गुरुवार, 31 मई 2018

देश में साहसिक पर्यटन (Adventure Tourism ) पर पहला दिशा-निर्देश जारी

पर्यटन मंत्री ने साहसिक पर्यटन पर सरकार का अब तक का पहला दिशा-निर्देश जारी किया 

साहसिक पर्यटन के 15 भूमि आधारित, 7 वायु आधारित और 7 जल आधारित गतिविधियों के लिए दिशा-निर्देश जारी किए गए
Launch of the Indian Adventure Tourism Guidelines by the Minister Of Tourism
Notably 2018 is declared as The Year Of Adventure Travel in India.
 पर्यटन राज्‍य मंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार) श्री के.जे. अल्‍फोंस ने नई दिल्‍ली में आज साहसिक पर्यटन पर भारत सरकार के दिशा-निर्देश जारी किए। साहसिक खेलों को सुरक्षित बनाने की कोशिश के तहत भारत में साहसिक पर्यटन के लिए सुरक्षा और गुणवत्‍ता मानकों वाला जारी यह दिशा-निर्देश एडवेंचरटूर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इण्डिया (एटीओएआई) के सहयोग से बनाए गए।
     पर्यटन मंत्री ने दिशा-निर्देश जारी करते हुए कहा कि भारत में हिमालय से लेकर समुद्र तटों तक साहसिक पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। श्री अल्‍फोंस ने कहा कि ये दिशा-निर्देश भारत में साहसिक पर्यटन को बढ़ावा देने की एक शुरूआत है और उन्‍होंने इसके विकास में शामिल सभी हितधारकों को पूरा सहयोग देने की बात कही, ताकि इस क्षेत्र की संभावनाओं का दोहन किया जा सके। श्री अल्‍फोंस ने यह भी कहा कि इसके लिए वैश्विक स्‍तर की सुविधाएं विकसित की जाएंगी और कुशल सहयोगी कर्मचारी भी तैयार किया जाएंगे।
    इस अवसर पर पर्यटन सचिव श्रीमती रशिम वर्मा ने बताया कि राज्‍य सरकारों, पर्यटन संचालकों जैसे हितधारकों की सलाह से दिशा-निर्देश तैयार किए गए हैं और अब इन्‍हें अपनाने की जरूरत है, ताकि भारत को अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर का प्रशंसित साहसिक पर्यटन स्‍थल बनाया जा सके।
   एटीओएआई के अध्‍यक्ष श्री स्‍वदेश कुमार ने दिशा-निर्देश लाने के लिए मंत्रालय और अन्‍य हितधारकों को धन्‍यवाद दिया और बताया कि उनका संघ आयोजित क्षेत्र में सभी हितधारकों को शामिल करने में रूचि लेगा।
   इस पहल का उद्देश्‍य साहसिक टून ऑपरेटरों को इन सुरक्षित दिशा-निर्देशों को बेहतर तरीके से लागू करने में उनकी रूचि को बढ़ाना है। इन दिशा-निर्देशों के तहत भूमि, वायु और जल आधारित गतिविधियां- पर्वतारोहण, ट्रेकिंग, बंजी जंपिंग, पैराग्लाइडिंग, कयाकिंग, स्‍कूबा डाइविंग, स्नॉर्कलिंग, रिवर राफ्टिंग इत्‍यादि शामिल  हैं। यह दिशा-निर्देश 15 भूमि आधारित, 7 वायु आधारित और 7 जल आधारित गतिविधियों के लिए बनाए गए हैं, जिसमें भारत में उपलब्‍घ सभी साहसिक पर्यटन शामिल हैं।


