दफ्तर से लंबी छुट्टी ली थी। घर पर तीन-चार दिन आराम करने के बाद कहीं घूमने जाने की इच्छा हुई। अपने घर के 100 किलोमीटर के दायरे में ही घूमने जाने का मन कर रहा था। इसके साथ ही मैं ऐसी जगह के बारे में सोच रहा था जहां कुदरती खूबसूरती, शीतल पवन, हर तरफ हरियाली के बीच भक्ति का आनंद मिल सके।
मुंबई से सटे पालघर जिले के नालासोपारा में मेरा घर है। वैसे तो मेरे घर के करीब ऐसी कई जगह है मसलन, तुंगारेश्वर, बज्रेश्वरी, गणेशपुरी बगैरह। लेकिन ये सब हमारे घर के काफी करीब है। तभी मेरे जेहन में दहाणू के महालक्ष्मी मंदिर का नाम आया। हालांकि पहले भी मैं वहां जा चुका था लेकिन एक बार फिर से वहां जाने की इच्छा करने लगा। ये जगह हमारी योजना में बिल्कुल सही बैठ रही थी। हमारे घर से दहानू महालक्ष्मी मंदिर ना तो एकदम दूर है और ना ही एकदम करीब।
तो, इस तरह से दहानू महालक्ष्मी मंदिर जाना तय हो गया। मुंबई-अहमदाबाद हाइवे यानी NH8 पर स्थित है ये मंदिर। जहां तक दूरी की बात है तो अहमदाबाद से 414 किलोमीटर, मुंबई से 132 किलोमीटर और वापी से 51 किलोमीटर दूर है महालक्ष्मी मंदिर। अगर आप दहानू रेलवे स्टेशन से मंदिर जाना चाहते हैं तो आपको इसके लिए 30 किलोमीटर दूर जाना होगा। ये मंदिर हाइवे के किनारे है। इसलिए वहां अपनी कार या टैक्सी करके जाना ज्यादा अच्छा है।
मैं मुंबई लोकल ट्रेन से पहले दहानू रेलवे स्टेशन गया। फिर वहां से पहले सेवन सीटर से चारोटी तक गया जो कि वहां से 25 किलोमीटर है। चारोटी से मंदिर की दूरी करीब 3-4 किलोमीटर है। चारोटी से ऑटो के जरिये मंदिर पहुंचा जा सकता है। वैसे अगर ज्यादा पैदल चलने की आदत है या फिर कुछ पैदल चलना चाहते हैं तो मंदिर तक पैदल जाना बहुत मुश्किल की बात नहीं है। मैं तो चारोटी से मंदिर तक पैदल ही आया-गया।
सुबह 6 बजे से रात 9 बजे तक मंदिर खुला रहता है। यहां आरती का समय सुबह 7 बजे और शाम 7 बजे है। अगर मंदिर में आप समय पर नहीं पहुंच पाएं या फिर माता के दर्शन के बाद वहां आपको रुकने की इच्छा हो, तो वहां ठहरने का भी अच्छा इंतजाम है।
ये मंदिर पहाड़ों के बीच है और चारों तरफ आपको यहां हरियाली का दीदार होगा। हाइवे पर तो गाड़ियां तो हर पल गुजरती है लेकिन हर वक्त की पों-पों की शोर-गुल आपको परेशान नहीं करेगी, बल्कि फर्राटे से दौड़ती गाड़ियों की सनसनाहट आपका मन जरूर मोह लेगी।मंदिर के करीब पहाड़ पर मंदिर की आकृति जैसी रचना दिखाई देती है जो आपको जरूर लुभाएगी। मंदिर के आसपास गांव के दर्शन भी हो जाते हैं जहां भरपुर खेती होती है। आपको वहां स्थानीय वेशभूषा में लोग दिख जाएंगे।
तो आप भी अगर शीतल पवन और हर ओर हरियाली के बीच भक्ति का आनंद लेना चाहते हैं तो फिर दहानू का महालक्ष्मी मंदिर आपके लिए एकदम सही जगह है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें