सोमवार, 8 जुलाई 2019

भारत को मिली एक और उल्लेखनीय उपलब्धि,गुलाबी शहर जयपुर विश्व हेरिटेज सूची में शामिल #Jaipur #Incredible

भारत को मिली एक और उल्लेखनीय उपलब्धि, गुलाबी शहर जयपुर भारत के 38वें स्थल के तौर पर यूनेस्को विश्व हेरिटेज सूची में शामिल 

संस्कृति मंत्री श्री प्रहलाद सिंह पटेल ने जयपुर के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को पहचानने के लिए वैश्विक समुदाय को दिया धन्यवाद 
भारत को एक और ऐतिहासिक उपलब्धि मिली जब अजरबैजान के बाकू में आयोजित यूनेस्को विश्व हेरिटेज समिति के 43वें सत्र के दौरान भारत के गुलाबी शहर जयपुर को यूनेस्‍को की विश्‍व हेरिटेज सूची में शामिल कर लिया गया। राजस्थान के जयपुर शहर के नामांकन ने 2017 के विभिन्न यूनेस्को दिशा-निर्देशों का सफलतापूर्वक अनुपालन किया। यूनेस्‍को की इस सूची में जयपुर शहर के सफल नामांकन के साथ ही अब भारत में कुल 38 विश्व विरासत स्थल हैंजिसमें 30 सांस्कृतिक स्‍थल7 प्राकृतिक स्‍थल और 1 मिश्रित स्‍थल शामिल हैं।
भारत के नामांकन की पहल आईसीओएमओएस (सांस्कृतिक स्थलों के लिए विश्व धरोहर (डब्ल्यूएच) केंद्र की सलाहकार संस्था) ने की थीलेकिन 21 देशों की विश्व विरासत समिति ने इस पर विचार-विमर्श के बाद जयपुर को विश्व विरासत सूची में शामिल करने का फैसला किया।
केंद्रीय संस्कृति मंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार) श्री प्रहलाद सिंह पटेल ने गुलाबी शहर जयपुर को विश्व विरासत सूची में शामिल करने पर प्रसन्‍नता व्यक्त करते हुए इस महत्‍वपूर्ण उपलब्धि के लिए जयपुर के लोगों बधाई दी है। मंत्री महोदय ने जयपुर के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को पहचानने के लिए वैश्विक समुदाय को धन्यवाद भी दिया।
भारत द्वारा विश्व धरोहर समिति के समक्ष विशिष्‍ट सार्वभौमिक मूल्य (ओयूवीके प्रस्‍तावित विवरण के अंश इस प्रकार हैं:
जयपुर शहर दक्षिण एशिया में स्वदेशी नगर योजना और निर्माण में एक अनूठा नगरीय उदाहरण है। इस क्षेत्र के अन्य मध्ययुगीन शहरों की तुलना में जयपुर को योजनाबद्ध तरीके से खुले मैदानों में एक नए शहर के रूप में बसाया गया था। शहद के पहाड़ी इलाकों और अतीत के सैन्य स्‍थलों को देखते हुए, नगर की सभी दिशाओं से आसपास की पहाडियों तक पहुंच को सुनिश्चित करने की योजना वर्तमान में भी विद्यमान है। अंबर पहाड़ियों के दक्षिण में स्थित घाटी के चयनित स्‍थल तुलनात्मक रूप से मैदानी और किसी भी पूर्व निर्माण से अवरोधित नहीं हैं। एक अनुकरणीय योजना के अलावा गोविंद देव मंदिरसिटी पैलेसजंतर-मंतर और हवा महल के रूप में इसके प्रतिष्ठित स्मारक अपने समय की कलात्मक और स्थापत्य कला का उत्कृष्ट उदाहरण है। जयपुर खगोलीय कौशलजीवंत परंपराओं औरअद्वितीय शहर के रूप में भारत के 18वीं शताब्दी के एक कौशल और दूरदर्शितापूर्ण नगर विकास की अभिव्यक्ति भी है। जयपुर शहर योजना और वास्तुकला के मामले में एक अनुकरणीय विकास का उदाहरण है, जो मध्ययुगीन काल के प्रबुद्ध विचारों के समामेलन और महत्वपूर्ण आदान-प्रदान को भी प्रदर्शित करता है।
भारत के नामांकन का समर्थन करने वाले देश इस प्रकार हैं:
ब्राजीलबहरीनक्यूबा​​इंडोनेशियाअजरबैजानकुवैतकिर्गिस्तानजिम्बाब्वेचीनग्वाटेमाला,युगांडाट्यूनीशियाबुर्किना फासोबोस्निया और हेजगोविनाअंगोलासेंट किट्स और नेविस। हालांकि ऑस्ट्रेलिया और नॉर्वे ने शुरू में संदर्भ प्रस्ताव दिया था, लेकिन विचार-विमर्श के बाद वे जयपुर शहर को इस सूची में शामिल करने पर सहमत हो गए।
इसके साथभारत में कुल 38 विश्व विरासत स्थल हैंजिसमें 30 सांस्कृतिक स्‍थल7 प्राकृतिक स्‍थल और 1 मिश्रित स्‍थल शामिल है।
गुलाबी शहर जयपुर के कुछ चित्र
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(साभार-पीआईबी)

