रविवार, 11 नवंबर 2018

नीतीश कुमार ने राजगीर में भूटानी मंदिर का शिलान्यास किया, कहा-दोनों देशों के रिश्ते होंगे और मजबूत

भूटानी टेंपल के निर्माण से भारत और भूटान के बीच पस्पर संबंध और मजबूत होंगे:- मुख्यमंत्री


पटना, 11 नवम्बर 2018:- मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने आज राजगीर में परम पावन जे खेनपो की उपस्थिति में भूटानी टेंपल के शिलापट्ट का अनावरण कर शिलान्यास किया और पूजा अर्चना की। इस अवसर पर आयोजित समारोह को संबोधित करते हुये मुख्यमंत्री ने कहा कि सबसे पहले मैं परम पावन एवं उनके साथ आये पूरे विशिष्टगणों का बिहार सरकार एवं प्रदेष की जनता की तरफ से अभिनंदन करता हूूॅ। 
उन्होंने कहा कि भूटान और भारत परस्पर औपचारिक राजनयिक संबंधों का संयुक्त 50वां वर्ष मना रहा है और इसी समय भूटानी टेंपल के निर्माण के लिए समय का चयन करना बिहार के लिये गौरव की बात है। मुख्यमंत्री ने कहा कि मुझे मई 2011 में भूटान जाने का मौका मिला था, वहां जाकर मुझे बहुत खुशी हुई थी। हमने देखा कि वहां पर्यावरण के प्रति लोगों का काफी लगाव है।

उन्होंने कहा कि वहां की सरकार ने तय कर दिया है कि भूटान में न्यूनतम 60 प्रतिशत वनाच्छादित क्षेत्र रहेगा और जब मैं मई 2011 में भूटान गया था तो उस समय 72 प्रतिशत वनाच्छादित था। भूटान में जो भी काम मैंने होते देखा, उससे काफी खुशी हुई। भूटान में पनबिजली के क्षेत्र में काफी संभावनाएं हैं। वहाॅ 30 हजार मेगावाट बिजली परियोजना की क्षमता है। अभी 10 हजार मेगावाट पनबिजली परियोजना पर काम चल रहा है, जिसे मुझे भी देखने का मौका मिला था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भूटान में हैपिनेस की बात की जाती है। भूटान नरेश ने सकल राष्ट्रीय प्रसन्नता की अवधारणा दी। इसके लिए उन्होंने स्वास्थ्य, शिक्षा, लोकतंत्र जैसी चीजों को आधार बनाया। आज के जमाने में जी0डी0पी0 की बात की जा रही है लेकिन भूटान में लोग कैसे खुश रहें, इसके बारे में काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जब हम भूटान गए थे तो उस समय वहां के लोगों ने राजगीर में मंदिर निर्माण की बात कही थी। हमलोगों ने इसके लिए सभी जरुरी उपाय किये और आज उसी जमीन पर मंदिर निर्माण का शिलान्यास किया जा रहा है। मुझे उम्मीद है कि यह मंदिर भव्य बनेगा। 

बोधगया में भी भूटान के लोग आते हैं और अब राजगीर में भी आएंगे। उनलोगों को किसी प्रकार की दिक्कत न
हो, इसके लिए जरुरी इंतजाम किए जा रहे हैं। भूटान के लोगों में शिक्षा के प्रति लगाव है,उनमें सांस्कृतिक शिक्षा बौद्ध धर्म से विरासत में मिली है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह ज्ञान की भूमि है, ज्ञान प्राप्ति के पूर्व भी सिद्धार्थ यहां आए थे। ज्ञान की प्राप्ति के बाद बुद्ध यहां रहे थे, वेणु वन में ठहरते थे और गृद्धकूट पर्वत पर
उपदेश देते थे। गृद्धकूट पर्वत पर ही जापान के फूजी गुरुजी ने विश्व शांति स्तूप का निर्माण करवाया था। 

