गुरुवार, 4 जनवरी 2018

एकदम सस्ते में महाराष्ट्र के अष्टविनायक, देहु, आळंदी, जेजुरी की यात्रा

लंबे समय से महाराष्ट्र के अष्टविनायक के दर्शन का इंतजार था। इंतजार इसलिए क्योंकि मैं पहले दो-तीन बार दर्शन के लिए जाने की कोशिश कर चुका था, लेकिन उसमें कामयाब नहीं हो पा रहा था। ये मौका मिला मुझे 12,13 और 14 मई 2017 को। मुंबई से सटे उपनगर नालासोपारा (पश्चिम) स्थित साईं धाम मंदिर ने मुझे इसका मौका दिया। मेरे घर के पास में ही है ये मंदिर। इस मंदिर के जरिये मैं शिर्डी भी हो आया हूं। ये मंदिर नियमित तौर पर शिर्डी, अष्टविनायक (इसी के साथ  आलंदी, देहू और जेजुरी की भी यात्रा) और साथ ही शेगांव की यात्रा का भी आयोजन करता है। 

पिछले साल इस मंदिर की तरफ से आयोजित शिर्डी यात्रा में शामिल हुआ था। केवल 800 रुपए प्रति व्यक्ति का भुगतान कर। यात्रा के दौरान रहना, खाना, चाय, नाश्ता सब इसी 800 रुपए में शामिल था। हालांकि इस साल शिर्डी यात्रा के लिए शुल्क बढ़ाकर 800 रुपए प्रति व्यक्ति कर दिया गया है। मंदिर की तरफ से शिर्डी यात्रा का जब भी आयोजन किया जाता है, तो वो दो दिनों  के लिए। शनिवार दोपहर एक बजे मंदिर प्रांगण से यात्रियों से सजी बस प्रस्थान करती है और शाम 7 बजे शिर्डी पहुंच जाती है। अगले दिन यानी रविवार शाम 7-8 बजे वापस मंदिर प्रांगण में बस पहुंच जाती है। शनिवार, रविवार को जिनकी छुट्टी रहती है, उनके लिए शिर्डी यात्रा का ये बढ़िया मौका हो सकता है।

ये तो बात हुई शिर्डी यात्रा की। बात फिर से अष्टविनायक यात्रा की करते हैं। शुक्रवार को ये यात्रा शुरू हुई। मंदिर प्रांगण में जाकर सभी यात्रियों को बस में बैठना था। पूरी तैयारी के साथ शुक्रवार सुबह साढ़े पांच बजे मेरे अलावा आसपास के 32 और लोग, जिसमें बस का स्टाफ भी शामिल था, सवार हुए। इसमें मेरे और बस स्टाफ को छोड़ सभी लोग परिवार के साथ थे। 

मालशेज की खूबसूरत वादियों से होते हुए हम लोग सबसे पहले लेण्याद्रि पहुंचे। रास्ते में खाना, नाश्ता, चाय सबकुछ हो रहा था। लेण्याद्रि गणपति की कुछ खास बातें बता दूं। ये गणपति गुफा में विराजमान हैं। यहां पर कई गुफाएं हैं। एक गुफा में गणपति विराजमान हैं। एक गुफा में स्तूप भी मौजूद है।

करीब 300 सीढ़ियां चढ़कर बप्पा का दर्शन किया जाता है। आप ऊपर जाने-आने के लिए पालकी की भी मदद ले सकते हैं। इसके लिए प्रति व्यक्ति आपको 700 रुपए चुकाना होगा। (जब मैं गया था, तब का रेट है)। लेण्याद्रि गणपति के दर्शन के लिए आपको टिकट लेना पड़ेगा। प्रति व्यक्ति टिकट के लिए आपको 15 रुपए देने होंगे। अगर आपके साथ 15 साल से कम उम्र का कोई है, उसके लिए टिकट नहीं लेना पड़ेगा।