(Source:pib.nic.in)
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(Trimbkeshwar Temple, Nashik, Maharashtra त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर...
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((महाबलेश्वर: एलिफैंट हेड नीडल होल पॉइंट; Mahabaleshwar: Elephant Head Nee...
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((महाबलेश्वर: आर्थर प्वाइंट की कहानी Mahabaleshwar: Arthar Point ki kahani
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((महाबलेश्वर-एलिफैंट हेड पॉइंट की खासियत ; Mahabaleshwar-Elephant Head Point
((महाराष्ट्र को मानो: कभी कलंब बिच तो आइये (Kalamb Beach, Nalasopaara)
((कभी बारिश में तुंगारेश्वर घूमने का मौका मिले, तो जरूर जाएं 
((महाराष्ट्र के दहाणू महालक्ष्मी मंदिर: शीतल पवन और हर ओर हरियाली के बीच भक्ति का आनंद 



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बुधवार, 23 मई 2018

अप्रैल में पर्यटन से विदेशी मुद्रा कमाई 10% बढ़ी -सरकार

अप्रैल 2018 में विदेशी मुद्रा आय में अप्रैल 2017 के मुकाबले 10.2% की वृद्धि दर्ज की गई 
भारतीय रिजर्व बैंक के भुगतान संतुलन के यात्रा मद के क्रेडिट डाटा के आधार पर पर्यटन मंत्रालय भारत में पर्यटन के माध्यम से रुपये और डॉलर के रूप में मासिक विदेशी मुद्रा अर्जन (एफईई) का अनुमान लगाता है।
अप्रैल 2018 के लिए भारत में पर्यटन से विदेशी मुद्रा अर्जन के अनुमानों की मुख्य विशेषताएं नीचे दी गई हैं:
पर्यटन से विदेशी मुद्रा अर्जन (रुपये में)

·        अप्रैल 2017 के 14,260 करोड़ रुपये की तुलना में अप्रैल 2018 के दौरान विदेशी मुद्रा अर्जन 15,713 करोड़ रुपये हुई।
·        अप्रैल 2017 की तुलना में अप्रैल 2018 में विदेशी मुद्रा अर्जन की वृद्धि दर 10.2% फीसदी रही।
·        जनवरी-अप्रैल 2018 के दौरान विदेशी मुद्रा अर्जन जनवरी-अप्रैल 2017 की तुलना में 14.2% वृद्धि के साथ जनवरी-अप्रैल 2017 के 60,079 करोड़ रुपये के मुकाबले 14.2वृद्धि के साथ 68,629 करोड़ रुपये रही।
पर्यटन से विदेशी मुद्रा अर्जन (डॉलर में)

·        अप्रैल 2017 के 2.211 अरब अमेरिकी डॉलर की तुलना में अप्रैल 2018 के दौरान विदेशी मुद्रा अर्जन 2.393 अरब डॉलर रही।
·        अप्रैल 2017 की तुलना में अप्रैल 2018 में विदेशी मुद्रा अर्जन की वृद्धि दर 8.2% फीसदी रही।
·        जनवरी-अप्रैल 2018 के दौरान विदेशी मुद्रा अर्जन जनवरी-अप्रैल 2017 के 9.044 अरब अमेरिकी डॉलर की तुलना में 17.4% वृद्धि के साथ 10.621 अरब अमेरिकी डॉलर रहा। जनवरी-अप्रैल 2017 में जनवरी-अप्रैल 2016 के मुकाबले 17.5% की वृद्धि रही।

(Source:pib.nic.in)

(महाबलेश्वर; तीरथ करना हो या नैसर्गिक खूबसूरती का लुत्फ उठाना या फिर इतिहास में झांकना...यहां जरूर आइए

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मंगलवार, 22 मई 2018

अप्रैल में विदेशी सैलानियों का आगमन सालाना 4.4% बढ़ा

अप्रैल 2018 में 7 लाख से अधिक विदेशी पर्यटकों का आगमन, अप्रैल 2017 की तुलना में विदेशी पर्यटकों की संख्या में 4.4% की वृद्धि दर्ज 