((अर्जुन के तीर से निकलने वाली नदी की सैर #Patalganga #Maharashtra #Matheran #Arjun 
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((कभी बारिश में तुंगारेश्वर घूमने का मौका मिले, तो जरूर जाएं 
((महाराष्ट्र के दहाणू महालक्ष्मी मंदिर: शीतल पवन और हर ओर हरियाली के बीच भक्ति का आनंद 




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मंगलवार, 28 मई 2019

अर्जुन के तीर से निकलने वाली नदी की सैर #Patalganga #Maharashtra #Matheran #Arjun #Matheran

महाराष्ट्र के कई MIDC (महाराष्ट्र औद्योगिक विकास निगम-Maharashtra Industrial Development Corporation) में से एक है पातालगंगा। महाराष्ट्र की राजधानी और देश की आर्थिक राजधानी मुंबई से सटे रायगढ़ जिले के खालापुर तालुका के मोहापाडा गांव में स्थित है पातालगंगा। यह पनवेल, कर्जत, रसायनी रेलवे स्टेशनों और मुंबई पुणे एक्सप्रेसवे के करीब है। अलीबाग, पेन भी इसके नजदीक में ही है। 




थोड़ी जानकारी आपको एमआईडीसी के बारे में दे देता हूं। महाराष्ट्र में मुंबई के अंधेरी, बोईसर, पातालगंगा समेत कई शहरों में एमआईडीसी मौजूद है। राज्य में उद्योग धंधों को बढ़ावा देने के इरादे से एमआईडीसी का गठन किया गया है। यह महाराष्ट्र सरकार की एक परियोजना है। यहां जमीन, सड़क, पानी की आपूर्ति, जल निकासी सुविधा और स्ट्रीट लाइट जैसी बुनियादी सुविधाओं के साथ-साथ आसान शर्तों के साथ व्यापार करने की अनुमति प्रदान की जाती है। पातालगंगा में सिप्ला, जय प्रीसिजन, एलएंडटी, अल्काइल समेत कई कंपनियों की यूनिट है। 

मार्केट रेगुलेटर सेबी की ट्रेनिंग इन्स्टीट्यूट NISM (National Institute of Securities Markets-राष्ट्रीय प्रतिभूति बाजार संस्थान) भी पातालगंगा में ही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस संस्थान का उद्घाटन किया था। इसमें विश्वस्तरीय सुविधाएं प्रदान की गई है। इसी संस्थान के नजदीक में ही यहां पढ़ाने वाले अध्यापकों के लिए हॉस्टल भी है। इसी होस्टल में मेरे भी एक मित्र रहते हैं डॉक्टर राजेश कुमार, जो कि सेबी कानून पढ़ाते हैं। आईआईएम, आईआईटी समेत कई नामी-गिरामी इंस्टीट्यूट्स में भी मेरे मित्र को पढ़ाने के लिए बुलाया जाता है। यही नहीं दूसरे देशों के भी कैपिटल मार्केट्स की ट्रेनिंग लेने वालों को मेरे मित्र पढ़ाते हैं। मेरे मित्र को कैपिटल मार्केट की ट्रेनिंग देने के लिए विदेश भी भेजा जाता है। उन्हीं से मिलने जब मैं पातालगंगा गया, तो वहां से पातालगंगा के बारे में तस्वीर और वीडियो समेत कई जानकारियां जुटाकर साथ लाया हूं। मेरी आदत है मैं कहीं भी नई जगह जाता हूं तो कोशिश करता हूं कि वहां से जुड़े वीडियो, तस्वीर, जानकारी आप सबों तक साझा करूं।
मारुति मंदिर (हनुमान जी का मंदिर)

वैसे तो हमारे देश में पहले से ही सैर सपाटे, पर्यटन को काफी महत्व दिया जाता रहा है। प्राचीन गुरुओं (ब्राह्मणों, ऋषि - तपस्वियों) का कहना है कि "बिना पर्यटन मानव अन्धकार प्रेमी होकर रह जायेगा।" पाश्चात्य विद्वान् संत आगस्टिन ने तो यहाँ तक कह दिया कि "बिना विश्व दर्शन ज्ञान ही अधुरा है।" पंचतंत्र नामक भारतीय साहित्य दर्शन में कहा गया है "विधाक्तिम शिल्पं तावन्नाप्यनोती मानवः सम्यक यावद ब्रजति न भुमो देशा - देशांतर:।" हालांकि, हमारे समाज का एक बड़ा तबका सैर-सपाटे से वंचित रह जाता है। 

