रविवार, 15 जून 2025

Mahakal (Ujjain), Omkareshwar Jyotirling का Memorable दर्शन

Memorable Darshan of Mahakal (Ujjain) and Omkareshwar Jyotirling. मेरा अपनी दोस्त के साथ 24 मई 2025 से 28 मई 2025 तक मध्य प्रदेश के उज्जैन के महाकाल और ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग का दर्शन काफी यादगार और शानदार रहा। आप भी हमारे साथ चलिये इन ज्योतिर्लिंग का दर्शन करने।




-केदारनाथ-बद्रीनाथ का परिवार के साथ दिव्य, आध्यात्मिक, शांतिमय और यादगार Road Trip II Kedarnath II Badrinath II RoadTrip II Nature II RangaRangIndia Ii




>Nathula Trip: नाथूला का ना भूलने वाला सफरनामा; मुंबई के सुशांत द्विवेदी का रोमांचक ट्रिप

>पेड़ को पानी चढ़ाते देखा है आपने! यहां देखिये LIVE 




-Murudeshwar Beach, Karnataka देखेंगे तो Mumbai, Goa Beach भूल जाएंगे

-Film City, Goregaon East, Mumbai का नजदीकी लोकल और मेट्रो स्टेशन

-Nirmal Kshetra Mela की महिमा अपार, लाखों लोगों का मिलता है प्यार

-ये केला खायेंगे तो अंजीर भूल जायेंगे...

Mamleshwar Jyotirlinga, Omkareshwar, MP I ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग, ओंकारेश्वर, खंडवा मध्य प्रदेश I 

ओंकारेश्वर और महाकाल ज्योतिर्लिंग के दर्शन का आनंद, मुंबई के सुशांत का सफरनामा  I Mahakal I Omkareshwar I Ujjain I Jyotirling I

-Speed Boat Riding Charge II Rajodi Beach II Nallasopara

-Amazing Mumbai Pune BhimaShankar Jyotirling Trip II मुंबई-पुणे-भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग-मुंबई का अद्भूत ट्रिप 

-BhimaShankar Jyotirlinga, Pune Unsung Stories II भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग, पुणे की अनसुनी कहानियां 

-BhimaShankar Road, Pune II भीमाशंकर रोड, पुणे II Pune Nashik Highway To BhimaShankar Temple 

-Pune Nashik Highway, Pune II पुणे नासिक हाइवे, पुणे

-Khed Ghat, Pune II खेड़ घाट, पुणे II

-BhimaShankar Temple: Opening Closing Time || भीमाशंकर मंदिर: खुलने बंद होने का समय

-BhimaShankar Bus Stand, Pune II भीमाशंकर बस स्टैण्ड, पुणे 

-भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग. पुणे|| BhimaShankar Jyotirlinga, Pune||

-Mahabaleshwar में Go Karting,ZipCycling, Paint Ball का मजा कहां लें

-गया की हैरान करने वाली नैसर्गिक खूबसूरती; Gaya, BodhGaya, Nature, Tourist  

-एक मजदूर की जिद ने बना दिया रास्ता; Dashrath Manjhi, Mountain Man 

-दशरथ मांझी; एक मजदूर का Mountain Man बनने की कहानी     

-चने का असली सत्तू घर में कैसे बनाएं, जानें पूरी प्रक्रिया; Sattu, Chana Sattu, Litti, Sattoo; Gram  

-Mitti Ke Diye, Kulhad:मिट्टी का दीया, कुल्हड़, कप, प्याली कैसे बनता है, घर बैठे कैसे मंगवायें 

-Mumbai Darshan: मुंबई का दीदार, समुद्र से कर मेरे यार; Tourist Attraction 

-भगवान नित्यानंद समाधि मंदिर: भगवान के दर्शन के साथ कुदरत का भी मजा; Ganeshpuri, Tourist Attraction

-मुंबई के गिरगांव चौपाटी कैसे पहुंचे 

-शिर्डी, शनि शिंगणापुर के दर्शन के साथ सावन में झूले का आनंद 

-रेत और पानी से बनी साई की कलाकृति; Sai, Sand, Water, Shirdi, RangaRangIndia 

-सावन में हरियाली के बीच भक्ति के साथ झूले का आनंद ; Tourist Attraction, Shani Shingnapur

-शनि शिंगणापुर, अहमदनगर, महाराष्ट्र, Tourist Place, RangaRang India, Shani Shignapur

-साई प्रसादालय, शिर्डी, अहमदनगर, महाराष्ट्र, Tourist Place, Shree Sai Prasadalay

-खूबसूरत कसारा, महाराष्ट्र

-जानदार, शानदार जबलपुर का सैर-सपाटा, क्या क्या देखें यहां; Tourist Attraction, Jabalpur, RangaRang India

-Instagram से पैसे कैसे कमाएं

-यूट्यूब (YouTube) चैनल शुरू करने में कितना खर्च आता है

-भेड़ाधाट की भव्यता ऐसी कि आप भूल नहीं पायेंगे Tourist Attraction, Jabalpur, RangaRang India

-न्यू भेड़ाघाट पर संगमरमरी नर्मदा की नैसर्गिक खूबसूरती का आनंद  Tourist Attraction, Jabalpur, RangaRang India

- रोपवे से भेड़ाघाट की भव्यता, संगमरमरी नर्मदा की शानदार खूबसूरती निहारिये Tourist Attraction, Jabalpur, RangaRang India

-बेवफा चायवाला, बेवफा Maggie Point, Bheda Ghat, Tourist Attraction, RangRang India

-भेड़ाघाट पर क्या क्या सामान मिलता है; Tourist Attraction, Jabalpur, RangaRang India

-भेड़ाघाट के बजरंग बली; Tourist Attraction, Jabalpur, RangaRang India

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-Safe Driving, Save life, Jabalpur, Tourist Attraction, RangaRang India

-मां नर्मदे आरती, ग्वारी घाट, जबलपुर, Tourist Attraction, RangaRang India

-16वीं सदी का मंदिर पचमठा मंदिर, गोपालपुर, जबलपुर, Tourist Attraction, Rangarang India

-चौसठ योगिनी मंदिर, गौरी शंकर मंदिर, भेड़ाघाट, जबलपुर, Tourist Attraction, RangaRang India

-Boating का ऐसा मजा कहीं और नहीं मिलेगा..Panchvati, BhedaGhat, Jabalpur, RangaRang India

-मन्नत पूरी करने वाली मां त्रिपुर सुंदरी के दर्शन, मां त्रिपुर सुंदरी मंदिर, तेवर, हथियागढ़, जबलपुर

-Balancing rock; चुनौतियों के बीच कैसै खुद को Balance रखें,ये सिखाता है; Jabalpur, RangaRang India

-रानी दुर्गावती से जुड़े इस महल की हैरान करने वाली बात; Madan Mahal, Jabalpur, RangaRang India

-जबलपुर के मदन महल से देखिये शहर का नजारा, Madan Mahal, Jabalpur, RangaRang India, Tourist Attraction

-बाबा भोलेनाथ गुफा मंदिर, मदन महल, जबलपुर, Tourist Attraction, RangaRang India, Mahadev

-शंकर भगवान की 76 फीट ऊंची मूर्ति, कचनार सिटी, जबलपुर, Tourist Attraction, RangaRang India

-नर्मदा नदी में क्रूज की सवारी का आनंद, बरगी डैम, जबलपुर, Tourist Attraction, RangaRang India

-वीरांगना रानी दुर्गावती समाधि स्थल, जबलपुर, मध्य प्रदेश, Tourist Attraction, RangaRang India

-जिलहरी घाट पर नर्मदा नदी में आस्था की डुबकी, Jilhari, Jabalpur, Tourist Attraction, RangaRang India

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-किस हाल में है शिमला का वायसरॉय भवन; Viceroy Building, Shimla, RangaRang India  

-अजनबी की जान बचाने वाले गुमनाम प्लेटलेट डोनर्स की अनसुनी कहानियां; Platelet, TMH, Save A Life, Tata Memorial Hospital

-शिमला के जाखू हनुमान मंदिर की अद्भुत कहानी;  Jakhu, Jakhoo Temple, Shimla, Lord Hanuman, RangaRang India  

-कुफरी में यहां से देखें चीन का बॉर्डर; Kufri, Shimla, RangaRang India, Tourist Attraction

-कुफरी में Zipline का आनंद लीजिए; Kufri, Shimla, RangaRang India, Tourist Attraction  

-शिमला, कुफरी का साथियों के साथ शानदार और सदाबहार सैर सपाटे का आनंद 

-कालका-शिमला रूट की खास ट्रेन; ToyTrain, TouristAttraction, RangaRang India 

>कुदरत की गोद में एक ही जगह एडवेंचर्स, कैंपिंग, गेम्स, ट्रेकिंग का आनंद, केवल ₹1800/दिन में 

