शुक्रवार, 1 जून 2018

डेक्कन रेल सेवा के शानदार 88 साल

‘डेक्कन क्वीन’ रेल सेवा के आज 88 वर्ष संपन्न हुए 

01 जून, 1930 को महाराष्ट्र के दो प्रमुख शहरों के बीच भारतीय रेल की अग्रणी डेक्कन क्वीन रेल सेवा शुरू हुई थी, जो ग्रेट इंडियन पेनिनसूला (जीआईपी) रेलवे की प्रमुख ऐतिहासिक उपलब्धि थी। इस क्षेत्र के दो महत्वपूर्ण शहरों में सेवा प्रदान करने के लिए यह पहली डीलक्स रेलगाड़ी शुरू की गई थी और दक्खन की रानी के तौर पर प्रसिद्ध पुणे शहर के नाम पर इसका नाम रखा गया था।  
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शुरू में रेलगाड़ी में 7 डिब्बों के दो रैक थे। प्रत्येक को लाल रंग के सजावटी सांचों में सिल्‍वर रंग और अन्य पर नीले रंग के सांचों में सुनहरे रंग की रेखा उकेरी गई थी। डिब्बों के मूल रैक की नीचे की फ्रेम का निर्माण इंग्लैंड में, जबकि डिब्बों का ढांचा जीआईपी रेलवे के माटुंगा कारखाने में निर्मित किया गया था।
 शुरूआत में डेक्कन क्वीन में केवल प्रथम और द्वितीय श्रेणी थी। प्रथम श्रेणी को 01 जनवरी, 1949 को बंद कर दिया गया और द्वितीय श्रेणी की डिजाइन दोबारा तैयार कर इसे प्रथम श्रेणी में परिवर्तित किया गया। इसके बाद जून 1955 में इस रेल गाड़ी में पहली बार तृतीय श्रेणी उपलब्ध करायी गई। इसे अप्रैल, 1974 से द्वितीय श्रेणी के तौर पर दोबारा डिजाइन किया गया था। 1966 में मूल रैकों के डिब्बों के स्थान पर इंटीग्रल कोच फैक्ट्री, पैरांबुर द्वारा निर्मित टेलीस्कोप रोधी स्टील के ढांचे वाले डिब्बे लगाए गए। इन डिब्बों में अधिक आराम के लिए इसकी डिजाइन और आंतरिक साज-सज्जा में सुधार किए गए। रैक में डिब्बों की संख्या भी 7 से बढ़ाकर 12 कर दी गई। वर्तमान में इसमें अब 17 डिब्बे हैं।

(Source:pib.nic.in)
(महाबलेश्वर; तीरथ करना हो या नैसर्गिक खूबसूरती का लुत्फ उठाना या फिर इतिहास में झांकना...यहां जरूर आइए

((महाबलेश्वर; खूबसूरती ऐसी कि कैमरा भी तस्वीर लेते-लेते थक जाए, ऐसी खूबसूरती का दीदार भला किसे पसंद नहीं 
((त्र्यंबकेश्वर: तीन लिंगों वाला एकमात्र ज्योतिर्लिंग मंदिर
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((महाबलेश्वर: लॉडविक प्वाइंट की कहानी Mabaleshwar: Lodwick Point Ki Kahani
((महाबलेश्वर-एलिफैंट हेड पॉइंट की खासियत ; Mahabaleshwar-Elephant Head Point
((महाराष्ट्र को मानो: कभी कलंब बिच तो आइये (Kalamb Beach, Nalasopaara)
((कभी बारिश में तुंगारेश्वर घूमने का मौका मिले, तो जरूर जाएं 
((महाराष्ट्र के दहाणू महालक्ष्मी मंदिर: शीतल पवन और हर ओर हरियाली के बीच भक्ति का आनंद 