वापस पातालगंगा पर लौटते हैं। दरअसल, पातालगंगा का नाम वहां बहने वाला पातालगंगा नदी के नाम पर पड़ा है। यह नदी कुदरती खूबसूरती समेटे मुंबई के नजदीक स्थित  मशहुर हिल स्टेशन माथेरान के पश्चिमी ढलान से निकलती है और खोपोली के पास नदी में मिलती है और आगे बढ़ते हुए धरमतार क्रिक से मिलती है। पातालगंगा नदी के तट पर तुराडे, कलिवली, आप्टा, दुशमी, खारपाड़ा, रेव समेत कई गांव बसे हैं। 

पातालगंगा नदी का जिक्र महाभारत, पुराण, वैदिक ग्रंथों में भी मिलता है। कहा जाता है कि महाभारत काल में जब भीष्म पितामह मृत्युशैया पर लेटे हुए थे, तो अर्जुन ने तीर मारकर भूजल को बाहर निकाला था और इसी के परिणामस्वरूप पातालगंगा नदी अस्तित्व में आई। अर्जुन ने जब तीर मारा तो जमीन में छेद बन गया,जिससे जल की धारा फुट पड़ी। 

पुराणों के अनुसार, गंगा नदी की तीन सहायक नदियां हैं। उनमें से एक पाताल गंगा (भगवती) है जबकि बाकी दो - स्वर्गा गंगा (मंदाकिनी) और भू गंगा (भागीरथी) है। समुद्र में प्रवेश करने से पहले, गंगा कई सहायक नदियों में विभाजित हो जाती है और फिर बंगाल की खाड़ी में विलीन हो जाती है।
रसेश्वर मंदिर (महादेव जी का मंदिर)

पातालगंगा नदी का उल्लेख प्राचीन वैदिक ग्रंथों में किया गया है और तुराडे-कराडे क्षेत्र में मंदिरों और इसके किनारों को पवित्र माना जाता है और नदी में एक डुबकी को कम से कम उल्लेख करने के लिए आध्यात्मिक रूप से फायदेमंद माना जाता है। भवानीपटना पातालगंगा के करीब है। 

पातालगंगा सहयाद्रि पर्वतशृंखला से घिरा हुआ है। ऐतिहासिक  जंजीरा-मुरुण्ड और रायगढ़ का किला इसी के नजदीक है। पातालगंगा नदी पर मोरबा डैम है जहां से मुंबई और आसपास के इलाकों में पानी सप्लाई किया जाता है। इसी नदी पर टाटा पॉवर का भी प्लांट है। 

((अर्जुन के तीर से निकलने वाली नदी की सैर #Patalganga #Maharashtra #Matheran #Arjun 
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सेना का माउंट आबू में बच्चों के लिए ग्रीष्मकालीन साहसिक शिविर-2019 का आयोजन

राजस्थान के माउंट आबू में 27 मई से दक्षिणी कमान बाल ग्रीष्मकालीन साहसिक शिविर 2019 का आयोजन किया जा रहा है जो 3 जून 2019 तक चलेगा। 8 दिन का यह शिविर युद्ध एक्स डिवीजन के 8 मद्रास बटालियन के तत्वधान में कराया जा रहा है। इस शिविर में भाग लेने वाले बच्चों को उनमें साहसिक कार्यों के प्रति उत्साह पैदा करने और व्यक्तित्व विकास का मौका मिलेगा।
भारतीय सेना की दक्षिणी कमान से लगभग 125 बच्चे इस शिविर में भाग ले रहे हैं। शिविर में बच्चे  ट्रैकिंग, गुफा में रहना, नौकायान, विभिन्न खेल और प्रतियोगिताओं समेत  तरह-तरह के इनडोर और आउटडोर गतिविधियों में भाग लेंगें।
शिविर में बच्चों को अपने स्वभाव को विस्तार देने, नये दोस्त बनाने, नई और विविध रूचियों को विकसित करने और यादगार लम्हें सृजित करने का मौका मिलेगा। शिविर के आयोजकों का प्रयोजन भी बच्चों को नये शौक विकसित करने और उन्हें अपनाने, जिम्मेदारियां उठाने, लक्ष्य तय करने और उन्हें हासिल करने के लिये प्रेरित करना है। इसके लिये योग एवं ध्यान तकनीक से परिचय करना, सुरक्षा से जुड़े विषयों पर जानकारी देना और सामाजिक मर्यादा बढ़ाने जैसी विविध गतिविधियां कराई जाएंगी।
इस शिविर का आयोजन माउंट आबू में भारतीय सेना बच्चों की गर्मी की छुट्टियों के दौरान हर साल कराती है जिससे बच्चों को कुछ नया सीखने और साहसिक कार्यों को करने के लिए एक मंच उपलब्ध कराया जाता है।


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(सौ. पीआईबी)


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LTT (Lokmanya Tilak Terminus) का नजदीकी लोकल रेलवे स्टेशन

आप किसी दूसरे शहरों या राज्यों से मुंबई आ रहे हों या मुंबई से किसी दूसरे शहर या राज्य जा रहे हों, तो आपको एलटीटी यानी लोकमान्य तिलक टर्मिनस ...