 -Sports, Trekking का मजा Salvi Farms natural Retreat & Adventures में 

-Swimming, Boating का मजा Savli Farms natural Retreat & Adventures में 

-Shooting, Archery का मजा Savli Farms natural Retreat & Adventures में 

-Zipline का मजा Savli Farms natural Retreat & Adventures में 

-कैंपिंग और एडवेंचर्स के साथ एक ही जगह पर ढेर सारा गेम का आनंद ; Salvi Farms 

-गायमुख चौपाटी, Floating Mini Resto/Bar, Thane, Tourist Attraction

-मस्त महाबलेश्वर, राष्ट्रगौरव रायगड़ किले के सैर-सपाटे का आनंद

-महाबलेश्वर की पुरानी हवेली, जंगल में मंगल

-महाबलेश्वर मंदिर की अनसुनी कहानी 

-पवित्र पंचगंगा मंदिर की हैरान करने वाली बातें  

-महाबलेश्वर में नौका विहार का आनंद ; Venna Lake, Boating, Timing, Tourist attarction

-महाबलेश्वर में कुदरत की खूबसूरती को इन जगहों से निहारें; Hill Station, Tourist Attraction   

-आर्थरसीट पॉइंट, टाइगर स्प्रिंग पॉइंट, हंटिंग पॉइंट, इको पॉइंट की हैरान करने वाली बातें 

-प्रतापी प्रतापगढ़ किला क्यों है खास, यहां पर क्या क्या देखें, कैसे पहुंचें ; Pratapgarh Fort, Tourist Attraction, Mahabaleshwar, Hill Station 

-प्रतापगढ़ किले से आसपास का नजारा;Pratapgarh Fort, Tourist Attraction, Mahabaleshwar, Hill Station 

-किताबों का अनोखा गांव भिलार, जहां दिल गार्डेन गार्डेन हो जाएगा; Village Of Books, Tourist Attraction

-रायगड़ किले पर महज 4 मिनट में कैसे पहुंचें Raigarh Fort, RopeWay,Tourist Attraction

-रायगड़ किले पर कैसे और क्यों जाएं, क्या क्या देखें RaigarhFort, Tourist Attraction

-रायगड़ किले से आसपास का नजारा देखिये; Raigarh Fort, Tourist Attraction

- ममता और वीरता की मूरत हिरकणी धनगर की अनसुनी कहानियां Raigarh Fort, Tourist Attraction

- जीजाबाई की समाधि कहां है Raigarh Fort, Tourist Attraction

- शिवाजी महाराज की समाधि और उनके वफादार वाघ्या की प्रतिमा; Raigarh Fort, Tourist Attraction 

-कॉलेज के दोस्तों के संग कुदरत का मजा 

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-पहाड़ की क्रेन से खुदाई, Crane Digging Mountain, Mumbai Pune Expressway,...

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-पसारणा घाट, Pasarana Ghat, Wai- Panchgani-Mahabaleshwar, Satara, Maharashtra, Tourist attraction

-महाबलेश्वर का मुख्य बाजार, Mahabaleshwar main market

-बॉम्बे पॉइंट, जहां सूरज डूबने का इंतजार करते हैं सैलानी .. Bombay or Sunset Point, Mahabaleshwar

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-रायगड किला, Raigad Fort-Pachad-Mahad Road& Ghat, Maharashtra, Tourist Attraction, RangaRang India

-अष्टविनायक दर्शन की अनूठी दास्तान, जब अजनबी ने दिलाया अपनेपन का अहसास   

-Valmikinagar, Tourist Attraction, Bihar,बिहार के सैलानियों को एक और सौगात

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-जलकुंभी पर जलते  तैरते दीये, आलंदी, Jalakumbhee Par Jalte Tairte Deeye, Alandi    

-संत ज्ञानेश्वर समाधि मंदिर,आलंदी, Sant Dnyaneshwar Samadhi Mandir, Alandi

-संत तुकाराम समाधि मंदिर, देहू, Sant Tukaram Samadhi Mandir, Dehu

-संत तुकाराम मुख्य मंदिर,  देहू, Sant Tukaram Maharaj Mukhya Mandir,Dehu  

-अष्टविनायक, वरदविनायक मंदिर,महड, Ashtvinayaka, Varadavinayak Temple, Mahad, Raigad

-मालशेज घाट, महाराष्ट्र, टूरिस्ट, रंगारंग इंडिया, Malshej Ghat, Maharashtra, Tourist Attraction, RangaRang India

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-अष्टविनायक दर्शन करके मालशेज घाट में भोजन...मतलब, आनंद ही आनंद 

-अजुबा अजंता गुफा (मराठी में-अजिंठा लेणी), अद्भुत औरंगाबाद के सफर का आनंद

-बाबा साहब को औरंगाबाद में कॉलेज बनाने के लिए जमीन किसने दी? 

-औरंगाबाद की पन चक्की ( Water Mill); इंजीनियरिंग का बेजोड़ नमूना

-अजुबा अजंता गुफा (मराठी में-अजिंठा लेणी); Ajanta, Tourist Attraction, RangaRang India 

-कुंभेरेश्वर महादेव मंदिर, पडघा, ठाणे, महाराष्ट्र

-ग्रेट अन्नपूर्णा, गेस्ट हाउस, लॉजिंग, बोर्डिंग, खुलताबाद, औरंगाबाद, एलोरा, महाराष्ट्र

-खुलताबाद से दौलताबाद (देवगिरि), औरंगाबाद, महाराष्ट्र

-दौलताबाद (देवगिरि) किला, औरंगाबाद, महाराष्ट्र, रंगारंग इंडिया

-श्रीमंत छत्रपति शिवाजी महाराज संग्रहालय, औरंगाबाद, महाराष्ट्र, रंगारंग इंडिया

-बीबी का मकबरा, दक्कन का ताज, औरंगाबाद, महाराष्ट्र, रंगारंग इंडिया

-दौलताबाद के दुलारे, औरंगाबाद, महाराष्ट्र, रंगारंग इंडिया

-पेड़ एक, जड़ अनेक, खुलताबाद, औरंगाबाद, महाराष्ट्र, रंगारंग इंडिया

-अजंता के 'आतंक'!

-अजंता के पास सतपुड़ा पर्वत श्रृंखला, औरंगाबाद, महाराष्ट्र, रंगारंग इंडिया

-घृष्णेश्वर मन्दिर, ज्योतिर्लिंग, एलोरा, औरंगाबाद, महाराष्ट्र, रंगारंग इंडिया

-शनि मंदिर, वाघोली, नालासोपारा, महाराष्ट्र, रंगारंग इंडिया, टूरिज्म

-निर्मल, शंकराचार्य समाधि मंदिर, हनुमान मंदिर, चर्च, नालासोपारा, पालघर, महाराष्ट्र, रंगारंग इंडिया 

-शंकराचार्य समाधि मंदिर, निर्मल, नालासोपारा, महाराष्ट्र

सुगन्धित, स्वादिष्ट, स्वस्थ, स्वच्छ, सुरम्य साईनगरी शिर्डी का सफरनामा

-साईनगरी शिर्डी का सौंदर्य देखिये;  Shirdi, Maharashtra, Tourist Attraction, RangaRang India

-शिर्डी में ऑस्ट्रेलिया का ऐमू देखना मत भूलें, Tourist Attraction, Maharashtra, RangaRang India

-शुभारंभ शिर्डी, Shirdi Ki Subah, Tourist Attraction, Maharashtra, RangaRang India

-Sai Shayan Aarti@11.00 PM, Shirdi, Tourist Attraction, Maharashtra, RangaRang India

-Sai Temple, Shirdi at Night, Tourist Attraction, Maharashtra

-Santosi Mata Temple, Ashagad, Dahanu

-Chamunda devi Temple, Safale

-Shitla Devi Mata Temple, Kelve

-Mahakali Mandir-Vadrai, Kelve

-Mahikavti Mandir, Kelve 

-Khamjai Mata Mandir, Shirgaon

-Tulja Bhawani Temple,Kaner Fata, Virar

-मजा आ गया! 9 अलग अलग मंदिरों के दर्शन,15 घंटे, 365 कि.मी, ₹900,35अजनबी 

Beautiful Sahyadri Mountain Range In Palghar, Maharashtra

Navratri, Dahanu Mahalaxmi Mandir, Tourist Attraction, RangaRangIndia

Navratri, Vajreshwari Temple, Tourist Attraction, Bhiwandi, Thane, RangaRangIndia

Mumbai-Ahmedabad Highway, Tourist Attraction, Virar-Dahanu, RangaRangIndia

बिहार के बांका स्थित मंदार पर्वत का धार्मिक, सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, प्राकृतिक महत्व, यहां सैर-सपाटे का कैसे उठाएं आनंद

बिहार का बांका सैलानियों के लिए बना और शानदार, रोपवे से करें  खूबसूरत वादियों का दीदार 

