मंगलवार, 5 दिसंबर 2017

महाराष्ट्र का मनोरम कोंकण किनारा देखेंगे, तो गोवा भूल जाएंगे, कोंकण की हर खूबसूरती तस्वीरों में देखिये

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                                                         जरा कल्पना कीजिए, आप समुद्र किनारे बैठे हैं और आपके पीछे नारियल, सुपारी के अलावा कई दूसरे हरे-भरे पेड़ों के बगान हैं और साथ में हैं समुद्र का किनारा और उसके किनारे मनोरंजन और रोमांच से भर देने की तमाम सुविधाएं, मसलन वाटर बाइक, बनाना वोट, पैरा ग्लाइडिंग, ऊंट राइडिंग, घोड़ागाड़ी राइडिंग,  इत्यादि। कैसा लगा सुनकर। जरूर आप रोमांच से भर उठे होंगे और अगर आपके पास छुट्टी होगी तो जरूर वैसी जगहों पर जाने की आपने योजना भी बना ली होगी। जब मेरे एक दोस्त ने मुंबई से करीब पांच घंटे की दूरी पर स्थित रायगड़ जिले के दिवेआगर, जो कि कोंकण किनारा का ही हिस्सा है, के बारे में जानकारी दी, तो मैं वहां जाने के लिए फौरन तैयार हो गया और अगली सुबह ही महाराष्ट्र स्टेट ट्रांसपोर्ट की बस से दिवेआगर के लिए प्रस्थान कर गया।






कोंकण किनारा पर दिवेआगर के अलावा भी कई ऐसी जगह आपको मिल जाएगी, जहां जाने के बाद आपको लगेगा कि काश, वहां पहले जा पाता। ये ऐसी जगह हैं जहां जाकर आप गोवा को भूल जाएंगे। महाराष्ट्र का कोस्टल इलाका कोकण के नाम से जाना जाता है। इसमें रायगड के साथ-साथ रत्नागिरी और सिंधुदुर्ग जिले भी शामिल हैं। आप यहां नेचर को निहार सकते हैं। कुदरत का ऐसा करिश्मा हैं यहां कि आप यहां से जाने के नाम नहीं लेंगे। इन किनारों पर समुद्र की लहरें आपको बार-बार रुकने के लिए मजबूर करेगी, तो वहीं सुपारी, नारियल, आम, काजू के हरे-भरे बगीचे आपको जन्नत का अहसास कराएंगे। कुदरत के करिश्मा से कम नहीं है कोंकण किनारा। 
कुदरत का लुत्फ उठाने के साथ ही अगर आप भगवान की भक्ति का भी शौक रखते हैं तो इन किनारों पर कई ऐसे मंदिर मिलेंगे, जहां आप दर्शन करके अपने-आपको भाग्यशाली समझेंगे। अगर आपकी रुचि इतिहास या भूगोल में है, तो यहां आपको जानकारी बढ़ाने के लिए बहुत सारी चीजें मिल जाएंगी।   

कोंकण किनारा की मशहूर जगहें: अलिबाग, मुरुड, जंजीरा, दिघी, दिवे आगर, श्रीवर्धन, हरिहरेश्वर, बाणकोट, हर्णे, दाभोल, गुहागर, वेळणेश्वर, हेदवी, जयगड, मालगुंड, गणपतिपुळे, पावस, पुर्णगड, कशेळी, जैतापुर, विजयदुर्ग, देवगड़ इत्यादी। 

सफर के साधन: बस, ऑटो, कार, फेरीबोट, पैदल 

कहां रुकें: होटल, गेस्ट हाउस, रेस्ट हाउस, रिसोर्ट, स्थानीय लोगों के घरों में (कुछ लोगों ने अपने घरों में पर्यटकों को ठहरने की व्यवस्था कर रखी है।)

कितने दिनों की छुट्टी लें: कोंकण किनारा की मुख्य-मुख्य जगहों को देखने के लिए कम से कम सात दिनों की छुट्टी तो ले हीं।