हाल ही में उसका 49वां स्थापना दिवस समारोह भी मनाया गया। 25 अक्टूबर 2019 को 50वां स्थापना दिवस समारोह का भव्य आयोजन किया जाएगा। बापू के आदर्शों पर भी कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। बापू का 150वां जयंती समारोह भी मनाया जा रहा है। राजगीर में पंच पर्वत पर ग्रीन एरिया है। यहां जू सफारी और ग्रीन सफारी भी बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बगल में ही नालंदा विश्वविद्यालय का पुर्नर्निमाण कराया जा रहा है। एक समय नालंदा विश्वविद्यालय शिक्षा का महत्वपूर्ण केंद्र हुआ करता था, जहां देश-विदेश के 10 हजार से ज्यादा छात्र शिक्षा ग्रहण करते थे। उन्होंने कहा कि हमलोगों का बुद्ध के प्रति समर्पण है, उनके प्रति श्रद्धा और सम्मान है। राजगीर में घोड़ाकटोरा में सुंदर झील है, जिसमें 50 फीट की बुद्ध की प्रतिमा बनकर तैयार है, यहाॅ 25 नवंबर को सेंटिफाईंग प्रेयर किया जाएगा।     

मुख्यमंत्री ने कहा कि बुद्ध सर्किट का निर्माण कराया जा रहा है। पटना में भगवान बुद्ध के 2550वें निर्वाण दिवस पर बुद्ध स्मृति पार्क का निर्माण करवाया गया। छह देशों से आए हुए अवशेषों से करुणा स्तूप बनाया गया। बुद्ध से संबंधित म्यूजियम का निर्माण एवं बिपष्यना केंद्र भी बनाया गया है। यहां पर बुद्धिस्ट कल्चरल सेंटर स्थापित करने की भी योजना है। उन्होंने कहा कि वैशाली में बुद्ध सम्यक दर्शन स्तूप का निर्माण कराया जाएगा, जो पत्थर से निर्मित होगा। वैशाली में ही बुद्ध का एक मात्र अस्थि कलश मिला था, जिसे इस स्तूप में रखवाया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि परम पावन जे खेनपो जी ने बोधगया और राजगीर में आकर जो प्रार्थना किया, उसका लाभ हम सबको भी मिलेगा। भूटान के लोग अच्छी फसल होने पर यहां बोधगया में अधिक से अधिक संख्या में उपस्थित होकर भगवान बुद्ध को धन्यवाद करने आए थे। राजगीर में जो भूटानी मंदिर बनेगा, उससे राजगीर का महत्व और बढ़ेगा और यहां भूटान ही नहीं बल्कि भारत के अन्य हिस्सों के लोग भी मंदिर के दर्शन को आएंगे। 





मुख्यमंत्री ने कहा कि भूटानी टेंपल के निर्माण से भारत और भूटान के बीच परस्पर संबंध और मजबूत होंगे। उन्होंने कहा कि पर्यावरण के प्रति सचेत होना जरुरी है। यहां जो प्रार्थना होगी, उससे लोगों में पर्यावरण के प्रति भी जागरुकता का भाव पैदा होगा। पर्यावरण के सुरक्षित रहने पर ही इस धरती पर जीव-जंतु, पशु-पक्षी सभी लोग सुरक्षित रहेंगे। उन्होंने कहा कि भूटान के लोगों में बिहारियों के प्रति प्रेम का भाव है। बिहार के लोग भी आपके यहां जाकर मेहनत से काम करते हैं। बिहार के लोगों के मन में भी आपलोगों के प्रति अपार श्रद्धा है।
समारोह को परम पावन जे खेनपो ने भी संबोधित किया और भूटानी मंदिर के लिये बिहार सरकार के द्वारा भेंट की गयी 2.8 एकड़ भूमि एवं अन्य जरूरी सहयोग हेतु आभार व्यक्त किया।

मुख्यमंत्री एवं परम पावन जे खेनपो ने परस्पर प्रतीक चिन्ह् का आदान प्रदान कर एक दूसरे का सम्मान किया। कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री के समक्ष भूटान और बिहार के कलाकारों द्वारा भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति की गई। मुख्यमंत्री ने भूटानी मंदिर के शिलान्यास के पष्चात प्रस्तावित मंदिर निर्माण की प्रोजेक्ट से संबंधित प्रदर्षनी का भी अवलोकन किया।

इस अवसर पर परम पावन जे खेनपो, सम्मानीय ग्यालट्रल रिनपोचे, परम पावन के साथ आये सम्मानीय लामागण, विशिष्ट सदस्यगण, भारत में भूटान के राजदूत मेजर जेनरल वी0 नारेंग्येल, ग्रामीण विकास मंत्री श्री श्रवण कुमार, भारत में भूटान के पूर्व राजदूत एवं पूर्व सांसद श्री पवन वर्मा, नालंदा के सांसद श्री कौशलेन्द्र कुमार, विधायक श्री रवि ज्योति कुमार, विधायक श्री जीतेन्द्र कुमार, राॅयल गवर्नमेंट आॅफ भूटान के पदाधिकारीगण, केन्द्र एवं राज्य सरकार के पदाधिकारीगण, भूटान से आये अतिथिगण, अन्य जनप्रतिनिधिगण एवं गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