India gets its 40th World Heritage Site

भारत के 40वें स्थल को विश्व धरोहर स्थल का दर्जा मिला

भारत को अपना 39वां विश्व धरोहर स्थल प्राप्त हुआ

-नालासोपारा पश्चिम के इस भगवान महादेव की दिलचस्प कहानी 

>सिंहगढ़ किला, पुणे: ट्रैकिंग के साथ साथ इतिहास पर गर्व करने वाली जगह

(जीवदानी मंदिर के ऊपर से आसपास के इलाकों के खूबसूरत नजारे 
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((जीवदानी मंदिर (विरार, महाराष्ट्र) के पिंजड़े के चहकते परिंदे
((जीवदानी मंदिर परिसर स्थित महाकाली मंदिर, काल भैरव मंदिर
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((जीवदानी मंदिर, विरार (पूर्व), महाराष्ट्र; Jivadani Mandir, Virar (East), Maharashtra
(शानदार और यादगार ट्रिप: अक्कलकोट- गाणगापुर-सोलापुर- तुलजापुर-सिद्देश्वर-पंढरपुर-मिनी तिरुपति
(शिवयोगी सिद्धेश्वर मंदिर (अंदर से); Shivyogi Siddheshwar Mandir, Solapur, Maharashtra
(शिवयोगी सिद्धेश्वर मंदिर, सोलापुर, महाराष्ट्र (बाहर से); Shivyogi Siddheshwar Mandir, Solapur, Maharashtra
(श्री विट्ठल रुक्मिणी मंदिर: Shri Vittal Rukmini Mandir, Pandharpur, Maharashtra
(श्री भैरवनाथ मंदिर, दौंडज, कदमबस्ती, पुणे; Shri BhairavNath Mandir, Daundaj, Pune
(शिवयोगी सिद्देश्वर मंदिर रेप्लिका, सोलापुर; Shivyogi Siddheshwar Temple Replica, Solapur 
(तुलजा भवानी मंदिर, तुलजापुर, उस्मानाबाद, महाराष्ट्र ; Tulja Bhavani Mandir, Tuljapur, Maharashtra
(श्री शिवयोगी सिद्देश्वर मंदिर (सोलापुर) के बारे में क्या कहते हैं श्रद्धालु
(भक्त निवास, अक्कलकोट, महाराष्ट्र; Bhakt Niwas, Akkalkot, Maharashtra
((श्री स्वामी समर्थ मंदिर, अक्कलकोट,  Shri Swami Samarth Temple, Akkalkot
(श्री दत्तात्रेय भगवान का मंदिर, गाणगापुर, Shri Duttatreya Temple, Ganagapur, Kalburgi, Karnataka
( इच्छापूर्ति औदुंबर वृक्ष, गाणगापुर,  Holy Audumbar Tree, Ganagapur, Kalburgi, Karnatka
((भीमा-अमरजा संगम, गाणगापुर, कर्नाटक Prayagraj of Ganagapur, Kalburgi, Karnataka
(Nehru Centre, Worli, Mumbai (नेहरू सेंटर, वर्ली, मुंबई); क्या देखें, कैसे पहुंचें 
(कबड्डी खिलाड़ियों को भी भाता है Akloli (अकलोली) का गर्म पानी का कुंड
(सैलानियों को क्यों पसंद है Akloli (अकलोली) 
(Mumba Devi Mandir, Mumbai; मुंबा देवी मंदिर, मुंबई
(Akloli Hot Springs, Vajreshwari, Maharashtra; What Local People says)
(Vajreshwari Mandir, Vasai, Palghar, Maharashtra
(How to save yourself, family, flat from fire
(Rajodi Beach, Nalasopara, Maharashtra
((Chhatrapati Shivaji Maharaj Vastu Sangrahalaya, Mumbai
((Gateway Of India on Sunday Morning
((The Fishing Community of Arnala Bunder, Virar, Maharashtra
((Arnala Fort: Attarctive Tourist Spot: How to reach
((Nasik to Igatpuri; Everywhere Greenary
((Kasara to Karjat, Maharashtra; See Beauty of Nature
((Igatpuri Station, Maharashtra
(Patna Junction, Bihar, India
(Rice Fields of Bihar
(Gaya Railway Junction, Bihar, India
((Bodh stupa, Nalasopara (west), Maharashtra
(Village of Freedom Fighters, ignored by Govt Part 3; Amokhar, Bihar
(Village of Freedom Fighters, ignored by Govt Part 2; Amokhar, Bihar
(Village of Freedom Fighters, ignored by Govt Part 1; Amokhar, Bihar
(Girgaon Beach, Mumbai in Evening: गिरगांव चौपाटी, मुंबई शाम का नजारा 
(Antilia, Mumbai: एंटीलिया, मुंबई
((Jaslok Hospital, Mumbai: जसलोक अस्पताल, मुंबई
(Girgaum Chowpatty, Mumbai@7pm, गिरगांव चौपाटी, मुंबई
((Pachu Bandar, Vasai, Maharashtra, पाचू बंदर, वसई, महाराष्ट्र
((Chimaji Appa Memorial, Vasai; चिमाजी अप्पा स्मारक, वसई, महाराष्ट्र
((Vasai Court, Maharashtra; वसई कोर्ट, महाराष्ट्र
((Vasai station to Vasai Court & Vasai Fort by Auto; वसई स्टेशन से वसई फोर्ट और वसई फोर्ट ऑटो से)
((Vasai Fort, Maharashtra; वसई किला, महाराष्ट्र
((Vasai Road Station (BSR);वसई रोड स्टेशन 



A- My Youtube Channels: 

B: My Blogs & Website: 
 
C-My published books on Amazon:      

1-कोऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी में रहने वाले हर लोगों के लिए जरूरी किताब।
2-अचानक की गई बंदी इंसान को संभलने का मौका नहीं देती। ऐसे में आनंद के साथ जीने के उपाय क्या हैं। मेरी इस किताब में पढ़िये...बंदी में कैसे रहें बिंदास" 
3-अमीर बनने के लिए पैसों से खेलना आना चाहिए। पैसों से खेलने की कला सीखने के लिए पढ़िये...
4-बच्चों को फाइनेंशियल एजुकेशन क्यों देना चाहिए पर हिन्दी में किताब- 'बेटा हमारा दौलतमंद बनेगा' - 
5-अमीर बनने की ख्वाहिश हममें से हर किसी की होती है, लेकिन इसके लिए लोगों को पैसे से पैसा बनाने की कला तो आनी चाहिए। कैसे आएगी ये कला, पढ़िये - 'आपका पैसा, आप संभालें' - 
6-इंसान के पास संसाधन या मार्गदर्शन हो या ना हो, सपने जरूर होने चाहिए। सिर्फ सपने के सहारे भी कामयाब होने वालों की दुनिया में कमी नहीं है। - 'जब सपने बन जाते हैं मार्गदर्शक' -
7-बेटियों को बहादुर बनने दीजिए और बनाइये, ये समय की मांग है,  "बेटी तुम बहादुर ही बनना " -
8 -अपनी हाउसिंग सोसायटी को जर्जर से जन्नत बनाने के लिए पढ़ें,  डेढ़ साल बेमिसाल -

D-My Social Media Handle:  
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शनिवार, 7 जून 2025

महाकालेश्वर (उज्जैन) और ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग का दर्शननामा: बारिश ने दी शानदार विदाई II Mahakaleshwar III Ujjain II Omkareshwar II Jyotirling II Mahadev II

 Mahakaleshwar (Ujjain), Omkareshwar Jyotirling Darshannama:Rain gave a wonderful farewell



मध्यप्रदेश के उज्जैन के महाकालेश्वर और खंडवा जिले के ओंकारेश्वर-ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन के बाद 28 मई 2025 को वापस मुंबई से सटे नालासोपारा पश्चिम अपने घर लौट जाना था। 24 मई 2025 को मैं अपनी दोस्त ज्योति और उनके बेटे, जो कि अभी अभी 83 प्रतिशत अंकों के साथ 10वीं पास हुआ था, के साथ नालासोपारा से महाकालेश्वर और ओंकारेश्वर-ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन और इन शहरों की कुदरती खूबसूरती का आनंद उठाने के लिए  ट्रेन से रवाना हुआ था। उज्जैन क्षिप्रा नदी और ओंकारेश्वर नर्मदा नदी के किनारे है। 






तो, 28 मई को हमारे घर नालासोपारा से सटे स्टेशन वसई रोड के लिए इंदौर से सुबह सवा 11 बजे ट्रेन थी। 


ओंकारेश्वर से इंदौर करीब 80 किलोमीटर है। ओंकारेश्वर से बस या टैक्सी के जरिये खंडवा रोड, जिसमें  खूबसूरत और घुमावदार भेरू घाट भी शामिल है, से होते हुए इंदौर स्टेशन करीब ढाई घंटे में पहुंचा जा सकता है। तो, ओंकारेश्वर - ममलेश्वर में हमारा दर्शन और सैर-सपाटा 27 मई की शाम को खत्म हो चुका था और  28 मई को सुबह साढ़े पांच बजे की इंदौर जाने वाली पहली बस से हमें निकलना था। ओंकारेश्वर - ममलेश्वर छोड़कर इंदौर जाने का पूरा प्लान तैयार हो चुका था। 


हमलोग ओंकारेश्वर मंदिर से कुछ ही दूरी पर नर्मदा घाट के पास ही एक धर्मशाला में ठहरे हुए थे। धर्मशाला  में काफी अच्छी सुविधाएं थीं और कमरा भी सस्ता था। धर्मशाला में दो रात रुके। इसके लिए केवल छह सौ  रुपये चुकाने पड़े। तो, 28 मई को सुबह साढ़े चार - पांच बजे तक धर्मशाला छोड़ देना था और बस स्टैंड में जाकर इंदौर जाने वाली पहली बस में बैठ जाना था।