कैसे जाएं : खुद की गाड़ी से जाएं या फिर मुंबई से बस के जरिए भी कोंकण किनारा जाया जा सकता है। स्टेट ट्रांसपोर्ट की बस के अलावा निजी बस का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। 

अंदरुनी इलाकों में जाने के लिए आपको पैदल चलना पड़ सकता है या फिर ऑटो का इस्तेमाल करना बेहतर होगा। अगर आप अपनी गाड़ी से जाना चाह रहे हों तो फिर कोई बात ही नहीं। 

गाइड कितना जरूरी: धूमने के दौरान गाइड आपको कई तरह से मदद कर सकता है। गाइड से आपका पैसा और समय तो बचेगा ही, साथ ही कोई भी मशहूर जगह को देखने से आप वंचित नहीं रह पाएंगे। लेकिन, गाइड भरोसेमंद होना चाहिए। मैं खुशनसीब हूं कि मुझे ऐसे गाइड का मार्गदर्शन मिला। गाइड के सान्निध्य का ही कमाल था कि मैं चार दिनों में महज दो हजार रुपए खर्च कर कोंकण किनारा की ज्यादातर मशहूर जगहों का लुत्फ उठा पाया। 

कोंकण किनारे का लुत्फ उठाने की अब मैं अपनी बात करता हूं। मैं काफी दिनों से कोंकण किनारा धूमना चाह रहा था। ऑफिस से मैंने 15 दिनों की छुट्टी ली और अपने पड़ोसी डॉक्टर डॉ.अभिषेक सिंह से अपने मन की बात कही। उन्होंने मुझे अपने ससूर के बताया जो कि घूमने-फिरने के काफी शौकीन हैं और वो टूर भी अरेंज करते रहते हैं। महाराष्ट्र के मशहूर जगहों की उनकी जानकारी के बारे में पुछिए मत। स्टेट ट्रांसपोर्ट में सालों तक सेवा देने के बाद हाल ही में वो रिटायर हुए हैं। सो, बस रुट के बारे में भला उनकी जानकारी के क्या कहने। डॉक्टर साहब के ससूर से बात हुई और अगले दिन ही हम निकल पड़े कोंकण किनारा टूर पर। 

नालासोपार से बोर्ली पंचायत:  मुंबई से कुछ ही दूरी पर ठाणे जिले के नालासोपारा में मेरा घर है। यहां से स्टेट ट्रांसपोर्ट की बस सूबे के कई शहरों में जाती है। सुबह साढ़े पांच बजे नालासोपारा-श्रीवर्धन बस पकड़कर मैं पहुंच गया बोर्ली, जहां दिवेआगर है। दिवेआगर सी बिच से पहले मैं गोवा और मुंबई का सी-बिच देख चुका था। लेकिन, जब नारियल, सुपारी के बगीचे के बीच से होकर दिवेआगर सी बिच पहुंचा, तो मैं इसे देखकर हैरान रह गया। मुझे लगा कि अभी तक इतनी खूबसूरत और रोमांचित करने वाली जगह से अन्जान कैसे था। मुझे तो दिवेआगर के सामने गोवा और मुंबई के सी बिच फीका लगने लगे। 




दिवेआगर में अगर समुद्र के किनारों पर लुत्फ उठाने के लिए पैरा ग्लाइडिंग, वाटर बाइक, बनाना वोटिंग, ऊंट राइडिंग, घोड़ागाड़ी राइडिंग, जैसी तमाम सुविधाएं हैं तो वहीं रहने, खाने-पीने के लिए उत्तम इंतजाम। यहां नारियल और सुपारी के बगीचे में आप रहने का लुत्फ उठा सकते हैं। कई रिसोर्ट में आपको झूला, स्विमिंग पूल भी मिलेंगे। दिवेआगर में गणपति का मशहूर मंदिर भी है। दिवेआगर के ठीक बगल में दिघी पोर्ट है और उसके बगल में जंजीरा और अलीबाग। 