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((महाबलेश्वर; खूबसूरती ऐसी कि कैमरा भी तस्वीर लेते-लेते थक जाए, ऐसी खूबसूरती का दीदार भला किसे पसंद नहीं 
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((महाराष्ट्र के दहाणू महालक्ष्मी मंदिर: शीतल पवन और हर ओर हरियाली के बीच भक्ति का आनंद 



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बुधवार, 19 सितंबर 2018

देश के कोने-कोने में ‘पर्यटन पर्व’ की धूम

पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए हेरिटेज वॉक, सांस्‍कृतिक संध्‍या और प्रतियोगिताओं का आयोजन 
पर्यटन मंत्रालय द्वारा आयोजित किया जा रहा पर्यटन पर्व (16 से 27 सितम्‍बर, 2018 तक) उत्‍सव अब अपने चौथे दिन में प्रवेश कर गया है। आज नई दिल्‍ली स्थित राजपथ लॉन के साथ-साथ देश भर में पर्यटन पर्व से जुड़ी अनगिनत गतिविधियां और कार्यक्रम आयोजित किए गए। इन कार्यक्रमों का आयोजन इंडिया टूरिज्‍म से जुड़े घरेलू कार्यालयों, केन्‍द्र/राज्‍य सरकारों के संगठनों और अन्‍य हितधारकों द्वारा किया जा रहा है।
पहले तीन दिन देश भर में आयोजित किए गए ‘पर्यटन पर्व’ से जुड़ी प्रमुख बातों का उल्‍लेख नीचे किया गया है:
पहला दिन (16 सितम्‍बर, 2018) :
  • नई दिल्‍ली स्थित राजपथ लॉन में पर्यटन पर्व के दौरान आयोजित सांस्‍कृतिक कार्यक्रमों की एक झलक
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  • इंडिया टूरिज्‍म के संबंधित कार्यालयों द्वारा राज्‍य पर्यटन विभागों के सहयोग से मध्‍य प्रदेश के भोपाल एवं अन्‍य स्‍थलों, इम्‍फाल में कांगला फोर्ट, गेटवे ऑफ इंडिया (मुम्‍बई), खजुराहो (ग्‍वालियर) में हेरिटेज वॉक का आयोजन किया गया। इसी तरह अनेक स्‍थानों जैसे कि हैदराबाद स्थित लुम्‍बनी पार्क और चेन्‍नई स्थित महाबलीपुरम में सांस्‍कृतिक संध्‍या का आयोजन किया गया। इसके अलावा, अनेक कार्यक्रमों जैसे कि ‘रन फॉर टूरिज्‍म’, चित्रकला और प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिताओं का आयोजन कई स्‍थानों जैसे कि ग्‍वालियर, गोवा, शिलांग, जयपुर एवं गुवाहाटी में स्‍वच्‍छता कार्यक्रमों के साथ किया गया।    
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दूसरा दिन (17 सितम्‍बर, 2018) :
  • नई दिल्‍ली स्थित राजपथ लॉन में पर्यटन पर्व के दौरान आयोजित सांस्‍कृतिक कार्यक्रमों की एक झलक
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  • इंडिया टूरिज्‍म दिल्‍ली ने हेरिटेज वॉक, खादय एवं स्‍वच्‍छता जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन पुरानी दिल्ली में किया। हेरिटेज वॉक का आयोजन लाल किले से लेकर जामा मस्जिद तक किया गया।
  • इंडिया टूरिज्‍म इम्‍फाल ने स्‍कूली विद्यार्थियों के लिए सांस्‍कृतिक नृत्‍य प्रतियोगिता का आयोजन किया और मेरिट पाने वालों को पुरस्कार दिए गए।
  • इंडिया टूरिज्‍म पटना ने गंगा नदी स्थित गांधी घाट पर पर्यटन के हितधारकों के सहयोग से कार्यक्रम आयोजित किया। सभी प्रतिभागियों को ‘स्‍वच्‍छता ही सेवा’ और ‘पर्यटन पर्व’ के लोगो वाली टी-शर्ट और टोपियां दी गईं।
  • इंडिया टूरिज्‍म हैदराबाद में आईएचएम और एनआईटीएचएम हैदराबाद के साथ मिलकर गोलकुंडा किले पर पर्यटन पर्व का आयोजन किया। इसके साथ ही एक हेरिटेज वॉक का आयोजन किया गया और पर्यटन पर्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए नुक्‍कड़ नाटक का आयोजन किया गया।
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तीसरा दिन (18 सितम्‍बर, 2018) :
  • नई दिल्‍ली स्थित राजपथ लॉन में पर्यटन पर्व के दौरान आयोजित सांस्‍कृतिक कार्यक्रमों की एक झलक
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  • इंडिया टूरिज्‍म इम्‍फाल ने मणिपुर के थोउबल जिले में स्थित खोंगजोम वार मेमोरियल काम्‍प्‍लेक्‍स में स्‍कूली विद्यार्थियों के लिए एक ऐतिहासिक भ्रमण का आयोजन किया।
  • इंडिया टूरिज्‍म जयपुर ने आईएचएमजयपुर के सहयोग से होटल खासा कोठी से लेकर अल्‍बर्ट हॉल तक एक साइकिल रैली का आयोजन किया। इसे राजस्‍थान के विशेष सचिव एवं निदेशक (पर्यटन) श्री प्रदीप कुमार बोरार एवं अन्‍य गणमान्‍य व्‍यक्तियों ने झंडी दिखाकर रवाना किया।