अप्रैल 2017 की तुलना में अप्रैल 2018 में ई-टूरिस्ट वीजा पर विदेशी पर्यटकों के आगमन में 37.2% की बढ़ोतरी
पर्यटन मंत्रालय आप्रवासन ब्यूरो से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर विदेशी पर्यटकों के आगमन (एफटीए) और ई-टूरिस्ट वीजा पर आने वाले विदेशी पर्यटकों का मासिक आंकड़ा तैयार करता है। अप्रैल, 2018 के दौरान विदेशी पर्यटकों के आगमन (एफटीए) और ई-टूरिस्ट वीजा पर आने वाले विदेशी पर्यटकों के बारे में निम्नलिखित मुख्य अंश हैं।

विदेशी पर्यटकों के आगमन (एफटीए):
  • अप्रैल, 2017 में 7,17,899 की तुलना में अप्रैल, 2018 में 4.4% की वृद्धि दर्ज करते हुए 7,49,477 विदेशी पर्यटक आए।

  • जनवरी-अप्रैल, 2017 में 34,98,969 की तुलना में जनवरी-अप्रैल 2018 में 10.8% की वृद्धि दर्ज करते हुए 38,76,021 विदेशी पर्यटक आए।

  • अप्रैल, 2018 के दौरान भारत में विदेशी पर्यटकों के आगमन की प्रतिशत हिस्सेदारी शीर्ष 15 स्रोत देशों बांग्लादेश (24.32%), अमेरिका (11.21%), ब्रिटेन (9.14%), श्रीलंका (3.48%), ऑस्ट्रेलिया (3.33%), मलेशिया (3.06%), चीन (2.62%), कनाडा (2.53%), जर्मनी (2.48%), फ्रांस (2.33%), जापान (2.22%) रूसी महासंघ (2.07%), थाईलैंड (1.70%), अफगानिस्तान (1.65%) और नेपाल (1.64%) में सर्वोच्च रही।

  • अप्रैल, 2018 के दौरान भारत में विदेशी पर्यटकों के आगमन की प्रतिशत हिस्सेदारी 15 शीर्ष बंदरगाहों में सर्वोच्च रही। इनमें सबसे अधिक दिल्ली हवाई अड्डा (28.75%), उसके बाद मुंबई हवाई अड्डा (14.46%), हरिदासपुर लैंड चेक पोस्ट (11.40%), चेन्नई हवाई अड्डा (7.44%), बेंगलुरू हवाई अड्डा (5.81%), कोलकाता हवाई अड्डा (5.58%), कोचीन हवाई अड्डा (4.21%), हैदराबाद हवाई अड्डा (2.64%), गेडे रेल लैंड चेक पोस्ट (2.63%), गोवा हवाई अड्डा (2.30%), गोजडंगा लैंड चेक पोस्ट (1.63%), अहमदाबाद हवाई अड्डा (1.28%), त्रिवेन्द्रम हवाई अड्डा (1.21%), अमृतसर हवाई अड्डा (1.06%) और चितपुर रेलवे स्टेशन (0.99%) की हिस्सेदारी रही है।

ई-टूरिस्ट वीजा पर आने वाले विदेशी पर्यटक:
  • ई-टूरिस्ट वीजा पर अप्रैल, 2017 के दौरान 1,14,469 की तुलना में अप्रैल, 2018 के दौरान 37.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करते हुए 1,57,094 विदेशी पर्यटक आए।

  • ई-टूरिस्ट वीजा पर जनवरी-अप्रैल 2017 के दौरान 5,81,783 की तुलना में जनवरी-अप्रैल 2018 में 57.9 फीसदी की वृद्धि दर्ज करते हुए 9,18,792 विदेशी पर्यटक आए।

  • अप्रैल 2018 के दौरान ई-टूरिस्ट वीजा सुविधा का लाभ ले रहे 15 स्रोत देशों में विदेशी पर्यटकों के आगमन की सबसे अधिक प्रतिशत हिस्सेदारी ब्रिटेन (16.3%) की दर्ज की गई। इसके बाद अमेरिका (11.0%), चीन (5.8%), ऑस्ट्रेलिया (5.5%), फ्रांस (5.3%), थाइलैंड (4.3%), जर्मनी (4.0%), कनाडा (3.5%), ओमान (3.2%), रूसी महासंघ (3.0%), मलेशिया (2.2%), इटली (2.1%), दक्षिण अफ्रीका (1.8%), स्पेन (1.8%) और कोरिया गणराज्य (1.7%) का स्थान रहा।