दिवेआगर से श्रीवर्धन: दिवेआगर से श्रीवर्धन का सफर बहुत ही रोमांचकारी रहा। दिवेआगर से श्रीवर्धन के लिए दो सड़कमार्ग हैं। एक सड़क तो समुद्र के ठीक किनारे है, लेकिन इस मार्ग से बस नहीं जाती है, केवल ऑटो या फिर आप अपनी गाड़ी से जा सकते हैं। हमलोग ऑटो पकड़कर समुद्र किनारे वाले सड़क मार्ग के जरिए श्रीवर्धन के लिए रवाना हुए। इस मार्ग पर पहाड़, सड़क और समुद्र का अनूठा संगम, आपके रोम-रोम में नई ऊर्जा और उत्साह भरने के लिए काफी है। श्रीवर्धन में समुद्र के किनारे हरिहरेश्वर मंदिर है, जिसकी कहानी महाभारत काल से जुड़ी है। कहा जाता है कि पांडवों ने महाभारत के युद्ध में मारे गए लोगों का अंतिम संस्कार यहीं किया था। अभी तक हम रायगड जिले में हैं। लेकिन, अब रत्नागिरी जिले की ओर रुख करने वाले हैं। 





















श्रीवर्धन से रत्नागिरी: श्रीवर्धन से फेरीबोट के जरिए हम महज 15 मिनट में रत्नागिरी जिले में प्रवेश कर गए लेकिन अगर बस से हम सफर करते हैं तो वहां प्रवेश करने के लिए हमें करीब 200 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है। हरिहरेश्वर मंदिर से कुछ ही दूरी पर बागमांडले है जहां से फेरीबोट पकड़ कर समुद्र पार कर हमलोग पहुंचे रत्नागिरी जिले के बाणकोट में, जहां शिवाजी का किला बना हुआ है। किले के पास ही आम का शानदार बगीचा है। इस किले से रायगड और रत्नागिरी  जिले के समुद्र के किनारों में नजर रखी जा सकती है। बाणकोट किला से हमलोग ऑटो के सहारे आंजर्ले के मशहूर गणपति मंदिर पहुंचे। ये मंदिर पहाड़ के आगे निकले हुए भाग में बना है।




















इस गणपति मंदिर के दर्शन के बाद हम पहुंचे हर्णे बंदरगाह। रत्नागिरी के इस बंदरगाह पर मछलियों की नीलामी होती है। हर्णे में एक लाइटहाउस भी है और समुद्र में एक फोर्ट भी है। हर्णे में अब शाम हो चुकी है। यहां ठहरने की उत्तम व्यवस्था है। हमलोग यहां ठहर सकते हैं लेकिन मछलियों की बदबू की वजह से यहां ठहरने की योजना रद्द कर हमलोग दापोली जाना बेहतर समझे। तो हर्णे में हमलोगों ने मैक्सी पकड़ी और पहुंच गए दापोली। रात्रिविश्राम हमलोगों ने यहां किया। 