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  • देश भर में अनेक स्‍थानों जैसे कि बेंगलुरूविजयवाड़ा, बाड़ा-ग्‍वालियर, कुल्‍टाली सुंदरबन –कोलकाता में स्‍वच्‍छता अभियान आयोजित किए गए।
  • मध्‍य प्रदेश पर्यटन बोर्ड ने गवर्नमेंट साइंस कॉलेज में चित्रकारी (ड्राइंग) प्रतियोगिता का आयोजन किया और जबलपुर में पर्यटन पर एक कार्यशाला आयोजित की गई, भोपाल स्थित विंड एंड वेव होटल में रंगोली प्रतियोगिता आयोजित की गई, इंदौर स्थित लाल बाग पैलेस में स्‍वच्‍छता अभियान चलाया गया और विदिशा में हेरिटेज वॉक का आयोजन किया गया।

(Source:pib.nic.in)

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सोमवार, 17 सितंबर 2018

भारत भी दुनिया के सर्वाधिक तेजी से विकसित हो रहे पर्यटन देशों में शुमार : के. जे. अल्‍फोंस

केन्‍द्रीय रेल एवं कोयला मंत्री श्री पीयूष गोयल ने आज नई दिल्‍ली में केन्‍द्रीय पर्यटन मंत्री श्री केजे. अल्‍फोंस और मोरक्‍को के पर्यटन मंत्री श्री मोहम्‍मद साजिद की गरिमामयी उपस्थिति में ‘प्रथम’ भारत पर्यटन मार्ट (आईटीएम 2018) का उद्घाटन किया। भारत पर्यटन मार्ट का आयोजन पर्यटन मंत्रालय द्वारा भारतीय पर्यटन एवं आतिथ्य संघों के महासंघ (फेथ) की सहभागिता और राज्‍यों/केन्‍द्र शासित प्रदेशों की सरकारों के सहयोग से 16 सितम्‍बर से लेकर 18 सितम्‍बर, 2018 तक आयोजित किया जा रहा है। इस अवसर पर पर्यटन मंत्रालय में सचिव, इस मंत्रालय के अन्‍य वरिष्‍ठ अधिकारीगण, फेथ के अध्‍यक्ष/सदस्‍य और देश–विदेश के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे।
श्री पीयूष गोयल ने भारत पर्यटन मार्ट का उद्घाटन करते हुए पर्यटन मंत्रालय द्वारा पांच वर्षों के भीतर 100 अरब अमेरिकी डॉलर की एफटीए (विदेशी पर्यटकों का आगमन) राशि के महत्‍वाकांक्षी लक्ष्‍य को प्राप्‍त कर लेने की कामना की।
मंत्री महोदय ने कहा कि जब तक बुनियादी ढांचागत सुविधाओं की स्‍थापना नहीं हो जाएगी, तब तक भारत एक अत्‍यंत पसंदीदा पर्यटन गंतव्‍य के तौर पर नहीं उभर सकता है। उन्‍होंने कहा कि वर्तमान सरकार इन सुविधाओं को विकसित करने में जुटी हुई है जिनमें चौबीसों घंटे विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करना, विभिन्‍न प्रकार की नवीकरणीय ऊर्जा को प्रोत्‍साहित करना और सुदूरवर्ती गंतव्‍यों को बढि़या से जोड़कर कनेक्टिविटी को बेहतर करना शामिल हैं। मंत्री महोदय ने यह भी कहा कि पर्यटन को बढ़ावा देने