लेकिन, ये क्या... सुबह तीन बजे से ही तेज हवाओं के साथ भारी बारिश शुरू हो गई। बारिश थमने का नाम नहीं  ले रही थी। सुबह के चार बज गए फिर पांच भी बज गए, लेकिन बारिश मानों धीमी होने या रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी। उधर, हमलोगों को हर हाल में इंदौर के लिए निकलना था। बारिश जब ना तो रुकी और ना ही धीमी हुई, तो हमलोगों ने सवा पांच-साढ़े पांच बजे  धर्मशाला छोड़ दिया और तेज बारिश में ही बस पकड़ने के लिए बस स्टैंड की तरफ निकल पड़े। हमने ये सोचकर धर्मशाला छोड़ दिया कि जिन भोले भंडारी ने दर्शन के लिए सही सलामत बुलाया है, वही अब हमलोगों को सही सलामत घर पहुंचाएंगे। 

धर्मशाला से बस स्टैंड करीब एक-डेढ़ किलोमीटर दूर है। हालांकि, सुबह 5 बजे से ओंकारेश्वर में ऑटो सेवा शुरू हो जाती है। लेकिन, भारी बारिश की वजह से उस सुबह ऑटो वाले कहीं दिख नहीं रहे थे। तब हमलोग महादेव का नाम लेते हुए पैदल ही भारी बारिश में धर्मशाला से बस स्टैंड के लिए निकल पड़े। ये अच्छी बात थी कि हमलोगों ने अपने पास छाता रख लिया था। पैदल बस स्टैंड तक पहुंचने में मुश्किल से 15 मिनट लगे होंगे। 

जैसे जैसे हम बस के करीब पहुंच रहे थे, वैसे वैसे बारिश की रफ्तार भी कम हो रही थी।  इस तरह से ओंकारेश्वर से इंदौर की साढ़े पांच की पहली बस तो नहीं मिली, लेकिन छह बजे वाली दूसरी बस जरूर मिल गई। हमलोग साढ़े आठ बजे सुबह तक इंदौर रेलवे स्टेशन पहुंच चुके थे और हमारी ट्रेन सुबह सवा ग्यारह बजे थी। इस तरह से बारिश ने हमलोगों को महाकालेश्वर और ओंकारेश्वर-ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग दर्शन के बाद शानदार विदाई दी। 




ओंकारेश्वर में दो बस स्टैंड है। एक, पुराना बस स्टैंड और दूसरा, न्यू बस स्टैंड। पुराना बस स्टैंड और न्यू बस स्टैंड के बीच की दूरी मुश्किल से एक- डेढ़ किलोमीटर होगी। पुराना बस स्टैंड से आपको इंदौर या उज्जैन के लिए सुबह नौ या दस बजे तक ही बस मिलेगी, जबकि न्यू बस स्टैंड से सुबह से शाम तक हर आधे आधे घंटे पर बस मिलती है। पुराना बस स्टैंड से बस खुलकर कुछ देर न्यू बस स्टैंड पर रुकती है। 

अब बात कर लेते हैं महाकालेश्वर और ओंकारेश्वर-ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग के अपने पूरे दर्शननामा और सफरनामा की। 
 
कैसे बना प्लान: 
मैं काफी दिनों से महाकालेश्वर और ओंकारेश्वर-ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन के बारे में सोच रहा था. लेकिन, कभी दर्शन का प्लान नहीं बना पा रहा था। देश में 12 ज्योतिर्लिंग हैं। यहां हर साल लाखों श्रद्धालू देवों के देवों महादेव का आशीर्वाद लेने पहुंचते हैं। मैं महाराष्ट्र के तीन ज्योतिर्लिंग- नासिक के पास स्थित त्र्यंबकेश्वर, पुणे के पास स्थित भीमाशंकर और औरंगाबाद में स्थित घृष्णेश्वर का दर्शन कर चुका हूं। 


कहते हैं ना कि महादेव का दर्शन करने की इच्छा करेंगे, तो महादेव जरूर बुलाते हैं। तो महादेव का बुलावा मेरी दोस्त ज्योति के जरिये आया। ज्योति मेरे घर का पास ही रहती हैं। हमारे आसपास काफी दर्शनीय और पर्यटक स्थल हैं। हमलोग अक्सर इन जगहों पर जाया करते हैं। हमारी जान-पहचान 2022 में अष्टविनायक यात्रा के दौरान हुई थी। 

ज्योति ने अचानक अप्रैल 2025 के आखिरी हफ्ते में पूछा कि- महाकालेश्वर और ओंकारेश्वर-ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए चलेंगे क्या। मैंने हां में सहमति दे दी। दरअसल, ज्योति का महाकालेश्वर और ओंकारेश्वर-ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए मुझे कहना संयोग था। ज्योति के शुरुआती प्लान में मैं कहीं नहीं था। उन्होंने अपनी एक दोस्त और उनके पति के साथ ज्योतिर्लिंग के दर्शन का प्लान किया था। यहां तक कि उज्जैन जाने के लिए ट्रेन का टिकट भी उन्होंने बुक करा लिया था। लेकिन, ज्योति की मित्र और उनके पति ने अचानक से उज्जैन जाने का अपना प्लान कैंसिल कर दिया। तब ज्योति ने मुझसे संपर्क किया। फिर मैंने ट्रेन से जाने-आने का टिकट बुक कराया। तो, इस तरह से बाबा के दर्शन का मुझे सौभाग्य मिला। 

क्या था प्लान (24 मई से 28- मई 2025)

प्लान के मुताबिक, 24 मई को मुंबई के बांद्रा टर्मिनस से हमलोगों को ट्रेन से उज्जैन के लिए रवाना होना था, 25 मई को दिनभर आराम करना था, 26 मई को महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग और उसके आसपास के मंदिरों, तीर्थस्थलों और पर्यटक स्थलों का दर्शन करना और घूमना था। उसके बाद 26 मई को ही 4 बजे शाम तक उज्जैन से बस या टैक्सी से ओंकारेश्वर पहुंचना था। 

हम अपना सारा काम प्लान के मुताबिक ही कर रहे थे। 26 मई और 27 मई को ओंकारेश्वर में ठहरना था और 28 मई को सुबह सुबह इंदौर रेलवे जंक्शन होते हुए वापस अपने घर नालासोपारा पहुंच जाना था। 


24 मई को क्या हुआ:
नालासोपारा स्टेशन से दोपहर 3 बजे के करीब की लोकल ट्रेन से बांद्रा स्टेशन पहुंचे। बांद्रा स्टेशन से कुछ ही दूरी पर बांद्रा टर्मिनस है। बांद्रा टर्मिनस से ही शाम सवा पांच बजे हमारी ट्रेन उज्जैन के लिए थी। बांद्रा स्टेशन से बांद्रा टर्मिनस आप पैदल भी जा सकते हैं या फिर ऑटो से भी जा सकते हैं। हमलोग पैदल 15 मिनट में बांद्रा टर्मिनस पहुंचे। प्रतीक्षालय में आराम से ट्रेन का इंतजार किया। हालांकि, ट्रेन एक घंटे देरी से छुटी। हमारी सुपरफास्ट ट्रेन थी। काफी कम स्टेशनों पर ठहराव था। बांद्रा से खुलने के बाद ट्रेन बोरिवली, वापी, वलसाड, सुरत, वडोदरा, रतलाम होते हुए अगली सुबह यानी 25 मई को दो घंटे की देरी से उज्जैन पहुंची। 











25 मई को क्या हुआ-
सुबह सवा सात -साढ़े सात बजे जब हमलोग उज्जैन पहुंचे तो चाय और नाश्ता की तलब लगी थी। इसलिये पहले चाय और नास्ता के बारे में सोचा फिर होटल या धर्मशाला लेने के बारे में। हमलोग स्टेशन पर ही एक होटल में पोहा खाया और चाय पी। पोहा वैसे तो ठीक था, लेकिन उसमें शक्कर डाला हुआ था, तो सारा मजा किरकिरा हो गया। होटल वाले ने बताया कि उज्जैन में पोहा में होटल वाले थोड़ा शक्कर डालते हैं। शक्कर डालकर खाने की आदत वैसे गुजरात के लोगों में होती है। 







उज्जैन स्टेशन से महाकालेश्वर मंदिर की दूरी महज एक डेढ़ किलोमीटर ही है। अगर आपको रास्ता मालूम है तो आप पैदल भी टहलते हुए मंदिर के पास जा सकते हैं। हमलोगो ने मंदिर के पास ही होटल या धर्मशाला लेने का प्लान बनाया था। मंदिर के पास काफी सारा होटल और धर्मशाला है। आप अपने बजट के हिसाब के होटल या धर्मशाला में रह सकते हैं। उज्जैन स्टेशन से मंदिर तक आने के लिए हमलोगों ने ऑटो लिया। ऑटो वाला प्रति व्यक्ति 20 रु. किराया लिया। ऑटो महाकाल चौक तक ही जाती है। महाकाल चौक से मंदिर महज 500 मीटर की दूरी पर है। 

हमलोग महाकाल चौक के पास श्री आस्था होटल में रुके। ए.सी कमरा बुक किया। इस होटल में लॉजिंग के साथ साथ फुडिंग का भी इंतजाम है। फुडिंग के लिए अलग से पैसे देने होते हैं। यहां गरम पानी की भी व्यवस्था है। ए.सी कमरे का किराया प्रति 24 घंटे 1200 रु., जबकि नॉन  ए.सी कमरे का किराया 1000 रु. प्रति 24 घंटे था। हमलोग अगले दिन यानी 26 मई को 10 बजे कमरा छोड़ा था। इसके लिए 1400 रु. देने पड़े थे। 