  • अप्रैल 2018 के दौरान ई-टूरिस्ट वीजा पर पर्यटक आगमन में 15 शीर्ष बंदरगाहों की प्रतिशत हिस्सेदारी सबसे अधिक नई दिल्ली हवाई अड्डे से (46.2%) रही। इसके बाद मुंबई हवाई अड्डा (17.4%), बेंगलुरू हवाई अड्डा (6.8%), चेन्नई हवाई अड्डा (6.1%), दाबोलिम (गोवा) हवाई अड्डा (4.5%), कोच्चि सीपोर्ट (4.4%), कोच्चि हवाईअड्डा (3.4%), हैदराबाद हवाई अड्डा (2.5%), कोलकाता हवाई अड्डा (2.4%), अमृतसर हवाई अड्डा (1.3%), त्रिवेन्द्रम हवाई अड्डा (1.1%), जयपुर हवाई अड्डा (1.0%), अहमदाबाद हवाई अड्डा (1.0%), त्रिचि हवाई अड्डा (0.5%) और कालीकट हवाई अड्डा (0.4%) का स्थान रहा।

(Source:pib.nic.in)

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सोमवार, 21 मई 2018

लोक संगीतप्रेमियों को सौगात, लुप्त हो रहे लोक संगीत को बचाने के लिए सरकार का सराहनीय प्रयास

आई.जी.एन.सी.ए. में “संजारी: एक भारत – श्रेष्ठ भारत” की सातवीं श्रृंखला का आयोजन 
संस्‍कृति मंत्रालय का इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केंद्र अपने 30 वे स्थापना दिवस से शुरू “संजारी: एक भारत – श्रेष्ठ भारत” श्रृंखला का हर माह सफल आयोजन कर रहा है। केंद्र का प्रयास है की देश के विभिन्न भागों के लुप्त हो रहे लोक संगीत हर माह दिल्ली में आम श्रोताओं के लिए उसके असल रूप में उपलब्ध करवाया जाये ताकि ये लोक संगीत अपना वजूद कायम रख सके और नयी पीढ़ी तक अपने असल रूप में पहुँच सके |  केंद्र “संजारी: एक भारत – श्रेष्ठ भारत” के अभी तक 6 सफल आयोजन कर चुका है जिसमे अरुणाचल, बिहार व राजस्थान, गोवा, तमिलनाडु, जम्मू कश्मीर के लोक कलाकार अपनी प्रस्तुति दे चुके हैं | केंद्र द्वारा प्रति मास आयोजित इस “संजारी: एक भारत – श्रेष्ठ भारत” की 7 वीं श्रृंखला में उत्तराखंड की लोक गायिका पद्मश्री बसंती बिष्ट एवं कर्नाटक के जोगीला सिद्धूराजू ने अपनी प्रस्तुति दी |
19 मई को इस श्रृंखला के प्रथम सत्र में उत्तराखंड की प्रथम महिला जागर गायिका बसंती बिष्ट ने अपनी टीम के साथ समां बांधा, जिसमे उन्होंने उत्तराखंड के वैदिक संस्कार से जुड़े मांगलिक गीतों एवं लोकगीतों की प्रस्‍तुति दी|
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(उत्तराखंड की प्रथम महिला जागर गायिका बसंती बिष्ट अपने साथी कलाकारों के साथ प्रस्‍तुति देते हुए)

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(जागर गायिका बसंती बिष्ट प्रस्‍तुति देते हुए)
20 मई को इस श्रृंखला के दूसरे सत्र में कर्नाटक के लोक कलाकार श्री जोगीला सिद्धूराजू ने अपनी प्रस्तुति दी | जोगीला सिद्धूराजू कर्नाटक के लोक गायक हैं संगीत इन्हें विरासत में मिला, ये बचपन से लोक गीत गाते रहे हैं। श्री जोगीला सिद्धूराजू ने कार्यक्रम के दौरान दक्षिण भारत के विभिन्‍न लोकगीतों और लोकगाथाओं को प्रस्‍तुत किया।
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(दक्षिण भारतीय लोक कलाकार श्री जोगीला सिद्धूराजू अपने साथी कलाकारों के साथ प्रस्‍तुति देते हुए)
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(दक्षिण भारतीय लोक कलाकार श्री जोगीला सिद्धूराजू प्रस्‍तुति देते हुए)