दापोली से दाभोल, गुहानगर: कोंकण दौरे का दो दिन हम पूरे कर चुके हैं और अब तीसरे दिन में प्रवेश करने वाले हैं। अब भी हम रत्नागिरी जिले में ही हैं और समुद्र किनारों और पहाड़ों का ही लुत्फ उठा रहे हैं। हरियाली तो खैर पूछिए मत। ऐसा लगता है मानो कुदरत का इन इलाकों पर विशेष कृपादृष्टि है। तीसरे दिन दापोली में हम फिर से फेरीबोट का सहारा लेते हैं और पहुंच जाते हैं दाभोल। समुद्र में से ही विवादित दाभोल बिजली परियोजना नजर आ जाती है। विवादित परियोजना से 6-8 किलोमीटर के दायरे में है तालकेश्वर लाइटहाउस, शिवाजी का गोपालगढ़ का किला और पुराना मंदिर। शिवाजी का गोपालगढ़ किला आम और काजू के बगीचे में बदल दिया गया है। करीब साढ़े सात एकड़ में फैले इस किले में अब दीवारें ही शेष बचीं हैं। खाने का कार्यक्रम बीच-बीच में चलता रहता है। दाभोल से शेयरिंग ऑटो के जरिए हरे-भरे पहाड़ी रास्तों से होते हुए अब पहुंचे गुहागर। गुहागर के हेदवे में श्रीलक्ष्मी दशभूज गणपति मंदिर के दर्शन किए।  अब तक करीब शाम के चार बज चुके हैं और अभी रत्नागिरी के ही गणपतिपुळे मंदिर और उसके आगे पावस के स्वामी स्वरूपानंद समाधि मंदिर का दर्शन करना अभी बाकी है। 














गुहागर में एक बार फिर से हमे फेरीबोट का सहारा लेना पड़ा। फेरीबोट से सफर कर हम पहुंचे शिवाजी के जयगड फोर्ट, जहां अब जयगड पोर्ट बन चुका है। यहां से स्टेट ट्रांसपोर्ट की बस से हम गणपतिपुळे मंदिर पहुंचे। इस समय करीब शाम के सात-आठ बज चुके हैं। मंगलवार होने की वजह से वहां पहुंचते हीं हमलोग भगवान के दर्शन करना जरूरी समझते हैं। भगवान के दर्शन के बाद हम रात्रि विश्राम के लिए ठिकाना ढूंढते हैं। हम सस्ता ठिकाना ढूंढने में कामयाब होते हैं। अगले दिन फिर हम गणपतिपुळे मंदिर के दर्शन करते है। मंदिर के दर्शन के बाद हम वहां से कुछ मालगुंडी जाते हैं जहां मराठी के मशहूर कवि कवि केशवसुत यानी कृष्णाजी केशव दामले का स्मारक है। 

















केशवसुत के स्मारक को देखने के बाद अब रत्नागिरी शहर जाने की बारी है। गणपतिपुळे मंदिर से कुछ ही दूरी पर है स्टेट ट्रांसपोर्ट का स्टैंड, जहां से हम पकड़ते हैं रत्नागिरी के लिए बस। 





दोपहर के करीब दो बजे हम रत्नागिरी पहुंचते हैं। रत्नागिरी में सबसे पहले हम बस से पावस जाते हैं जहां पर संत स्वामी स्वरुपानंद का समाधि मंदिर है। स्वामी के मंदिर के दर्शन के बाद हम रत्नागिरी बस से वापस लौटते हैं। रत्नागिरी बस स्टैंड से ही हम थिबा पैलेस घूमने के लिए निकल जाते हैं। थिबा बर्मा आज के म्यांमार के शासक थे जिसे अंग्रेजों ने 19 वीं शताब्दी में  यहीं पर नजरबंद कर दिया था। कोंकण का चार दिनों का हमलोगों के दौरे का ये आखिरी स्थल था लेकिन कोंकण यहीं खत्म नहीं होता है। आपकी यादों में कोंकण की यह खूबसूरती हमेशा बसी रहेगी।