तो, करीब सुबह 9 बजे हमलोग होटल का कमरा बुक कराया। तरोताजा होकर 2-3 घंटे आराम किया। फिर चुंकि महाकाल मंदिर नजदीक ही था।  इसलिए 1 बजे के करीब हमलोग मंदिर परिसर में गए। तबतक हमलोग दोपहर का खाना नहीं खाए थे। 

26 तारीख की सुबह (4 बजे से) भस्म आरती में हिस्सा लेना था। लेकिन, इसके लिए हमलोगों ने तीन महीने पहले ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन  नहीं करवाया था। भस्म आरती के लिए तीन महीने पहले ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवाना होता है, इसकी जानकारी हमलोगों को थी भी नहीं। जिस होटल में हमलोग रुके थे, उस होटल के एक स्टाफ ने बताया कि शाम पांच से सात बजे के बीच मंदिर परिसर में कतार में लगकर अगली सुबह की भस्म आरती के लिए रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं। यही सोचकर हमलोग मंदिर परिसर में गए थे। रजिस्ट्रेशन करवाने के लिए आधार कार्ड साथ रखना होता है।

जब मंदिर परिसर में अगली सुबह की भस्म आरती के लिए रजिस्ट्रेशन के बारे में पूछा तो मंदिर प्रशान ने बताया गया कि अगली सुबह की भस्म आरती के लिए रजिस्ट्रेशन बंद हो चुका है। ये जवाब सुनकर हमलोग काफी मायूस हुए, लेकिन किया क्या जा सकता है, कुछ नहीं। 

थोड़ा भस्म आरती का महत्व भी जान लीजिए। महाकालेश्वर मंदिर में भस्म आरती सबसे प्रतिष्ठित अनुष्ठानों में से एक है। "भस्म" का अर्थ है राख, जो मंदिर की अखंड ज्योति से ली गई पवित्र राख है। इस अनुष्ठान में भगवान शिव को सम्मानित करने के लिए इन राख का उपयोग किया जाता है, जिन्हें अक्सर अपने शरीर पर राख (विभूति) पहने हुए दिखाया जाता है ।



महाकाल भस्म आरती की बुकिंग दो तरह से की जा सकती है: ऑनलाइन और ऑफलाइन।  

ऑनलाइन बुकिंग:
1. वेबसाइट पर जाएं:
महाकालेश्वर मंदिर की आधिकारिक वेबसाइट https://shrimahakaleshwar.com/ पर जाएं.
2. बुकिंग विकल्प चुनें:
होमपेज पर "Mahakal Darshan/Bhasm Aarti Booking" पर क्लिक करें.
3. तारीख चुनें:
जिस तारीख के लिए आप भस्म आरती बुक करना चाहते हैं, उसे चुनें.
4. पंजीकरण करें:

अपना पंजीकरण करें और आवश्यक जानकारी भरें.
5. भुगतान करें:
ऑनलाइन भुगतान करें.
6. SMS प्राप्त करें:
बुकिंग सफल होने के बाद आपके मोबाइल पर एसएमएस आएगा. 
ऑफलाइन बुकिंग:
1. मंदिर में जाएं:
उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में जाएं.
2. काउंटर पर जाएं:
भस्म आरती बुकिंग काउंटर पर जाएं.
3. फॉर्म भरें:
फॉर्म भरें और आवश्यक जानकारी दें.
4. भुगतान करें:
शुल्क का भुगतान करें. 
अन्य महत्वपूर्ण जानकारी:
ऑनलाइन बुकिंग की सीमा:
एक व्यक्ति अपने अकाउंट से सिर्फ 10 लोगों की टिकट बुक कर सकता है. 
भुगतान:
ऑनलाइन बुकिंग के लिए ₹200 का भुगतान करना पड़ता है. 
पहचान पत्र:
भस्म आरती में शामिल होने के लिए, आपको आधार कार्ड या पैन कार्ड जैसे वैध पहचान पत्र दिखाना होगा. 
पहनावा:
भस्म आरती देखने के लिए पुरुषों को धोती पहननी पड़ती है और महिलाओं को सिर पर घूंघट रखना पड़ता है. 
श्रावण मास में बुकिंग:
श्रावण मास के दौरान शनिवार, रविवार और सोमवार को भस्म आरती की सामान्य बुकिंग सुविधा स्थगित की जा सकती है. 
लाइव दर्शन:
आप महाकालेश्वर मंदिर की वेबसाइट पर भस्म आरती का लाइव दर्शन भी कर सकते हैं. 
अतिरिक्त जानकारी:
अधिक जानकारी के लिए श्री महाकालेश्वर मंदिर की वेबसाइट https://shrimahakaleshwar.com/ पर जाएं. 

तो, मंदिर परिसर में भस्म आरती में हिस्सा लेने की उम्मीद खत्म हो गई। अब हमलोगों ने अगले दिन यानी 26 मई को सामान्य दर्शन यानी कतार में खड़े होकर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने का प्लान बनाया। कतार में खड़े होकर सामान्य दर्शन करने के लिए पहले से रजिस्ट्रेशन नहीं कराना होता है। आप तत्काल दर्शन के लिए रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। इसके लिए 250 रु. देने होते हैं। इसके लिए ऑनलाइन भी रजिस्ट्रेशन  कर सकते हैं और मंदिर परिसर में जाकर ऑफलाइन भी। तत्काल दर्शन में ज्यादा ज्योतिर्लिंग का दर्शन करने में ज्यादा समय नहीं लगता है और दर्शन भी अच्छे से होता है। लेकिन, सामान्य दर्शन में दर्शन करने में काफी समय लग जाता है और कुछ श्रद्धालुओं का यहां तक कहना है कि सामान्य दर्शन में महादेव का दर्शन भी सही से नहीं होता है। मंदिर में मोबाइल ले जाने पर पूरी तरह से रोक है, लेकिन बहुत सारे लोग मोबाइल लेकर मंदिर जाते हैं और वीडियो और फोटो भी लेते हैं। मैं मंदिर के मोबाइल नहीं ले जाने के नियम का पालन करते हुए साथ में मोबाइल नहीं ले गया था। 

मंदिर परिसर से दोपहर 2 बजे पूरी जानकारी लेकर हमलोग वापस अपने होटल आ गए। होटल में ही खाना खाए। खाना कुछ खास नहीं था। हमलोगों ने थाली मंगवाई थी। थाली में 5 चपाती, थोड़ी दाल, थोड़ी सब्जी, कढी, पापड़, चावल, आचार था। एक थाली की कीमत 130 रु. थी। एक्स्ट्रा चपाती लेने पर 5 रु. देने पड़ते हैं। हालांकि, सब्जी आप जितना चाहे ले सकते हैं। खाना खाकर हमलोग अपने कमरे में गए और कुछ देर आराम किया। होटल जाने से पहले वहीं पर एक ठंडई की दुकान हमलोगों को दिखी। हमलोगों ने ठंडई का लुत्फ उठाया। 













शाम चार बजे हमलोग महाकालेश्वर मंदिर के एक डेढ़ किलोमटर के दायरे में मौजूद दर्शनीय और पर्यटक स्थलों को देखने के लिए कमरा से निकले। मंदिर के एक डेढ़ किलोमीटर के दायरे में देखने वाली जगह है- बड़ा गणेश मंदिर,  महाकाल महालोक, सम्राट राजा विक्रमादित्य मंदिर, हरसिद्धि माता मंदिर, राम घाट क्षिप्रा नदी, राम मंदिर।     

शहर से बाहर मंदिर के 13-14 किलोमीटर के दायरे में मौजूद दर्शनीय और पर्यटक स्थलों की बात करें तो ये हैं- सांदीपनि आश्रम, मंगलनाथ, काल भैरव, गढ़कालिका मंदिर और भर्तृहरि गुफा। 

शाम में जब हमलोग घूमने के लिए निकले तो आसपास के कुछ होटलों में रबड़ी, रबड़ी काला जामून, ड्रायफ्रूट दूध जैसे डेयरी प्रोडक्ट को देखकर उसका आनंद लेने के लिए मन ललचने लगा। तो, हमलोग एक होटल में बैठकर इसका आनंद लिया। 




शाम में सबसे पहले बड़ा गणेश का दर्शन किया, जो कि महाकाल मंदिर के पास ही है| फिर महाकाल महालोक देखा| फिर हरसिद्धी मंदिर के दर्शन किये| फिर क्षिप्रा नदी जाकर आरती में हिस्सा लिया| फिर विक्रमादित्य टीला देखा| 

बड़ा गणेश मंदिर: भारत में कई ऐसे मंदिर मौजूद हैं जिनका इतिहास काफी पुराना और समृद्ध है। ऐसा ही उन्हीं मंदिरों में से एक मंदिर है उज्जैन में स्थित बड़ा गणेश मंदिर। इस मंदिर में शहर की सबसे बड़ी गणेश जी की प्रतिमा स्थापित है। यह प्रतिमा लगभग 18 फीट तक ऊंची और 10 फीट चौड़ी है। मंदिर के द्वार पर  दायीं तरफ यह प्रतिमा है। 


गणेश जी की यह भव्य मूर्ति करीब 114 साल से ज्यादा पुरानी है। कहा जाता है कि मंद‍िर में स्‍थापित गणेश प्रतिमा की स्थापना महर्षि गुरु महाराज सिद्धांत वागेश पं. नारायणजी व्यास ने करवाई थी। इस मूर्ति को बनाने में ढाई साल लगा था। 