में जो चीज सबसे ज्‍यादा कारगर साबित होगी वह है सरकार का स्‍वच्‍छता अभियान। इस अभियान से भारत को सभी विदेशी पर्यटकों का पसंदीदा देश बनाने में काफी मदद मिलेगी। पर्यटन क्षेत्र में आमदनी को कई गुना बढ़ाने की क्षमता का उल्‍लेख करते हुए मंत्री महोदय ने कहा कि पर्यटन औपचारिक एवं अनौपचारिक क्षेत्रों में अनगिनत रोजगार अवसर सृजित करता है और यह भारत की नियति बदल सकता है। रेल मंत्री ने यह भी कहा कि देश के युवा इस क्षेत्र में उद्य‍मी, सेवा प्रदाता, उद्यमी इत्‍यादि बन सकते हैं।
इस अवसर पर पर्यटन मंत्री ने घोषणा की कि अन्‍य अंतर्राष्‍ट्रीय पर्यटन मार्ट की तर्ज पर ही अब से हर साल आईटीएम का आयोजन किया जाएगा। उन्‍होंने कहा कि आईटीएम का आयोजन प्रत्‍येक वर्ष सितम्‍बर में किया जाएगा। मंत्री महोदय ने कहा कि भौगोलिक, सांस्‍कृतिक, पारंपरिक, स्‍थापत्‍य कला एवं धर्मों इत्‍यादि में विविधता की दृष्टि से भारत इतना विशाल है कि यहां आने वाले पर्यटक को हर बार नया अनुभव होगा। श्री अल्‍फोंस ने यह भी कहा कि नई ई-वीजा व्‍यवस्‍था के बल पर भारत में आगमन और भी ज्‍यादा आसान हो गया है। ई-वीजा व्‍यवस्‍था अब 166 देशों के लिए खुली हुई है।
भारत पर्यटन मार्ट 2018 में विश्‍व भर जैसे कि उत्तरी अमेरिका, पश्चिमी यूरोप, पूर्वी एशिया, लैटिन अमेरिका, सीआईएस देशों इत्‍यादि से लगभग 225 मेजबान अंतर्राष्‍ट्रीय खरीदार एवं मीडिया कर्मी भाग ले रहे हैं।
लगभग 225 मंडप (स्‍टॉल) विक्रेताओं को उपलब्‍ध कराए गए हैं ताकि वे खरीदारों के साथ बातचीत कर सकें।
(Source:pib.nic.in)

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रविवार, 1 जुलाई 2018

मुंबई के विक्टोरियन गोथिक एवं आर्ट डेको इंसेबल्स विश्व धरोहर संपदा घोषित, भारतीयों के लिए गौरव का पल

मुंबई के विक्टोरियन गोथिक एवं आर्ट डेको इंसेबल्स को बहरीन के मनामा में विश्व धरोहर संपदा घोषित किया गया

एक अन्य ऐतिहासिक उपलब्धि के रूप में, भारत के ‘मुंबई के विक्टोरियन गोथिक एवं आर्ट डेको इंसेबल्स‘ को यूनेस्को की विश्व धरोहर संपदा की सूची में अंकित किया गया। यह निर्णय आज बहरीन के मनामा में यूनेस्को की विश्व धरोहर समिति के 42वें सत्र में लिया गया। जैसीकि विश्व धरोहर समिति ने अनुशंसा की, भारत ने इंसेबल का नया नाम ‘मुंबई के विक्टोरियन गोथिक एवं आर्ट डेको इंसेबल्स‘ स्वीकार कर लिया।
विक्टोरियन गोथिक एवं आर्ट डेको इंसेबल्स के हिस्से के रूप में राजाबाई क्लॉक टावर

