बारिश का मौसम हो, आप जिस रास्ते पर चल रहे हों, उसके आसपास हरियाली ही हरियाली हो, झरने की लगातार कलकल की आवाज हो, शहर से दूर शांत माहौल हो, हवा में किसी तरह का प्रदूषण ना हो और साथ ही मन में हो देवों के देव महादेव के दर्शन का उत्साह, तो आप कहां
जाना पसंद करेंगे। चलिए आप सोचिए, लेकिन मैंने तो तय कर लिया है कि मैं तुंगारेश्वर जाऊंगा।
मुख्य सड़क से ज्यों ही आप तुंगारेश्वर इलाके में प्रवेश करेंगे, गाड़ियों की शोर की जगह आप झरने की कलकल की आवाज मंत्रमुग्ध कर देगी। कंकरीट के जंगल के बदले आप कुदरती हरियाली में खो जाएंगे। रास्ता तो पथरीला है लेकिन उसके आसपास के हरे-भरे पेड़-पौधे आपके दिलो-दीमाग को हरा-भरा रखेंगे। यानी झरने की कलकल और हरियाली आपको किसी तरह की दिक्कत का अहसास नहीं होने देंगे।
यहां क्या देखें- यहां पर तुंगारेश्वर महादेवमंदिर हैं तो महादेव का आप दर्शन करें। उनके ही नजदीक माता का मंदिर है। इसके अलावा महादेव मंदिर से करीब सात किलोमीटर ऊपर बालयोगी श्री सदानंद महाराज जी का आश्रम है। वहां पर परशुराम कुंड है। एक बड़ा सा गोशाला है। एक स्थानीय दुकानदार के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी महाराज जी से आश्रम में हेलिकॉप्टर से मिलने आते हैं।
लेकिन हमलोगों को आश्राम तक पैदल ही आना-जाना होता है। कलकल करते झरने हों तो भला उसमें स्नान करने का जी किसका नहीं ललचेगा। झरने का पानी एकदम साफ -सुथरा मिलेगा, तो आप स्नान करना ना भूलें। वहां पर गोमुख स्नान करने का अपना अलग मजा है। महादेवमंदिर के पास आप गोमुख स्नान कर सकते हैं।
अगर साथ में आप खाने-पीने का सामान लेकर नहीं भी जाते हैं तो कोई बात नहीं, क्योंकि वहां पर इन चीजों की कमी नहीं है। रास्ते भर को कुछ न कुछ खाने की चीजें मिल जाएगी।
कैसे जाएं तुंगारेश्वर-
मुंबई से सटे वसई में है तुंगारेश्वर। मुंबई-अहमदाबाद हाइवे पर वसई के पास तुंगार फाटा से अंदर की तरफ रास्ता आपको तुंगारेश्वर पहुंचा देगा।
अगर लोकल ट्रेन से आते हैं तो पश्चिमी उपनगर वसई रोड स्टेशन पर आप उतर जाएं। वसई पूर्व से आप शेयरिंग ऑटो या फिर ऑटो रिजर्व कर वहां जा सकते हैं। वसई-विरार महानगरपालिका का भी आप सहारा ले सकते हैं। वसई स्टेशन से करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर है ये तुंगारेश्वर।
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