> लेण्याद्रि-: गिरिजात्मक, ओझर- विघ्नेश्वर, रांजनगाव-महगणपति की तस्वीरें:
12-05-2017:  सुबह साढ़े 5 बजे बस से साई धाम मंदिर, नालासोपारा पश्चिम से यात्रा के लिए निकले, मालशेज घाट होते हुए सबसे पहले उसी दिन लेण्याद्रि गणपति के दर्शन किये। उस दिन लेण्याद्रि गणपति के अलावा ओझर- विघ्नेश्वर, रांजनगाव-महगणपति के भी दर्शन किए और शाम करीब 9 बजे आळंदी (यहीं पर दो रात धर्मशाला में ठहरे)।




























>थेऊर-चिंतामणि,सिद्धटेक-सिद्धिविनायक,मोरेगाव-मोरेश्वर, जेजुरी (खंडोबा के मंदिर) की तस्वीरें:
13-05-2017: सुबह 6 बजे आळंदी (यहीं पर दो रात धर्मशाला में ठहरे) से बस निकलकर सबसे पहले थेऊर-चिंतामणि फिर उसी दिन सिद्धटेक-सिद्धिविनायक और उसके बाद मोरेगाव-मोरेश्वर और सबसे आखिरी में जेजुरी (खंडोबा के मंदिर) के दर्शन किए। 




























>आळंदी (संत ज्ञानेश्वर का समाधिस्थल) , देहु (संत तुकाराम का गाथा मंदिर और मुख्य मंदिर), पाली-बल्लालेश्वर, महड-वरद विनायक:
14-05-2017: सबसे पहले सुबह 6 बजे आळंदी (संत ज्ञानेश्वर का समाधिस्थल) के दर्शन किये, फिर आळंदी (यहीं पर दो रात धर्मशाला में ठहरे) से करीब सुबह 8 बजे घर्मशाला छोड़ दिए। उस दिन सबसे पहले देहु (संत तुकाराम का गाथा मंदिर और मुख्य मंदिर) के दर्शन किये। फिर उसी दिन पाली-बल्लालेश्वर और सबसे आखिरी में महड-वरद विनायक के दर्शन किए। यहां से शाम करीब साढ़े चार बजे वापस नालासोपारा के लिए प्रस्थान। खंडाला होते हुए उसी दिन शाम के करीब 9 बजे हम लोग साइ मंदिर पहुंच गए, जहां से हमने इस यात्रा की शुरुआत थी। 












संत तुकाराम गाथा मंदिर, देहू



संत तुकाराम गाथा मंदिर, देहू

संत तुकाराम गाथा मंदिर, देहू की दीवारों पर अभंग





संत तुकाराम मुख्य मंदिर, देहू


संत तुकाराम मुख्य मंदिर, देहू








यानी कुल मिलाकर हमने करीब 65 घंटे में 2000 किलोमीटर का सफर तय किया। इसके 2000 रुपए चुकाने पड़े। इतने पैसों में खाना, नास्ता, चाय,  रहना सब शामिल था। स्टाफ समेत 33 लोगों के साथ यात्रा मजेदार रही। देहू में संत तुकाराम का गाथा मंदिर कितनी खूबसूरत है कि जब आप देखेंगे तो देखते रह जाएंगे। वहां पहुंचते ही आपके मुंह से बरबस निकलेगा, वाह..कितना खूबसूरत है। इस मंदिर की दीवारों पर संत तुकाराम की रचनाएं, जिसे अभंग के नाम से जाना जाता है, उकेरी हुई हैं। हम लोग गए तो थे मालशेज घाट की खूबसूरत वादियों से होते हुए, लेकिन वापस लौटे खंडाला होते हुए।

((कभी बारिश में तुंगारेश्वर घूमने का मौका मिले, तो जरूर जाएं



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मंगलवार, 2 जनवरी 2018

Profiles of 6000 artistes recorded in the database of cultural mapping of India project: Dr. Mahesh Sharma