(स्रोत-पीआईबी)
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भारतीय रेल के भव्य स्टेशन, छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस भवन के 130 वर्ष


छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (पूर्व में विक्टोरिया टर्मिनस) ने 20 मई, 2018 को अपने निर्माण के 130 वर्ष पूरे कर लिए हैं। मध्य रेल का मुख्यालय भवन जिसका लोक प्रिय नाम विक्योरिया टर्मिनस (अब छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस) है, वास्तु-कला का उत्कृष्ट नमूना है। प्रारम्भ में इस भव्य भवन में जीआईपी (ग्रेट इंडियन पेनिसुलर) रेलवे का कार्यालय स्थापित करने की योजना बनाई गई थी। ताज महल के पश्चात् यह इस भवन के सबसे अधिक फोटो खीचे जाते हैं। इस भवन का डिजाइन वास्तुकार फ्रेडरिक स्टीवेंस ने तैयार किया था। इसके निर्माण में एक दशक का समय लगा तथा 16,13,863 रूपये की लागत आई। स्टीवेंस के द्वारा डिजाइन किए गए इस ऐतिहासिक टर्मिनस को उस समय एशिया के सबसे बड़े भवन का दर्जा हासिल था।

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इसका निर्माण 1878 में शुरू हुआ और 1887 में महारानी विक्टोरिया के नाम पर इसका नाम विक्योरिया टर्मिनस रखा गया। 1996 में इसका नाम बदलकर छत्रपति शिवाजी टर्मिनस रखा गया। जुलाई 2017 में इसका नाम छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस रखा गया। 2004 में यूनेस्को ने इस भवन को वास्तु कला की उत्कृष्टता के लिए विश्व विरासत की सूची में स्थान दिया। दिसंबर 2012 से इस विरासत भवन को सभी कार्य दिवस में लोगों के भ्रमण के लिए खोला गया है।
शिवाजी महाराज टर्मिनस (पहले विक्टोरिया टर्मिनस) का निर्माण 16.14 लाख रुपये की लागत से किया गया था। गॉथिक शैली में डिजाइन किए गए इस भवन को भारतीय संदर्भ के अनुरूप निर्मित किया गया था। यह एक सी-आकार की इमारत है जिसका निर्माण पूर्व पश्चिम धुरी पर समरूप तरीके से किया गया है। पूरी इमारत का सर्वोत्कृष्ट बिंदु मुख्य गुंबद है। इस पर एक विशाल महिला की आकृति (16 फुट 6 इंच) है। उसके दाहिने हाथ में एक ज्वलंत मशाल है जो ऊपर की ओर इशारा करता है और बाएं हाथ में एक कमानीदार पहिया है जो 'प्रगतिका प्रतीक है। इस गुंबद को पहला अष्टकोणीय धारीदार चिनाई गुंबद माना जाता है जिसे इतालवी गॉथिक शैली की इमारत के अनुरूप बनाया गया था।
1929 में इस स्टेशन में 10.4 लाख रुपये की लागत से 6 प्लेटफॉर्म बनाए गए। पहले पुनर्निर्माण के पश्चात् प्लेटफॉर्मों की संख्या 13 हो गई। यार्ड और स्टेशन में फिर कुछ बदलाव किए गए। 1994 में प्लेटफॉर्मों की संख्या 15 हो गई। अभी इस स्टेशन में 18 प्लेटफॉर्म हैं। पूर्व से प्रवेश करने के लिए खुली जगह है। अप्रैल 2018 में प्लेटफॉर्म संख्या 18 के बगल में एक विरासत गली का निर्माण किया गया है। इसमें जीआईपी हेरिटेज इलेक्ट्रिक लोको, सर लेजली विल्सन तथा अन्य विरासत की वस्तुएं प्रदर्शित की गई हैं।
छत्रपति शिवाजी टर्मिनस भवन के शताब्दी समारोह के दौरान एक डाक टिकट जारी किया गया था। 2013 में भवन के 125 वीं वर्षगांठ के अवसर पर एक विशेष डाक कवर जारी किया गया था।
(स्रोत-पीआईबी)