इस मंदिर में एक ऐसा अनोखा शिवलिंग है जिसमें मध्य में बाबा महाकाल और आसपास 11 ज्योतिर्लिंग बने हुए हैं। 12 ज्योतिर्लिंग का यह शिवलिंग लगभग 90 साल से ज्यादा पुराना माना जाता है। मंदिर में करीब 100 साल पुरानी हनुमान जी की अष्टधातु से बनी पंचमुखी प्रतिमा भी स्थापित है। 

महाकाल महालोक :
श्री महाकाल महालोक उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर से सटे भव्य मंदिर परिसर है। इस परिसर को 2.81 हेक्टेयर (7.1 एकड़) से 47 हेक्टेयर (116 एकड़) तक विस्तारित किया गया है। यह भगवान शिव को समर्पित है। इसका मकसद भक्तों और श्रद्धालुओ के लिए एक भव्य और गहन आध्यात्मिक अनुभव बनाना है। 










श्री महाकाल महालोक में 108 दिव्य स्तंभों की भव्य शृंखला, एक विशाल प्रवेश द्वार, मंदिर के चारों ओर निःशुल्क घूमने का स्थान और शिव पुराण की कहानियों के चित्रित भित्तिचित्र शामिल हैं। इस परिसर में एक संग्रहालय भी है, जो भगवान शिव के जीवन और पौराणिक कथाओं को प्रदर्शित करता है।  यह परियोजना उज्जैन में पर्यटन को बढ़ावा देने और इसे हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों में से एक के रूप में स्थापित करने के लिए की गई है।

इस परियोजना में मौजूदा महाकाल मंदिर परिसर के विस्तार और सौंदर्यीकरण के साथ-साथ नए बुनियादी ढांचे और सुविधाओं का निर्माण शामिल है।

सम्राट विक्रमादित्य मंदिर:
महाकाल मंदिर से कुछ कदम की दूरी पर सम्राट विक्रमादित्य का मंदिर है। यह मंदिर अवंतिका नगरी के शासक विक्रमादित्य के सम्मान में बनाया गया है, जिन्हें न्यायप्रिय, उदार और पराक्रमी शासक माना जाता था। मंदिर में नवरत्नों की मूर्तियां स्थापित हैं, जो उनके दरबार में रहने वाले विद्वानों का प्रतिनिधित्व करती हैं। 








मंदिर में सम्राट विक्रमादित्य के दरबार में रहने वाले नवरत्नों की मूर्तियां हैं, जो उनके शासनकाल के वैभव और विद्वता को दर्शाती हैं। इन नवरत्नों में शामिल हैं- बेतालभट्ट, अमर सिंह, शंकू, धन्वन्तरी, कालिदास, वराहमिहिर, वररूचि, घटखर्पर, क्षपणक। 

नवरत्नों के नाम:

धन्वंतरि:
आयुर्वेद और चिकित्सा के विशेषज्ञ.

क्षपणक:
इतिहासकार और राजकीय मामलों के ज्ञाता.

अमरसिंह:
संस्कृत के व्याकरण विशेषज्ञ और कोशकार.

शंकु:
ज्योतिष और खगोल विज्ञान के ज्ञाता.

वेताल भट्ट:
ज्योतिष और जादू-टोने के ज्ञाता.

घटखर्पर:
ज्योतिष, खगोल विज्ञान और गणित के ज्ञाता.

कालिदास:
महान संस्कृत कवि और नाटककार.

वराहमिहिर:
ज्योतिष, खगोल विज्ञान और गणित के ज्ञाता.

वररुचि:
संस्कृत व्याकरण और साहित्य के विशेषज्ञ. 

हरसिद्धी मंदिर:
उज्जैन का प्रसिद्ध हरसिद्धि मंदिर 51 शक्तिपीठों में शामिल है। 2000 साल पुराने इस मंदिर की चर्चा पुराणों में भी है। माना जाता है कि जहां यह मंदिर स्थित है, वहां माता सती  की कोहनी गिरी थी। इस मंदिर की परंपराएं भी बेहद खास हैं। मंदिर के सामे दो दीप स्तंभ हैं। नवरात्रि के दौरान पांच दिन तक इनमें दीप मालाएं लगाई जाती हैं। भव्य यज्ञ और पाठ के साथ देवी की खास पूजा-अर्चना होती है। माना जाता है कि यहां आने वाले हर भक्त की मनोकामना पूरी होती है।








हरसिद्धि मंदिर में चार प्रवेश द्वार हैं। सभी द्वारों पर सुंदर बंगले बने हुए हैं। मंदिर के  दक्षिण-पूर्व कोण में एक बावड़ी है जिसके अंदर एक स्तंभ है। यहां श्रीयंत्र बना हुआ है।  मंदिर के ठीक सामने दो बड़े दीप स्तंभ हैं। नवरात्रि के दौरान पांच दिनों तक इन पर दीप मालाएं लगाई जाती हैं।

कहा जाता है कि यह उज्जैनी के राजा विक्रमादित्य की आराध्यदेवी थीं। वर्तमान मंदिर के पुनर्निमार्ण का श्रेय मराठों को जाता है।

क्षिप्रा नदी आरती: हरसिद्धि मंदिर से कुछ ही दूरी पर क्षिप्रा नदी बहती है। क्षिप्रा नदी पर ही राम घाट और राम मंदिर है। क्षिप्रा नदी (शिप्रा नदी) आरती उज्जैन के रामघाट पर की जाती है, जो सूर्यास्त के समय होती है। यह नदी भारत की एक पवित्र नदी है, और उज्जैन कुंभ मेले के लिए भी प्रसिद्ध है। महाकालेश्वर मंदिर में भी भस्म आरती का आयोजन किया जाता है, जो देश दुनिया में प्रसिद्ध है। 

समय:
क्षिप्रा आरती का समय सूर्यास्त के अनुसार बदलता रहता है, आमतौर पर शाम 6 से 7 बजे के बीच. 

महाकालेश्वर मंदिर:
महाकालेश्वर मंदिर में सुबह 4 बजे की जाने वाली भस्म आरती भी लोकप्रिय है. 

पवित्र नदी:
क्षिप्रा नदी को मालवा की गंगा भी कहा जाता है. 

उज्जैन:
उज्जैन शहर क्षिप्रा नदी के तट पर स्थित है, जो चंबल नदी की एक सहायक नदी है. 











क्षिप्रा नदी आरती में हिस्सा लेकर हमलोग वापस अपने होटल लौट आए। रात का खाना खाकर जल्द ही सो गए। अगले दिन यानी 26 मई को सुबह 3 बजे उठकर महाकाल का सामान्य दर्शन के लिए लाइन में लगना था।  
 

26 मई को क्या हुआ-
26 मई को हमलोग सबसे पहले चौबीस खंबा देखें, फिर महाकाल का दर्शन किये, फिर सांदीपनि आश्रम, 
मंगलनाथ, काल भैरव, गढ़कालिका मंदिर और भर्तृहरि गुफा घूमे। 

महाकाल दर्शन करने से पहले हमलोग महाकाल चौक पर ही चौबीस खंबा देखने गए। कहा जाता है कि महाकालेश्वर मंदिर के प्रवेश करने का यही पुरातन द्वार रहा है। महाकाल मंदिर के विशाल महाकाल वन का उल्लेख संस्कृत साहित्य में मिलता है। प्राचीन समय में महाकाल वन एक बड़े कोट यानी दीवार से घिरा था। इस कोट का भग्नावशेष कहीं कहीं दिखाई देते हैं। इस दीवार से लगा हुआ कोट का हिस्सा गिर चुका है। और केवल यह द्वार के अवशेष शेष हैं। द्वार के दोनों पार्श्व भाग में अलंकृत चौबीस खंबे लगे हैं। 

इसलिये यह चौबीस खंबा दरवाजा कहलाता है। इसके आधार पर वर्तमान में इस क्षेत्र को कोट मोहल्ला के नाम से जाना जाता है। उस कोट के अवशेष के रूप में आज भी यहां चौबीस खंबा प्रवेश द्वार के दोनों ओर दो द्वार देवियों की प्रतिमाएं स्थापित हैं, जिन पर परमारकालीन लिपि में महामाया और महालाया नाम उत्कीर्ण है। चौबीस खंबा स्मारक 11-12वीं सदी का है। 





सुबह 4 बजे महाकाल का सामान्य दर्शन के लिए लाइन में लगे| 4.10 बजे से दर्शन के लिए लाइन में लगे लोगों को जाने दिया गया| करीब दो घंटे के बाद दर्शन हुए| यहां दर्शन के बाद हमलोग फिर से क्षिप्रा नदी गये| वहीं पर गौशाला में गाय को चारा खिलाये| गौशाला के बाद फिर से हरसिद्धी मंदिर गये| यहां तक का सारा दर्शन सुबह सात बजे तक पूरा हो चुका था | हमलोग वापस अपने होटल लौट आए| 

फिर सवा सात बजे एक ऑटो रिजर्व करके सबसे पहले महाकाल मंदिर से करीब 6-7 किलोमीटर की दूरी परमौजूद संदीपनी आश्रम, फिर मंगलनाथ और उसके बाद काल भैरव फिर  गढ़कालिका मंदिर और सबसे बाद में भर्तृहरि गुफा घूमे| सुबह  9.30 AM बजे तक ये सब घूम चुके थे| इसके लिए ऑटो को ₹450 देने पड़े| हालांकि, ऑटो वाले ने इन जगहों पर घूमाने के लिए ₹500 की मांग की थी। 