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गुरुवार, 31 मई 2018

देश में साहसिक पर्यटन (Adventure Tourism ) पर पहला दिशा-निर्देश जारी

पर्यटन मंत्री ने साहसिक पर्यटन पर सरकार का अब तक का पहला दिशा-निर्देश जारी किया 

साहसिक पर्यटन के 15 भूमि आधारित, 7 वायु आधारित और 7 जल आधारित गतिविधियों के लिए दिशा-निर्देश जारी किए गए
Launch of the Indian Adventure Tourism Guidelines by the Minister Of Tourism
Notably 2018 is declared as The Year Of Adventure Travel in India.
 पर्यटन राज्‍य मंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार) श्री के.जे. अल्‍फोंस ने नई दिल्‍ली में आज साहसिक पर्यटन पर भारत सरकार के दिशा-निर्देश जारी किए। साहसिक खेलों को सुरक्षित बनाने की कोशिश के तहत भारत में साहसिक पर्यटन के लिए सुरक्षा और गुणवत्‍ता मानकों वाला जारी यह दिशा-निर्देश एडवेंचरटूर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इण्डिया (एटीओएआई) के सहयोग से बनाए गए।
     पर्यटन मंत्री ने दिशा-निर्देश जारी करते हुए कहा कि भारत में हिमालय से लेकर समुद्र तटों तक साहसिक पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। श्री अल्‍फोंस ने कहा कि ये दिशा-निर्देश भारत में साहसिक पर्यटन को बढ़ावा देने की एक शुरूआत है और उन्‍होंने इसके विकास में शामिल सभी हितधारकों को पूरा सहयोग देने की बात कही, ताकि इस क्षेत्र की संभावनाओं का दोहन किया जा सके। श्री अल्‍फोंस ने यह भी कहा कि इसके लिए वैश्विक स्‍तर की सुविधाएं विकसित की जाएंगी और कुशल सहयोगी कर्मचारी भी तैयार किया जाएंगे।
    इस अवसर पर पर्यटन सचिव श्रीमती रशिम वर्मा ने बताया कि राज्‍य सरकारों, पर्यटन संचालकों जैसे हितधारकों की सलाह से दिशा-निर्देश तैयार किए गए हैं और अब इन्‍हें अपनाने की जरूरत है, ताकि भारत को अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर का प्रशंसित साहसिक पर्यटन स्‍थल बनाया जा सके।
   एटीओएआई के अध्‍यक्ष श्री स्‍वदेश कुमार ने दिशा-निर्देश लाने के लिए मंत्रालय और अन्‍य हितधारकों को धन्‍यवाद दिया और बताया कि उनका संघ आयोजित क्षेत्र में सभी हितधारकों को शामिल करने में रूचि लेगा।
   इस पहल का उद्देश्‍य साहसिक टून ऑपरेटरों को इन सुरक्षित दिशा-निर्देशों को बेहतर तरीके से लागू करने में उनकी रूचि को बढ़ाना है। इन दिशा-निर्देशों के तहत भूमि, वायु और जल आधारित गतिविधियां- पर्वतारोहण, ट्रेकिंग, बंजी जंपिंग, पैराग्लाइडिंग, कयाकिंग, स्‍कूबा डाइविंग, स्नॉर्कलिंग, रिवर राफ्टिंग इत्‍यादि शामिल  हैं। यह दिशा-निर्देश 15 भूमि आधारित, 7 वायु आधारित और 7 जल आधारित गतिविधियों के लिए बनाए गए हैं, जिसमें भारत में उपलब्‍घ सभी साहसिक पर्यटन शामिल हैं।


(Source:pib.nic.in)
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बुधवार, 23 मई 2018