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बिहार आने वाले सैलानियों को तोहफा, अब पटना के 'सभ्यता द्वार' पर देख सकेंगे सूबे के वैभवशाली इतिहास की झलकियां

सभ्यता द्वार बिहार के वैभवशाली इतिहास का संकेत है:- मुख्यमंत्री
पटना का सभ्यता द्वार


पटना, 21 मई 2018:-अगर बिहार घूमने आते हैं तो पटना का 'सभ्यता द्वार' जरूर जाएं। बिहार के वैभवशाली इतिहास की झलकियां आपको यहां देखने को मिलेगी। सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसकी जानकारी दी। 






नीतीश कुुमार ने आज सम्राट अशोक कन्वेंशन केंद्र पटना अवस्थित 'सभ्यता द्वार' का लोकार्पण, सम्राट अशोक की सांकेतिक मूर्ति तथा अशोक स्तम्भ का अनावरण किया। सम्राट अशोक कन्वेंंशन केन्द्र के ज्ञान भवन में बिहार राज्य भवन निर्माण निगम लिमिटेड के स्थापना दिवस समारोह का मुख्यमंत्री ने दीप प्रज्ज्वलित कर उद्घाटन किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने 486.47 करोड़ रुपये की 187 योजनाओं का लोकार्पण एवं 16.32 करोड़ रूपये की चार योजनाओं का रिमोट के माध्यम से शिलान्यास भी किया।


आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि सबसे पहले मैं भवन निर्माण निगम लिमिटेड के स्थापना दिवस समारोह पर आप सबको बधाई देता हूँ। आज का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि आज सभ्यता द्वार का लोकार्पण हुआ है। सम्राट अशोक कन्वेंशन केंद्र के परिसर में पहले ज्ञान भवन, फिर बापू सभागार और अब सभ्यता द्वार का निर्माण कार्य पूर्ण हुआ है। आज ही सांकेतिक सम्राट अशोक की मूर्ति लगाई गई है। यह मूर्ति बहुत कुछ अशोक के बारे में बताती है। चंडाशोक से धम्माशोक के परिवर्तन के रूप का यह प्रतीक है। दुनिया को जीतने की इच्छा रखने वाले सम्राट अशोक ने अंत में धर्म के रास्ते को अपनाया।  उन्होंने  कहा  कि  यह  पाटलिपुत्र  अशोक  एवं  उनके  दादा  चंद्रगुप्त मौर्य की  भी राजधानी  थी।  पाटलिपुत्र  का  निर्माण  अजातशत्रु  ने करवाया था। महात्मा बुद्ध उत्तर बिहार जाने के क्रम में पाटलिपुत्र से गुजरे थे और उसी वक्त पाटलिपुत्र के बारे में जो प्रतिक्रिया व्यक्त की थी, उसी को सभ्यता द्वार में भी अंकित किया गया है। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि ज्ञान भवन का उद्घाटन चंपारण सत्याग्रह के सौ वर्ष पूरे होने पर  पिछले वर्ष दस  अप्रैल  को  बापू  के  विचारों  पर आधारित दो दिवसीय विमर्श के दौरान किया गया था। पिछले वर्ष ही दो अक्टूबर को बापू सभागार का उद्घाटन बाल विवाह एवं दहेज प्रथा के अभियान की शुरूआत से की गई थी। ज्ञान भवन एवं बापू सभागार की प्रशंसा बाहर के लोग करते हैं। लोग इसे देखकर आश्चर्यचकित होते हैं। खुदाई से निकली हुई सामग्रियों के आधार पर ही उस दौरान की सभ्यता का निर्धारण भी किया जाता है इसलिए हमलोगों ने विशिष्ट भवनों के निर्माण की योजना बनायी। यह संरचना स्टील स्ट्रक्चर का बना हुआ है। बापू सभागार की क्षमता पांच हजार की है।