सांदीपनि आश्रम: महाकाल और फिर क्षिप्रा नदी और हरसिद्धी मंदिर के दर्शन के बाद हमलोग सांदीपनि आश्रम पहुंचे।  भगवान श्री कृष्ण और सुदामा के गुरु सांदीपनि का आश्रम मंगलनाथ रोड पर स्थित हे। उज्जैन में स्थित इस सांदीपनि आश्रम के बारे में कहा जाता है कि यहां  भगवान श्री कृष्ण और उनके दोस्त सुदामा के साथ बलराम ने शिक्षा प्राप्त की थी। उन्होंने यहां शिक्षा 126 दिनों में ही प्राप्त कर ली थी। 








कहते हैं कि भगवान श्री कृष्ण ने यहां 64 विद्याएं और 16 कलाओं का ज्ञान लिया था। अपने मामा कंस का वध करने के बाद कृष्ण जी ने बाबा महाकालेश्वर की नगरी अवंतिका में आने के बाद 64 दिनों तक रुककर शिक्षा प्राप्त की थी। उज्जैन स्टेशन से यह 6 किलोमीटर दूर है। आश्रम में कुंडेश्वर और सर्वेश्वर महादेव मंदिर भी है। इसके अलावा, भगवान श्री कृष्ण द्वारा सीखी गई चौदह विद्याओं का कला दीर्घा भी है। 

इन चौदह विद्याओं में शामिल है- चार वेद ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद और दस वेदांग शिक्षा, छन्द, व्याकरण, निरुक्त, ज्योतिष, कल्प, धर्मशास्त्र, पुराण, मीमांसा और तर्क। 

महाभारत, श्रीमद् भागवत, ब्रह्मपुराण, अग्निपुराण और ब्रह्मवैवर्तपुराण में सांदीपनि आश्रम का उल्लेख मिलता है। इस क्षेत्र में पुरातात्विक प्रमाण के रूप में तीन हजार वर्ष पुराने चित्रित धूसर पात्र मिलते हैं, जिनका संबंध महाभारत काल से माना जा सकता है। ये पात्र हस्तिनापुर, इन्द्रप्रस्थ, मथुरा, अहिच्छत्रा और कौशांबी से प्राप्त अवशेषों से साम्य रखते हैं। इन प्रमाणों से स्पष्ट है कि नगर का यह क्षेत्र सबसे अधिक प्राचीन है। आश्रम का प्राचीन जलस्रोत गोमती कुण्ड है, जिसका पुराणों में भी उल्लेख मिलता है। कुण्ड के पास खड़े नन्दी की प्रतिमा दर्शनीय है, जो शुंगकालीन है। निकट का क्षेत्र अंकपात कहलाता है। जनश्रुति के आधार पर कृष्ण अपने अंकलेखन की पट्टिका यहां साफ करते थे। सोलहवीं शताब्दी के आरंभ में इस आश्रम के पास वैष्णव संप्रदाय के महान आचार्य श्री वल्लभाचार्य ने धार्मिक प्रवचन किया था। 

मंगलनाथ का मंदिर:  सांदीपनि आश्रम के बाद हमलोग मंगलनाथ मंदिर पहुंचे। सांदीपनि  सांदीपनि आश्रम या अंकपात से कुछ ही दूरी पर मंगलनाथ का मंदिर एक टीले पर है। इसके बगल से क्षिप्रा नदी बहती है। मत्स्यपुराण में लिखा है कि मंगलग्रह का जन्मभूमि उज्जयिनी है। यह पावनस्थली मंगल ग्रह का उत्पत्ति स्थल माना गया है। ऐसा मालूम होता है कि प्राचीन काल में मंगल ग्रह यहां निकट से देखा जाता था। अध्ययन के लिए भी यह महत्वपूर्ण स्थान रहा होगा। मंगलवार को श्रद्धालू इस मंदिर में काफी संख्या में जमा होते हैं। यह शहर के संरक्षक देवता महादेव को समर्पित है। यह मंदिर मगल दोष निवारण भात पूजा के लिए प्रसिद्ध है।








मंगलनाथ मंदिर महादेव को समर्पित है क्योंकि पौराणिक कथाओं के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि एक राक्षस से युद्ध करते समय महादेव के पसीने की एक बूंद यहां गिरी थी  और इससे शिवलिंग और मंदिर का निर्माण हुआ जहां से मंगल ग्रह का जन्म हुआ, इसलिए उज्जैन शहर को महादेव की नगरी के रूप में भी जाना जाता है।

ऐसा माना जाता है कि मंदिर में भात पूजा का भी महत्व है क्योंकि मंगल ग्रह से परावर्तित किरणें यहां पड़ती हैं, कर्क रेखा भी इस स्थान से गुजरती है, मंगल से संबंधित कुंडली दोषों  के समाधान के लिए भात पूजा मंगलनाथ मंदिर उज्जैन में महत्वपूर्ण महत्व रखती है।

पुराणों में दावा किया गया है कि मंगल ग्रह पृथ्वी की संतान है। दूसरे शब्दों में, मंगल एक ऐसा ग्रह है जो पृथ्वी से विकसित हुआ है। हिंदू मिथकों के अनुसार, भगवान शिव के पिघलने से मंगला का निर्माण हुआ।

मंगलनाथ मंदिर में अलग अलग पूजा का चार्ज- 
भातपूजन (सामान्य): 1250 रु.
भातपूजन (नवग्रह): 2300 रु.
भातपूजन (पंचानकर्म): 5600 रु.
भातपूजन (जप): 12100 रु. 

मंगलनाथ मंदिर में मंगल ग्रह की माता श्री भुवनेश्वरी (पृथ्वी) माता का भी मंदिर है। कहा जाता है कि इनकी परिक्रमा से पृथ्वी की परिक्रमा का पुण्य मिलता है। 

काल भैरव मंदिर: मंगलनाथ मंदिर से कुछ ही दूरी पर काल भैरव मंदिर है। यह हिंदू मंदिर है । यह उज्जैन शहर के संरक्षक देवता काल भैरव को समर्पित है। क्षिप्रा नदी के तट पर स्थित , यह शहर के सबसे सक्रिय मंदिरों में से एक है। यहां हर रोज सैकड़ों भक्त आते हैं। शराब मंदिर के देवता को चढ़ाए जाने वाले प्रसाद में से एक है। लेकिन, मंदिर के बाहर शराब की खरीद-बिक्री करने कानूनन अपराध घोषित किया गया है। हालांकि, चोरी-चुपके यहां शराब की बिक्री होती है। मंदिर में चढ़ावा के तौर पर शराब स्वीकार नहीं की जाती है। 



अष्ट भैरव ("आठ भैरव ") की पूजा शैव परंपरा का एक हिस्सा है , और काल भैरव को उनका प्रमुख माना जाता है। काल भैरव की पूजा पारंपरिक रूप से कपालिक और अघोरा संप्रदायों के बीच लोकप्रिय थी, और  उज्जैन इन संप्रदायों का एक प्रमुख केंद्र था। 

काल भैरव उज्जैन के संरक्षक देवता हैं। उन्हें शहर का सेनापति (कमांडर-इन-चीफ या मुख्य जनरल) माना जाता है। वर्तमान मंदिर की संरचना एक पुराने मंदिर के अवशेषों पर बनाई गई थी। माना जाता है कि मूल मंदिर भद्रसेन नामक एक अज्ञात राजा द्वारा बनवाया गया था। इसका उल्लेख स्कंद पुराण के अवंति खंड में किया गया है। परमार काल (9वीं-13वीं शताब्दी ई.) से संबंधित शिव , पार्वती , विष्णु और गणेश की मूर्तियाँ इस स्थान से बरामद की गई हैं। मंदिर की दीवारों को कभी मालवा चित्रों से सजाया गया था । हालांकि, अब इन चित्रों के केवल निशान ही दिखाई देते हैं। 

वर्तमान मंदिर की संरचना मराठा प्रभाव को दर्शाती है। स्थानीय परंपरा के अनुसार, पानीपत की तीसरी लड़ाई  (1761 ई.) में मराठों की हार के बाद, मराठा सेनापति महादजी शिंदे ने उत्तर भारत में मराठा शासन को बहाल करने के अपने अभियान में जीत के लिए प्रार्थना करते हुए देवता को अपनी पगड़ी (पगड़ी) चढ़ाई। मराठा शक्ति को सफलतापूर्वक पुनर्जीवित करने के बाद, उन्होंने मंदिर का जीर्णोद्धार किया। 