अप्रैल में पर्यटन से विदेशी मुद्रा कमाई 10% बढ़ी -सरकार

अप्रैल 2018 में विदेशी मुद्रा आय में अप्रैल 2017 के मुकाबले 10.2% की वृद्धि दर्ज की गई 
भारतीय रिजर्व बैंक के भुगतान संतुलन के यात्रा मद के क्रेडिट डाटा के आधार पर पर्यटन मंत्रालय भारत में पर्यटन के माध्यम से रुपये और डॉलर के रूप में मासिक विदेशी मुद्रा अर्जन (एफईई) का अनुमान लगाता है।
अप्रैल 2018 के लिए भारत में पर्यटन से विदेशी मुद्रा अर्जन के अनुमानों की मुख्य विशेषताएं नीचे दी गई हैं:
पर्यटन से विदेशी मुद्रा अर्जन (रुपये में)

·        अप्रैल 2017 के 14,260 करोड़ रुपये की तुलना में अप्रैल 2018 के दौरान विदेशी मुद्रा अर्जन 15,713 करोड़ रुपये हुई।
·        अप्रैल 2017 की तुलना में अप्रैल 2018 में विदेशी मुद्रा अर्जन की वृद्धि दर 10.2% फीसदी रही।
·        जनवरी-अप्रैल 2018 के दौरान विदेशी मुद्रा अर्जन जनवरी-अप्रैल 2017 की तुलना में 14.2% वृद्धि के साथ जनवरी-अप्रैल 2017 के 60,079 करोड़ रुपये के मुकाबले 14.2वृद्धि के साथ 68,629 करोड़ रुपये रही।
पर्यटन से विदेशी मुद्रा अर्जन (डॉलर में)

·        अप्रैल 2017 के 2.211 अरब अमेरिकी डॉलर की तुलना में अप्रैल 2018 के दौरान विदेशी मुद्रा अर्जन 2.393 अरब डॉलर रही।
·        अप्रैल 2017 की तुलना में अप्रैल 2018 में विदेशी मुद्रा अर्जन की वृद्धि दर 8.2% फीसदी रही।
·        जनवरी-अप्रैल 2018 के दौरान विदेशी मुद्रा अर्जन जनवरी-अप्रैल 2017 के 9.044 अरब अमेरिकी डॉलर की तुलना में 17.4% वृद्धि के साथ 10.621 अरब अमेरिकी डॉलर रहा। जनवरी-अप्रैल 2017 में जनवरी-अप्रैल 2016 के मुकाबले 17.5% की वृद्धि रही।

(Source:pib.nic.in)

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मंगलवार, 22 मई 2018

अप्रैल में विदेशी सैलानियों का आगमन सालाना 4.4% बढ़ा

अप्रैल 2018 में 7 लाख से अधिक विदेशी पर्यटकों का आगमन, अप्रैल 2017 की तुलना में विदेशी पर्यटकों की संख्या में 4.4% की वृद्धि दर्ज 

अप्रैल 2017 की तुलना में अप्रैल 2018 में ई-टूरिस्ट वीजा पर विदेशी पर्यटकों के आगमन में 37.2% की बढ़ोतरी
पर्यटन मंत्रालय आप्रवासन ब्यूरो से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर विदेशी पर्यटकों के आगमन (एफटीए) और ई-टूरिस्ट वीजा पर आने वाले विदेशी पर्यटकों का मासिक आंकड़ा तैयार करता है। अप्रैल, 2018 के दौरान विदेशी पर्यटकों के आगमन (एफटीए) और ई-टूरिस्ट वीजा पर आने वाले विदेशी पर्यटकों के बारे में निम्नलिखित मुख्य अंश हैं।

विदेशी पर्यटकों के आगमन (एफटीए):
  • अप्रैल, 2017 में 7,17,899 की तुलना में अप्रैल, 2018 में 4.4% की वृद्धि दर्ज करते हुए 7,49,477 विदेशी पर्यटक आए।

  • जनवरी-अप्रैल, 2017 में 34,98,969 की तुलना में जनवरी-अप्रैल 2018 में 10.8% की वृद्धि दर्ज करते हुए 38,76,021 विदेशी पर्यटक आए।