The Government has launched a scheme namely ‘National Mission on Cultural Mapping and Roadmap’ on 29th March, 2017 with the main objectives of talent hunt as well as collection of database of artists, artisans and various art forms across the country by organizing various activities envisaged under its components. The total amount of funds allocated for its implementation is Rs.469.404 Crores spread over a period of three years from 2017-18 to 2019-20.
Till date, profiles of about 6000 artistes have been recorded in the database of Cultural Mapping of India Project. Apart from the said database of Cultural Mapping of India, various programmes under the aforesaid Mission have been successfully conducted on pilot basis in five blocks viz. Govardhan & Chauri Chaura:Uttar Pradesh, Seraikella:Jharkhand, Thanesar:Haryana, and Shimoga:Karnataka  whereby around 944, 654, 1208, 1315 and 2404   artistes respectively has been registered for recording in the said database of Cultural Mapping of India Project.

Total number of Artistes recorded in the database of Cultural Mapping of India Project:

Sl. No.
Name of States/UTs
No. of Artistes
 
Andhra Pradesh
2743
 
Arunachal Pradesh
1002
 
Assam
2
 
Delhi
4
 
Gujarat
3
 
Haryana
2
 
Jammu & Kashmir
75
 
Karnataka
541
 
Madhya Pradesh
9
 
Maharashtra
169
 
Rajasthan
124
 
Sikkim
2
 
Tamil Nadu
1
 
Telangana
715
 
Uttarakhand
1
 
Uttar Pradesh
200
 
West Bengal
407
TOTAL
6000


This information was given by Minister of State (IC) for Culture and Minister of State for Environment, Forest & Climate Change Dr. Mahesh Sharma in a written reply in Lok Sabha today.
(Source: pib.nic.in)

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Festivals of India to showcase Indian Culture organised in 31 countries in 2016-17 & 2017-18 (till date): Dr. Mahesh Sharma

The mandate of the Ministry of Culture is to protect, preserve & promote various forms of folk art and culture throughout the country and to meet this objective, the Government of India has set up seven Zonal Cultural Centres (ZCCs) with headquarters at Patiala, Nagpur, Udaipur, Allahabad, Kolkata, Dimapur and Thanjavur. These ZCCs engage cultural troupes from different States to participate in the major festivals under National Cultural Exchange Programme (NCEP). Under Ek Bharat Shresth Bharat (EBSB) matrix, a Rashtriya Sanskriti Mahotsav was organized from 7th to 13th October, 2017 in various cities of Gujarat viz. Ahmedabad, Vadodra, Rajkot, Somnath and Dwarka.

These ZCCs organize various cultural festivals and programme on regular basis in all the States/UTs of India including Uttar Pradesh. During the last two years, Rashtriya Sanskriti Mahotsavs were organized at New Delhi (in 2015 & 2016), Varanasi (Uttar Pradesh in 2016), Bengaluru (Karnataka in 2017) and Tawang (Arunachal Pradesh in 2017).
Ministry of Culture organizes Festivals of India abroad to showcase the Indian Culture through activities including classical/folk dance, music, theatre, puppetry, cuisine and literary exchange etc. The number of countries where such festivals have been organized during the last two years are as under:

Sl. No.
Year
Number of countries
1.
2016-17
17 
2.
2017-18
14





This information was given by Minister of State (IC) for Culture and Minister of State for Environment, Forest & Climate Change Dr. Mahesh Sharma in a written reply in Lok Sabha today.
(Source: pib.nic.in)


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Portblair Beach, Andman, India II पोर्टब्लेयर बिच, अंडमान, भारत II Tourism II RangaRangIndia

 यह विदेश नहीं भारत है...Portblair Beach, Andman, India II पोर्टब्लेयर बिच, अंडमान, भारत II Tourism II RangaRangIndia