट्र के कई MIDC (महाराष्ट्र औद्योगिक विकास निगम-Maharashtra Industrial Development Corporation) में से एक है पातालगंगा। महाराष्ट्र की राजधानी और देश की आर्थिक राजधानी मुंबई से सटे रायगढ़ जिले के खालापुर तालुका के मोहापाडा गांव में स्थित है पातालगंगा। यह पनवेल, कर्जत, रसायनी रेलवे स्टेशनों और मुंबई पुणे एक्सप्रेसवे के करीब है। अलीबाग, पेन भी इसके नजदीक में ही है।
थोड़ी जानकारी आपको एमआईडीसी के बारे में दे देता हूं। महाराष्ट्र में मुंबई के अंधेरी, बोईसर, पातालगंगा समेत कई शहरों में एमआईडीसी मौजूद है। राज्य में उद्योग धंधों को बढ़ावा देने के इरादे से एमआईडीसी का गठन किया गया है। यह महाराष्ट्र सरकार की एक परियोजना है। यहां जमीन, सड़क, पानी की आपूर्ति, जल निकासी सुविधा और स्ट्रीट लाइट जैसी बुनियादी सुविधाओं के साथ-साथ आसान शर्तों के साथ व्यापार करने की अनुमति प्रदान की जाती है। पातालगंगा में सिप्ला, जय प्रीसिजन, एलएंडटी, अल्काइल समेत कई कंपनियों की यूनिट है।
मार्केट रेगुलेटर सेबी की ट्रेनिंग इन्स्टीट्यूट NISM (National Institute of Securities Markets-राष्ट्रीय प्रतिभूति बाजार संस्थान) भी पातालगंगा में ही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस संस्थान का उद्घाटन किया था। इसमें विश्वस्तरीय सुविधाएं प्रदान की गई है। इसी संस्थान के नजदीक में ही यहां पढ़ाने वाले अध्यापकों के लिए हॉस्टल भी है। इसी होस्टल में मेरे भी एक मित्र रहते हैं डॉक्टर राजेश कुमार, जो कि सेबी कानून पढ़ाते हैं। आईआईएम, आईआईटी समेत कई नामी-गिरामी इंस्टीट्यूट्स में भी मेरे मित्र को पढ़ाने के लिए बुलाया जाता है। यही नहीं दूसरे देशों के भी कैपिटल मार्केट्स की ट्रेनिंग लेने वालों को मेरे मित्र पढ़ाते हैं। मेरे मित्र को कैपिटल मार्केट की ट्रेनिंग देने के लिए विदेश भी भेजा जाता है। उन्हीं से मिलने जब मैं पातालगंगा गया, तो वहां से पातालगंगा के बारे में तस्वीर और वीडियो समेत कई जानकारियां जुटाकर साथ लाया हूं। मेरी आदत है मैं कहीं भी नई जगह जाता हूं तो कोशिश करता हूं कि वहां से जुड़े वीडियो, तस्वीर, जानकारी आप सबों तक साझा करूं।
वैसे तो हमारे देश में पहले से ही सैर सपाटे, पर्यटन को काफी महत्व दिया जाता रहा है। प्राचीन गुरुओं (ब्राह्मणों, ऋषि - तपस्वियों) का कहना है कि "बिना पर्यटन मानव अन्धकार प्रेमी होकर रह जायेगा।" पाश्चात्य विद्वान् संत आगस्टिन ने तो यहाँ तक कह दिया कि "बिना विश्व दर्शन ज्ञान ही अधुरा है।" पंचतंत्र नामक भारतीय साहित्य दर्शन में कहा गया है "विधाक्तिम शिल्पं तावन्नाप्यनोती मानवः सम्यक यावद ब्रजति न भुमो देशा - देशांतर:।" हालांकि, हमारे समाज का एक बड़ा तबका सैर-सपाटे से वंचित रह जाता है।
वापस पातालगंगा पर लौटते हैं। दरअसल, पातालगंगा का नाम वहां बहने वाला पातालगंगा नदी के नाम पर पड़ा है। यह नदी कुदरती खूबसूरती समेटे मुंबई के नजदीक स्थित मशहुर हिल स्टेशन माथेरान के पश्चिमी ढलान से निकलती है और खोपोली के पास नदी में मिलती है और आगे बढ़ते हुए धरमतार क्रिक से मिलती है। पातालगंगा नदी के तट पर तुराडे, कलिवली, आप्टा, दुशमी, खारपाड़ा, रेव समेत कई गांव बसे हैं।
पातालगंगा नदी का जिक्र महाभारत, पुराण, वैदिक ग्रंथों में भी मिलता है। कहा जाता है कि महाभारत काल में जब भीष्म पितामह मृत्युशैया पर लेटे हुए थे, तो अर्जुन ने तीर मारकर भूजल को बाहर निकाला था और इसी के परिणामस्वरूप पातालगंगा नदी अस्तित्व में आई। अर्जुन ने जब तीर मारा तो जमीन में छेद बन गया,जिससे जल की धारा फुट पड़ी।
पुराणों के अनुसार, गंगा नदी की तीन सहायक नदियां हैं। उनमें से एक पाताल गंगा (भगवती) है जबकि बाकी दो - स्वर्गा गंगा (मंदाकिनी) और भू गंगा (भागीरथी) है। समुद्र में प्रवेश करने से पहले, गंगा कई सहायक नदियों में विभाजित हो जाती है और फिर बंगाल की खाड़ी में विलीन हो जाती है।
पातालगंगा नदी का उल्लेख प्राचीन वैदिक ग्रंथों में किया गया है और तुराडे-कराडे क्षेत्र में मंदिरों और इसके किनारों को पवित्र माना जाता है और नदी में एक डुबकी को कम से कम उल्लेख करने के लिए आध्यात्मिक रूप से फायदेमंद माना जाता है। भवानीपटना पातालगंगा के करीब है।
पातालगंगा सहयाद्रि पर्वतशृंखला से घिरा हुआ है। ऐतिहासिक जंजीरा-मुरुण्ड और रायगढ़ का किला इसी के नजदीक है। पातालगंगा नदी पर मोरबा डैम है जहां से मुंबई और आसपास के इलाकों में पानी सप्लाई किया जाता है। इसी नदी पर टाटा पॉवर का भी प्लांट है।
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