  • अप्रैल, 2018 के दौरान भारत में विदेशी पर्यटकों के आगमन की प्रतिशत हिस्सेदारी शीर्ष 15 स्रोत देशों बांग्लादेश (24.32%), अमेरिका (11.21%), ब्रिटेन (9.14%), श्रीलंका (3.48%), ऑस्ट्रेलिया (3.33%), मलेशिया (3.06%), चीन (2.62%), कनाडा (2.53%), जर्मनी (2.48%), फ्रांस (2.33%), जापान (2.22%) रूसी महासंघ (2.07%), थाईलैंड (1.70%), अफगानिस्तान (1.65%) और नेपाल (1.64%) में सर्वोच्च रही।

  • अप्रैल, 2018 के दौरान भारत में विदेशी पर्यटकों के आगमन की प्रतिशत हिस्सेदारी 15 शीर्ष बंदरगाहों में सर्वोच्च रही। इनमें सबसे अधिक दिल्ली हवाई अड्डा (28.75%), उसके बाद मुंबई हवाई अड्डा (14.46%), हरिदासपुर लैंड चेक पोस्ट (11.40%), चेन्नई हवाई अड्डा (7.44%), बेंगलुरू हवाई अड्डा (5.81%), कोलकाता हवाई अड्डा (5.58%), कोचीन हवाई अड्डा (4.21%), हैदराबाद हवाई अड्डा (2.64%), गेडे रेल लैंड चेक पोस्ट (2.63%), गोवा हवाई अड्डा (2.30%), गोजडंगा लैंड चेक पोस्ट (1.63%), अहमदाबाद हवाई अड्डा (1.28%), त्रिवेन्द्रम हवाई अड्डा (1.21%), अमृतसर हवाई अड्डा (1.06%) और चितपुर रेलवे स्टेशन (0.99%) की हिस्सेदारी रही है।

ई-टूरिस्ट वीजा पर आने वाले विदेशी पर्यटक:
  • ई-टूरिस्ट वीजा पर अप्रैल, 2017 के दौरान 1,14,469 की तुलना में अप्रैल, 2018 के दौरान 37.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करते हुए 1,57,094 विदेशी पर्यटक आए।

  • ई-टूरिस्ट वीजा पर जनवरी-अप्रैल 2017 के दौरान 5,81,783 की तुलना में जनवरी-अप्रैल 2018 में 57.9 फीसदी की वृद्धि दर्ज करते हुए 9,18,792 विदेशी पर्यटक आए।

  • अप्रैल 2018 के दौरान ई-टूरिस्ट वीजा सुविधा का लाभ ले रहे 15 स्रोत देशों में विदेशी पर्यटकों के आगमन की सबसे अधिक प्रतिशत हिस्सेदारी ब्रिटेन (16.3%) की दर्ज की गई। इसके बाद अमेरिका (11.0%), चीन (5.8%), ऑस्ट्रेलिया (5.5%), फ्रांस (5.3%), थाइलैंड (4.3%), जर्मनी (4.0%), कनाडा (3.5%), ओमान (3.2%), रूसी महासंघ (3.0%), मलेशिया (2.2%), इटली (2.1%), दक्षिण अफ्रीका (1.8%), स्पेन (1.8%) और कोरिया गणराज्य (1.7%) का स्थान रहा।

  • अप्रैल 2018 के दौरान ई-टूरिस्ट वीजा पर पर्यटक आगमन में 15 शीर्ष बंदरगाहों की प्रतिशत हिस्सेदारी सबसे अधिक नई दिल्ली हवाई अड्डे से (46.2%) रही। इसके बाद मुंबई हवाई अड्डा (17.4%), बेंगलुरू हवाई अड्डा (6.8%), चेन्नई हवाई अड्डा (6.1%), दाबोलिम (गोवा) हवाई अड्डा (4.5%), कोच्चि सीपोर्ट (4.4%), कोच्चि हवाईअड्डा (3.4%), हैदराबाद हवाई अड्डा (2.5%), कोलकाता हवाई अड्डा (2.4%), अमृतसर हवाई अड्डा (1.3%), त्रिवेन्द्रम हवाई अड्डा (1.1%), जयपुर हवाई अड्डा (1.0%), अहमदाबाद हवाई अड्डा (1.0%), त्रिचि हवाई अड्डा (0.5%) और कालीकट हवाई अड्डा (0.4%) का स्थान रहा।

