गणेशपुरी का भगवान नित्यानंद समाधि मंदिर। मुंबई से करीब 80 किलोमीटर दूर पश्चिमी उपनगरी वसई, नालासोपार और विरार के नजदीक। पहाड़ों के बीच स्थित है ये मंदिर। यहां की सबसे खास बात है गर्म पानी का तीन कुंड। इसमें से एक कुंड में कम गरम, दूसरे में उससे ज्यादा और तीसरे में सबसे ज्यादा गरम पानी। कुंड के पानी के बारे में कहा जाता है कि इसमें स्नान करने से सारे चर्म रोग ठीक हो जाते हैं।
यह समाधि मंदिर भीमेश्वर महादेव मंदिर के बगल में है जो कि कफी पहले से वहां पर है। अगर आप धर्म-अध्यात्म में श्रद्धा रखते हैं और साथी ही कुदरत का आनंद उठाना चाहता हैं तो नित्यानंद समाधि मंदिर आपके लिए बिल्कुल सही जगह है।
कैसे जाएं- वसई, नालासोपारा और विरार से यह नजदीक है। मुंबई-अहमदाबाद हाइवे के करीब है ये मंदिर। वसई, नालासोपारा, विरार से सरकारी बस से आप जा सकते हैं। प्राइवेट गाड़ी से भी जाने में कोई दिक्कत नहीं है। मंदिर तक जाने के लिए अच्छी सड़कें हैं। मंदिर जाते समय आपको गांवों और खेती के भी दर्शन हो जाएंगे। गणेशपुरी में रहने की उत्तम व्यवस्था है। बड़ी संख्या में यहां पर लोग भगवान नित्यानंद का दर्शन करने आते हैं। दक्षिण भारत में भी इनकी महिमा अपरंपार है।
कौन हैं भगवान नित्यानंद- माना जाता है कि नित्यानंद काफी साल पहले दक्षिण कर्नाटक में कान्हनगढ़ के पास गुरुवन नामक स्थल में तरुणावस्था में प्रकट हुए थे। कई साल तक दक्षिण भारत में रहने और फिर देशभर में परिभ्रमण करने के बाद मुंबई से सटे वसई के पास वज्रेश्वरी देवी के मंदिर के पास आए। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि पेशवा श्री चिमणाजी अप्पा ने देवी की कृपा से वसई में पुर्तगालियों के विरुद्ध एक युद्ध में विजय प्राप्त करने के बाद यह मंदिर बनवाया था और आसपास के गांवों में से पांच गांव इसकी उचित देखभाल सुनिश्चित करने के लिए दे दिए थे।
बज्रेश्वरी से गणेशपुरी कैसे पहुंचे बाबा- बज्रेश्वरी के समीप अकलोली नामक एक गांव है, जहां रामकुंड नामक गरम पानी के पवित्र कुंड हैं। महाराष्ट्र में अपने शुरुआती दिनों में बाबा अक्सर बज्रेश्वरी और अकलोली में दिखाई देते थे। बाद में भक्तों के अनुरोध करने पर वे बज्रेश्वरी मंदिर से डेढ़ मील दूर, गणेशपुरी में भीमेश्वर महादेव मंदिर के निकट स्थित गरम पानी के कुंड के पास हमेशा के लिए बस गए।
गणेशपुरी नाम कैसे पड़ा- यहां फलों -फूलों से लदे घने जंगल, प्रसिद्ध गरम पानी के कुंड और बज्रेश्वरी में देवी का श्रद्धेय मंदिर है। कहा जाता है कि युगों पूर्व वशिष्ठ मुनि ने यहां पर एक बड़ा यज्ञ किया था। उस समय, परंपरानुसार उन्होंने एक मंदिर में भगवान गणेश की एक प्रतिमा स्थापित की थी-और इस प्रकार इस जगह का नाम गणेशपुरी पड़ा।