मुख्यमंत्री ने कहा कि तीसरे कृषि रोड मैप की शुरूआत इसी ज्ञान भवन से राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ने की थी और उन्होंने इस भवन की काफी प्रशंसा की थी। यहां कमिटी की बैठकों के लिए भी पर्याप्त जगह हैं। नीचले तल्ले पर प्रदर्शनी के लिए जगह है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राजगीर कन्वेंशन सेंटर पंच पहाड़ी के निकट बना है, यह भी अद्भुत है। यहां पर केंद्र सरकार के कार्यक्रम, पार्लियामेंट कमेटी की मीटिंग, नालंदा विश्वविद्यालय की शुरूआत जैसे कई कार्यक्रम किए गए हैं और सभी लोगों ने इसकी काफी प्रशंसा की है। उन्होंने कहा कि जिस तरह बिहार संग्रहालय राष्ट्रीय स्तर का बना है उसकी चर्चा दुनिया में हो रही है। इसका स्ट्रक्चर भी अपने आप में संग्रहालय का रूप ले रहा है। कुछ दिनों में ही पुलिस भवन का निर्माण पूर्ण हो जाएगा। यह आधुनिक तकनीक से निर्मित बेहतर भवन का प्रतीक होगा।


यह भवन भूकंपरोधी और अग्निरोधी है, 8 रिक्टर स्केल के भूकम्प पर भी यह सुरक्षित रहेगा। उन्होंने कहा कि बगल में गंगा पथ बन रहा है। सम्राट अशोक कन्वेंशन केंद्र का दृश्य आने वाले समय में और भी अद्भुत लगेगा। 

मुख्यमंत्री  ने  कहा  कि  पुल-पुलियों  का  निर्माण  के  साथ-साथ  शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि,समाज कल्याण  सभी  क्षेत्रों  में  काम  किया  जा  रहा  है।  पी0एम0सी0एच0  को हमलोग वर्ल्ड क्लास का अस्पताल बनाना चाहते हैं। भवन का डिजाइन एवं कार्ययोजना तैयार की जा चुकी है। आई0जी0आई0एम0एस0 का विकास किया गया है। आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय, चाणक्य लॉ इंस्टीच्यूट, चंद्रगुप्त मैनेजमेंट इन्स्टीच्यूट जैसे कई संस्थान बनाए गए हैं और सभी का नामकरण उन शख्सियतों के अर्थपूर्ण भाव को प्रदर्शित करता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार का इतिहास गौरवशाली रहा है। यहां चाणक्य, चंद्रगुप्त, शून्य का आविष्कार करने वाले आर्यभट्ट रहे हैं। बोधगया में बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ, महावीर का यहीं जन्म हुआ, ज्ञान प्राप्ति हुई एवं यहीं उनका निर्वाण हुआ। आजादी की पहली लड़ाई लड़ने वाले बाबू वीर कुँवर सिंह यहीं के योद्धा थे। सौ साल पहले गांधीजी यहां आए थे और जनता को जोड़कर आजादी की लड़ाई को तीस वर्ष के अंदर ही जीत ली। बापू के विचारों को अगर लोग अपना लें तो टकराव और ईर्ष्या के माहौल से छुटकारा पाया जा सकता है।