भारत मानदंड (2) एवं (4) के तहत, जैसाकि यूनेस्को के संचालनगत दिशानिर्देशों में निर्धारित किया गया है, ‘मुंबई के विक्टोरियन गोथिक एवं आर्ट डेको इंसेबल‘ को विश्व धरोहर संपदा की सूची में अंकित करवाने में सफल रहा है।
इससे मुंबई सिटी अहमदाबाद के बाद भारत में ऐसा दूसरा शहर बन गया है जो यूनेस्को की विश्व धरोहर संपदा की सूची में अंकित है।इस ऐतिहासिक क्षण पर केंद्रीय संस्कृति राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. महेश शर्मा ने मुंबई के निवासियों और पूरे देश को इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर बधाई दी है।
    विक्टोरियन गोथिक एवं आर्ट डेको इंसेबल के हिस्से के रूप में मुंबई विश्वविद्यालय

यह इंसेम्बल दो वास्तुशिल्पीय शैलियों, 19वीं सदी की विक्टोरियन संरचनाओं के संग्रह एवं समुद्र तट के साथ 20वीं सदी के आर्ट डेको भवनों से निर्मित्त है।
यह इंसेम्बल मुख्य रूप से 19वीं सदी के विक्टोरियन गोथिक पुनर्जागरण के भवनों एवं 20वीं सदी के आरंभ की आर्ट डेको शैली के वास्तुशिल्प से निर्मित्त है जिसके मध्य में ओवल मैदान है।  
यह उत्कीर्णन मानदंड (2) एवं (4) के तहत, जैसाकि यूनेस्को के संचालनगत दिशानिर्देशों में निर्धारित किया गया है, किया गया है।

इसके अतिरिक्त, देश के 42 स्थल विश्व धरोहर की प्रायोगिक सूची में हैं और संस्कृति मंत्रालय प्रत्येक वर्ष यूनेस्को को नामांकन के लिए एक संपत्ति की अनुशंसा करता है।

मुंबई के विक्टोरियन गोथिक एवं आर्ट डेको इंसेबल के एक हिस्से के रूप में इम्प्रेस कोर्ट





(Source:pib.nic.in)
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शुक्रवार, 1 जून 2018

डेक्कन रेल सेवा के शानदार 88 साल

‘डेक्कन क्वीन’ रेल सेवा के आज 88 वर्ष संपन्न हुए 

01 जून, 1930 को महाराष्ट्र के दो प्रमुख शहरों के बीच भारतीय रेल की अग्रणी डेक्कन क्वीन रेल सेवा शुरू हुई थी, जो ग्रेट इंडियन पेनिनसूला (जीआईपी) रेलवे की प्रमुख ऐतिहासिक उपलब्धि थी। इस क्षेत्र के दो महत्वपूर्ण शहरों में सेवा प्रदान करने के लिए यह पहली डीलक्स रेलगाड़ी शुरू की गई थी और दक्खन की रानी के तौर पर प्रसिद्ध पुणे शहर के नाम पर इसका नाम रखा गया था।  
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शुरू में रेलगाड़ी में 7 डिब्बों के दो रैक थे। प्रत्येक को लाल रंग के सजावटी सांचों में सिल्‍वर रंग और अन्य पर नीले रंग के सांचों में सुनहरे रंग की रेखा उकेरी गई थी। डिब्बों के मूल रैक की नीचे की फ्रेम का निर्माण इंग्लैंड में, जबकि डिब्बों का ढांचा जीआईपी रेलवे के माटुंगा कारखाने में निर्मित किया गया था।
 शुरूआत में डेक्कन क्वीन में केवल प्रथम और द्वितीय श्रेणी थी। प्रथम श्रेणी को 01 जनवरी, 1949 को बंद कर दिया गया और द्वितीय श्रेणी की डिजाइन दोबारा तैयार कर इसे प्रथम श्रेणी में परिवर्तित किया गया। इसके बाद जून 1955 में इस रेल गाड़ी में पहली बार तृतीय श्रेणी उपलब्ध करायी गई। इसे अप्रैल, 1974 से द्वितीय श्रेणी के तौर पर दोबारा डिजाइन किया गया था। 1966 में मूल रैकों के डिब्बों के स्थान पर इंटीग्रल कोच फैक्ट्री, पैरांबुर द्वारा निर्मित टेलीस्कोप रोधी स्टील के ढांचे वाले डिब्बे लगाए गए। इन डिब्बों में अधिक आराम के लिए इसकी डिजाइन और आंतरिक साज-सज्जा में सुधार किए गए। रैक में डिब्बों की संख्या भी 7 से बढ़ाकर 12 कर दी गई। वर्तमान में इसमें अब 17 डिब्बे हैं।

(Source:pib.nic.in)
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