>सिंहगढ़ किला, पुणे: ट्रैकिंग के साथ साथ इतिहास पर गर्व करने वाली जगह

(जीवदानी मंदिर के ऊपर से आसपास के इलाकों के खूबसूरत नजारे 
(जीवदानी मंदिर के ऊपर से आसपास के इलाकों के खूबसूरत नजारे 
((जीवदानी मंदिर (विरार, महाराष्ट्र) के पिंजड़े के चहकते परिंदे
((जीवदानी मंदिर परिसर स्थित महाकाली मंदिर, काल भैरव मंदिर
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((जीवदानी मंदिर, विरार (पूर्व), महाराष्ट्र; Jivadani Mandir, Virar (East), Maharashtra
(शानदार और यादगार ट्रिप: अक्कलकोट- गाणगापुर-सोलापुर- तुलजापुर-सिद्देश्वर-पंढरपुर-मिनी तिरुपति
(शिवयोगी सिद्धेश्वर मंदिर (अंदर से); Shivyogi Siddheshwar Mandir, Solapur, Maharashtra
(शिवयोगी सिद्धेश्वर मंदिर, सोलापुर, महाराष्ट्र (बाहर से); Shivyogi Siddheshwar Mandir, Solapur, Maharashtra
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(श्री भैरवनाथ मंदिर, दौंडज, कदमबस्ती, पुणे; Shri BhairavNath Mandir, Daundaj, Pune
(शिवयोगी सिद्देश्वर मंदिर रेप्लिका, सोलापुर; Shivyogi Siddheshwar Temple Replica, Solapur 
(तुलजा भवानी मंदिर, तुलजापुर, उस्मानाबाद, महाराष्ट्र ; Tulja Bhavani Mandir, Tuljapur, Maharashtra
(श्री शिवयोगी सिद्देश्वर मंदिर (सोलापुर) के बारे में क्या कहते हैं श्रद्धालु
(भक्त निवास, अक्कलकोट, महाराष्ट्र; Bhakt Niwas, Akkalkot, Maharashtra
((श्री स्वामी समर्थ मंदिर, अक्कलकोट,  Shri Swami Samarth Temple, Akkalkot
(श्री दत्तात्रेय भगवान का मंदिर, गाणगापुर, Shri Duttatreya Temple, Ganagapur, Kalburgi, Karnataka
( इच्छापूर्ति औदुंबर वृक्ष, गाणगापुर,  Holy Audumbar Tree, Ganagapur, Kalburgi, Karnatka
((भीमा-अमरजा संगम, गाणगापुर, कर्नाटक Prayagraj of Ganagapur, Kalburgi, Karnataka
(Nehru Centre, Worli, Mumbai (नेहरू सेंटर, वर्ली, मुंबई); क्या देखें, कैसे पहुंचें 
(कबड्डी खिलाड़ियों को भी भाता है Akloli (अकलोली) का गर्म पानी का कुंड
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(Mumba Devi Mandir, Mumbai; मुंबा देवी मंदिर, मुंबई
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((The Fishing Community of Arnala Bunder, Virar, Maharashtra
((Arnala Fort: Attarctive Tourist Spot: How to reach
((Nasik to Igatpuri; Everywhere Greenary
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((Igatpuri Station, Maharashtra
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(Village of Freedom Fighters, ignored by Govt Part 3; Amokhar, Bihar
(Village of Freedom Fighters, ignored by Govt Part 2; Amokhar, Bihar
(Village of Freedom Fighters, ignored by Govt Part 1; Amokhar, Bihar
(Girgaon Beach, Mumbai in Evening: गिरगांव चौपाटी, मुंबई शाम का नजारा 
(Antilia, Mumbai: एंटीलिया, मुंबई
((Jaslok Hospital, Mumbai: जसलोक अस्पताल, मुंबई
(Girgaum Chowpatty, Mumbai@7pm, गिरगांव चौपाटी, मुंबई
((Pachu Bandar, Vasai, Maharashtra, पाचू बंदर, वसई, महाराष्ट्र
((Chimaji Appa Memorial, Vasai; चिमाजी अप्पा स्मारक, वसई, महाराष्ट्र
((Vasai Court, Maharashtra; वसई कोर्ट, महाराष्ट्र
((Vasai station to Vasai Court & Vasai Fort by Auto; वसई स्टेशन से वसई फोर्ट और वसई फोर्ट ऑटो से)
((Vasai Fort, Maharashtra; वसई किला, महाराष्ट्र
((Vasai Road Station (BSR);वसई रोड स्टेशन 







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