मुख्यमंत्री ने कहा कि यहां का गौरवशाली इतिहास सकारात्मकता पर आधारित है। उन्होंने कहा कि अब राज्य में कानून एवं व्यवस्था का माहौल है। देर शाम लोग यहां घूमने के लिए निकलते हैं। इस कन्वेंशन केंद्र में भी रेस्तरां का निर्माण होने वाला है। लोग यहां घूमेंगे और अच्छे खाने का आनंद उठाएंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि मुझे खुशी है कि भवन निर्माण निगम लिमिटेड के आठ वर्ष पूर्ण हो चुके हैं। इसकी उपलब्धियों के बारे में भवन निर्माण मंत्री एवं विभाग के प्रधान सचिव ने विस्तार से बताया है। उन्होंने कहा कि भवन निर्माण निगम लिमिटेड द्वारा बेहतर भवन बनाए जा रहे हैं जो आपदा प्रबंधन के लिहाज से भी बेहतर हैं। भवन के रखरखाव पर भी ध्यान देने की जरूरत है।  उन्होंने कहा कि मैं बिहारवासियों को बधाई  देता  हूँ  कि  यह  सभ्यता  द्वार  का आज  लोकार्पण  हुआ  है,  जो  बिहार के वैभवशाली इतिहास का संकेत है। यह लोगों के आकर्षण का केंद्र बनेगा। उन्होंने अधिकारियों को निर्देष दिया कि आने वाले दिनों में यहाॅ लोगों की भीड़ होगी और इसके लिये क्राउड मैनेजमेंट का भी ध्यान रखना होगा। उन्होंने कहा कि आज जिन लोगों को पुरस्कृत किया गया है, उनलोगों को भी बधाई देता हूँ।


इस मौके पर मुख्यमंत्री का स्वागत भवन निर्माण विभाग के प्रधान सचिव श्री चंचल कुमार ने पुष्प-गुच्छ एवं प्रतीक चिह्न भेंट कर किया। बापू सभागार में बापू के जीवन से जुड़े व्यक्तित्वों, विचारों के म्यूरल का भी उद्घाटन मुख्यमंत्री ने किया। मुख्यमंत्री ने कलाकार पद्मश्री श्री ब्रह्मदेव पंडित, श्री अनूप कुमार चांद एवं श्री अरूण पंडित सहित अन्य तीन अभियंताओं एवं तीन संवेदकों को भी पुरस्कृत किया। कार्यक्रम के दौरान सम्राट अषोक कन्वेंशन केन्द्र पर आधारित तथा बिहार राज्य भवन निर्माण निगम लिमिटेड पर आधारित लघु वृतचित्रों का प्रदर्शन किया गया।

सभा को उप मुख्यमंत्री श्री सुशील कुमार मोदी, भवन निर्माण मंत्री श्री महेश्वर हजारी, भवन निर्माण विभाग के प्रधान सचिव श्री चंचल कुमार ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर कृषि मंत्री डॉ0 प्रेम कुमार, स्वास्थ्य मंत्री श्री मंगल पांडे, पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री श्री पशुपति कुमार पारस, उद्योग, विज्ञान एवं प्रावैधिकी मंत्री श्री जयकुमार सिंह, राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री श्री रामनारायण मंडल, सहकारिता मंत्री श्री राणा रंधीर सिंह, अनुसूचित जाति एवं जनजाति कल्याण मंत्री श्री रमेश ऋषिदेव, मुख्य सचिव श्री अंजनी कुमार सिंह, अध्यक्ष सह सदस्य राजस्व पर्षद श्री सुनील कुमार सिंह, कृषि विभाग के प्रधान सचिव श्री सुधीर कुमार, मुख्यमंत्री के सचिव श्री अतीश चंद्रा, मुख्यमंत्री के सचिव श्री मनीष कुमार वर्मा, खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग के सचिव श्री पंकज कुमार, अनुसूचित जाति एवं जनजाति कल्याण


विभाग के सचिव श्री प्रेम सिंह मीणा, भवन निर्माण विभाग के एम0डी0 श्री साकेत कुमार, मुख्यमंत्री सचिवालय के विशेष सचिव श्री अनुपम कुमार, मुख्यमंत्री के विशेष कार्य पदाधिकारी श्री गोपाल सिंह सहित अन्य वरीय पदाधिकारीगण, भवन निर्माण विभाग के अभियंतागण एवं अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
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