(Source:pib.nic.in)

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सोमवार, 21 मई 2018

लोक संगीतप्रेमियों को सौगात, लुप्त हो रहे लोक संगीत को बचाने के लिए सरकार का सराहनीय प्रयास

आई.जी.एन.सी.ए. में “संजारी: एक भारत – श्रेष्ठ भारत” की सातवीं श्रृंखला का आयोजन 
संस्‍कृति मंत्रालय का इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केंद्र अपने 30 वे स्थापना दिवस से शुरू “संजारी: एक भारत – श्रेष्ठ भारत” श्रृंखला का हर माह सफल आयोजन कर रहा है। केंद्र का प्रयास है की देश के विभिन्न भागों के लुप्त हो रहे लोक संगीत हर माह दिल्ली में आम श्रोताओं के लिए उसके असल रूप में उपलब्ध करवाया जाये ताकि ये लोक संगीत अपना वजूद कायम रख सके और नयी पीढ़ी तक अपने असल रूप में पहुँच सके |  केंद्र “संजारी: एक भारत – श्रेष्ठ भारत” के अभी तक 6 सफल आयोजन कर चुका है जिसमे अरुणाचल, बिहार व राजस्थान, गोवा, तमिलनाडु, जम्मू कश्मीर के लोक कलाकार अपनी प्रस्तुति दे चुके हैं | केंद्र द्वारा प्रति मास आयोजित इस “संजारी: एक भारत – श्रेष्ठ भारत” की 7 वीं श्रृंखला में उत्तराखंड की लोक गायिका पद्मश्री बसंती बिष्ट एवं कर्नाटक के जोगीला सिद्धूराजू ने अपनी प्रस्तुति दी |
19 मई को इस श्रृंखला के प्रथम सत्र में उत्तराखंड की प्रथम महिला जागर गायिका बसंती बिष्ट ने अपनी टीम के साथ समां बांधा, जिसमे उन्होंने उत्तराखंड के वैदिक संस्कार से जुड़े मांगलिक गीतों एवं लोकगीतों की प्रस्‍तुति दी|
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(उत्तराखंड की प्रथम महिला जागर गायिका बसंती बिष्ट अपने साथी कलाकारों के साथ प्रस्‍तुति देते हुए)

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(जागर गायिका बसंती बिष्ट प्रस्‍तुति देते हुए)
20 मई को इस श्रृंखला के दूसरे सत्र में कर्नाटक के लोक कलाकार श्री जोगीला सिद्धूराजू ने अपनी प्रस्तुति दी | जोगीला सिद्धूराजू कर्नाटक के लोक गायक हैं संगीत इन्हें विरासत में मिला, ये बचपन से लोक गीत गाते रहे हैं। श्री जोगीला सिद्धूराजू ने कार्यक्रम के दौरान दक्षिण भारत के विभिन्‍न लोकगीतों और लोकगाथाओं को प्रस्‍तुत किया।
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(दक्षिण भारतीय लोक कलाकार श्री जोगीला सिद्धूराजू अपने साथी कलाकारों के साथ प्रस्‍तुति देते हुए)
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(दक्षिण भारतीय लोक कलाकार श्री जोगीला सिद्धूराजू प्रस्‍तुति देते हुए)


(स्रोत-पीआईबी)
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भारतीय रेल के भव्य स्टेशन, छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस भवन के 130 वर्ष


छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (पूर्व में विक्टोरिया टर्मिनस) ने 20 मई, 2018 को अपने निर्माण के 130 वर्ष पूरे कर लिए हैं। मध्य रेल का मुख्यालय भवन जिसका लोक प्रिय नाम विक्योरिया टर्मिनस (अब छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस) है, वास्तु-कला का उत्कृष्ट नमूना है। प्रारम्भ में इस भव्य भवन में जीआईपी (ग्रेट इंडियन पेनिसुलर) रेलवे का कार्यालय स्थापित करने की योजना बनाई गई थी। ताज महल के पश्चात् यह इस भवन के सबसे अधिक फोटो खीचे जाते हैं। इस भवन का डिजाइन वास्तुकार फ्रेडरिक स्टीवेंस ने तैयार किया था। इसके निर्माण में एक दशक का समय लगा तथा 16,13,863 रूपये की लागत आई। स्टीवेंस के द्वारा डिजाइन किए गए इस ऐतिहासिक टर्मिनस को उस समय एशिया के सबसे बड़े भवन का दर्जा हासिल था।

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इसका निर्माण 1878 में शुरू हुआ और 1887 में महारानी विक्टोरिया के नाम पर इसका नाम विक्योरिया टर्मिनस रखा गया। 1996 में इसका नाम बदलकर छत्रपति शिवाजी टर्मिनस रखा गया। जुलाई 2017 में इसका नाम छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस रखा गया। 2004 में यूनेस्को ने इस भवन को वास्तु कला की उत्कृष्टता के लिए विश्व विरासत की सूची में स्थान दिया। दिसंबर 2012 से इस विरासत भवन को सभी कार्य दिवस में लोगों के भ्रमण के लिए खोला गया है।
शिवाजी महाराज टर्मिनस (पहले विक्टोरिया टर्मिनस) का निर्माण 16.14 लाख रुपये की लागत से किया गया था। गॉथिक शैली में डिजाइन किए गए इस भवन को भारतीय संदर्भ के अनुरूप निर्मित किया गया था। यह एक सी-आकार की इमारत है जिसका निर्माण पूर्व पश्चिम धुरी पर समरूप तरीके से किया गया है। पूरी इमारत का सर्वोत्कृष्ट बिंदु मुख्य गुंबद है। इस पर एक विशाल महिला की आकृति (16 फुट 6 इंच) है। उसके दाहिने हाथ में एक ज्वलंत मशाल है जो ऊपर की ओर इशारा करता है और बाएं हाथ में एक कमानीदार पहिया है जो 'प्रगतिका प्रतीक है। इस गुंबद को पहला अष्टकोणीय धारीदार चिनाई गुंबद माना जाता है जिसे इतालवी गॉथिक शैली की इमारत के अनुरूप बनाया गया था।
1929 में इस स्टेशन में 10.4 लाख रुपये की लागत से 6 प्लेटफॉर्म बनाए गए। पहले पुनर्निर्माण के पश्चात् प्लेटफॉर्मों की संख्या 13 हो गई। यार्ड और स्टेशन में फिर कुछ बदलाव किए गए। 1994 में प्लेटफॉर्मों की संख्या 15 हो गई। अभी इस स्टेशन में 18 प्लेटफॉर्म हैं। पूर्व से प्रवेश करने के लिए खुली जगह है। अप्रैल 2018 में प्लेटफॉर्म संख्या 18 के बगल में एक विरासत गली का निर्माण किया गया है। इसमें जीआईपी हेरिटेज इलेक्ट्रिक लोको, सर लेजली विल्सन तथा अन्य विरासत की वस्तुएं प्रदर्शित की गई हैं।
छत्रपति शिवाजी टर्मिनस भवन के शताब्दी समारोह के दौरान एक डाक टिकट जारी किया गया था। 2013 में भवन के 125 वीं वर्षगांठ के अवसर पर एक विशेष डाक कवर जारी किया गया था।
(स्रोत-पीआईबी)








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Mahabodhi Mandir, Bodh Gaya: कैसे जाएं, कहां ठहरें, कहां कहां घूमें

महाबोधि मंदिर; वह ऐतिहासिक जगह जहां गौतम बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था Mahabodhi Temple, Where the Buddha is said to have attained enlighte...