गढ़कालिका मंदिर: कालभैरव मंदिर दर्शन करने के बाद हमलोग गढ़कालिका मंदिर गए। वहां पर नींबू शरबत पीकर थोड़ा तरोताजा हुए। गढ़कालिका मंदिर उज्जैन का एक और प्राचीन और प्रसिद्ध हिन्दू मंदिर है। कालभैरव मंदिर से  कुछ ही दूरी पर है यह गढ़कालिका मंदिर। यह मंदिर देवी कालिका को समर्पित है और इसे 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। यह मंदिर उज्जैन के कालीघाट पर स्थित है। मंदिर में देवी सती के होंठ गिरने की घटना से जुड़ा हुआ है, इसलिए इसे शक्तिपीठ के रूप में भी माना जाता है। उज्जैन का हरसिद्धी मंदिर भी 51 शक्तिपीठों में से एक है। प्रसिद्ध कवि और राजा विक्रमादित्य के नवरत्नों में से एक कालिदास भी इस मंदिर के उपासक थे। देवी गढ़कालिका को तंत्र देवी और महाकवि कालिदास की इष्ट देवी माना जाता है। मंके सामने सुंदर काले पत्थर की दीपों की श्रृंखला भी है। 


गढ़कालिका देवी को पंवार वंश की कुलदेवी भी माना जाता है। इस मंदिर में उल्टा स्वास्तिक बनाया जाता है, और जब मनोकामना पूरी हो जाती है, तो इसे सीधा स्वास्तिक से बदल दिया जाता है।  मंदिर में नवरात्रि के दौरान विशेष पूजा होती है। मंदिर के आसपास अन्य धार्मिक स्थल भी हैं, जैसे कि महाकाल मंदिर। कह सकते हैं कि गढ़कालिका मंदिर एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है, जो देवी कालिका को समर्पित है और
 





कालिदास जैसे प्रसिद्ध लोगों से जुड़ा हुआ है। 


भर्तृहरि गुफा: गढ़कालिका मंदिर के बाद हमलोग वहां से कुछ ही दूरी पर स्थित भर्तृहरि गुफा पहुंचे। वहां पर एक गौशाला भी है, जहां पर श्रद्धालू गायों को चारा खिलाकर पुण्य कमाते हैं। गुफा में जाने के लिए सड़क से नीचे सीढि़यां बनी हुई है। 







क्षिप्रा तट के ऊपरी भाग में भर्तृहरि की गुफा है। एक संकरे रास्ते से गुफा के अंदर जाना पड़ता है। कहते हैं गुफा से चारों धाम जाने के लिए मार्ग है, जो अब बंद है। यह नाथ संप्रदाय के साधुओं का प्रिय स्थान है और योग साधना के लिए उत्तम माना जाता है। कई साधु यहां बरसों से साधना करते हुए देखे जा सकते हैं। यह स्‍थान गढ़कालिका मंदिर के पास स्थित है। इन गुफाओं के बारे में कहा जाता है कि यहीं पर भर्तृहरी रहा करते थे और तपस्‍या करते थे। भर्तृहरी ने इस गुफा में 12 वर्षों तक कठोर तपस्या की। ऐसा माना जाता है कि कठोर तपस्या से उन्होंने इतनी सिद्धी प्राप्त कर ली कि अपने शरीर को सुक्ष्म और वायु समान हल्का बनाकर कभी हरिद्वार, कभी उज्जैन इत्यादि गुफा स्थानों पर प्रकट हो जाते थे और कभी दोनों स्थानों पर एक साथ प्रकट हो जाते थे। 

ऐसा माना जाता है कि राजा विक्रमाादित्य के सौतेले भाई भर्तृहरि ने अपनी पत्नी पिंगला की मृत्यु के बाद इसी स्थान पर निवास और साधना की थी।  भर्तृहरी महान विद्वान और कवि थे। उनके द्वारा रचित कुछ अमरकृतियां का नाम आप भी जा लीजिए- 1) सुभाषितत्रिसती (श्रृगांरशतक, वैराग्‍यशतक और नीतिशतक) बहुत प्रसिद्ध हैं। 2) वाक्यपदीयम् (तीन काण्ड) 3) वाक्यपदीय टीका (1-2 काण्ड) 4) महाभाष्यदीपिका (महाभाष्य टीका) 5) मीमासाभाष्य 6) वेदान्तसूत्रवृत्ति 7) शब्दधातुसमीक्षा आदि।  इनका संस्‍कृत साहित्‍य में बहुत ऊंचा स्‍थान है। भर्तृहरि की गुफा ग्यारहवीं सदी के एक मंदिर का अवशेष है, जिसका उत्तरवर्ती दोर में जीर्णोध्दार होता रहा।

महाकालेश्वर (उज्जैन) से ओंकारेश्वर का सफर:

इस तरह से 26 मई को सुबह साढ़े नौ बजे तक इन सब जगहों पर हमलोग घूमने के बाद अपने होटल पहुंचे। होटल छोड़ा और होटल के पास ही एक टुर और ट्रैवल्स वाले के पास जाकर सीधे ओंकारेश्वर के लिए शेयरिंग टैक्सी में तीन सीट बुक करवाया। इसके लिए प्रति व्यक्ति 300 रु. किराया चुकाना पड़ा। करीब आधे घंटे के इंतजार के बाद टैक्सी हमारे होटल के पास ही आई। टैक्सी को कुछ देर कुछ और सवारी के लिए इंतजार करना पड़ा। कुल मिलाकर सुबह 11 बजे हमलोग हमारी टैक्सी ओंकारेशन के लिए चल पड़ी। उज्जैन से ओंकारेश्वर करीब 150 किलोमीटर है। उज्जैन से सीधे टैक्सी से ओंकारेश्वर जाने में करीब चार घंटा लगता है। हमलोग तीन बजे ओंकारेश्वर पहुंचे।  




आप इंदौर होकर भी ओंकारेश्वर जा सकते हैं। लेकिन, इंदौर होकर जाने में समय ज्यादा लग जाता है। 


शेयरिंग टैक्सी ने ओंकारेश्वर में जिस जगह पर हमलोगों को उतारी थी, वहां से नर्मदा नदी का सबसे नजदीकी घाट महज 500 मीटर की दूरी पर था। इसी घाट से ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग और ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग सबसे नजदीक है। 

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग और ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग को नर्मदा नदी बांटती है। नर्मदा नदी के एक छोर पर ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग है, जबकि दूसरे छोर पर ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग। जब ओंकारेश्वर पहुंचेगे, तो जिस तरफ  ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग है, उस पर बस या टैक्सी आपको उतारेगी। 

तो, शाम को तीन बजे ओंकारेश्वर पहुंचकर हमलोगों ने धर्मशाला या होटल लेने से पहले नर्मदा नदी में स्नान करने चले गए। आपको बता दूं कि ओंकारेश्वर में ठहरने के लिए होटल ज्यादा नहीं हैं, लेकिन धर्मशाला बहुत मिल जाएंगे। 
ज्यादातर धर्मशाला ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग के पास नर्मदा नदी के तट पर है। काफी सस्ता धर्मशाला आपको मिल जाएगा। ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग के पास ठहरने के लिए धर्मशाला के साथ साथ खाने-पीने के लिए भी बहुत सारा होटल मिल जाएगा। 

नर्मदा में स्नान करके हमलोग दो-तीन घंटा घाट पर ही बैठे रहे। जिस जगह पर हमलोग बैठे थे, ठीक उसके सामने नर्मदा नदी के उस पर ओंकारेश्वर मंदिर था।  

ममलेश्वर मंदिर से ओंकारेश्वर मंदिर जाने के लिए दो तरीके हैं। एक, या तो नाव से जाइये या फिर दूसरा,  झूला मार्ग यानी स्कॉय वॉक से पैदल। नाव वाला 50 रु. प्रति सवार लेता है। आप नाव से महज 5 मिनट में ममलेश्वर मंदिर की तरफ से ओंकारेश्वर मंदिर में पहुंच जाएंगे। हालांकि, नाव वाले नाव भरने तक इंतजार कराते हैं। सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक ही नाव की सेवा मिलती है। आप नर्मदा नदी में वोटिंग का भी आनंद ले सकते हैं। नाव वाला कुछ देर तक ओंकारेश्वर मंदिर के सामने कुछ दूरी तक वोटिंग कराता है। इसके लिए प्रति व्यक्ति किराया 300 रु. देना पड़ता है। 














अगर झूला मार्ग से ओंकारेश्वर मंदिर से जाना चाहेंगे, तो पैदल 15-20 मिनट में ओंकारेश्वर मंदिर पहुंच जाएंगे। अगर नाव से ओंकारेश्वर मंदिर जाते हैं, तो नर्मदा नदी से आसपास का नजारा देखने को मिलेगा और अगर झूला मार्ग से जाते हैं तो नर्मदा नदी के ऊपर से आसपास का नजारा आप देख सकेंगे। झूला मार्ग हमेशा खुला रहता है। झूला मार्ग को ही ममलेश्वर सेतू कहा जाता है। सिंहस्थ मेला 2004 के अवसर पर श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए ममलेश्वर सेतु का निर्माण नर्मदा हाइड्रोइलेक्ट्रिक डेवेलपमेंट कॉर्पोरेशन यानी एनएचडीसी द्वारा कराया गया था। इसकी लंबाई 235 मीटर, चौड़ाई 4 मीटर पैदल रास्ता, बायें टॉवर की ऊंचाई 29.5 मीटर, दायें टॉवर की ऊंचाई 39.75 मीटर है। झूला मार्ग से नर्मदी नदी और आसपाास का इलाका काफी खूबसूरत दिखता है। 

नर्मदा नदी घाट पर स्नान करने के बाद महिलाओं के लिए कपड़ा बदलने का रूम बना हुआ है। नर्मदा नदी में स्नान करते समय सतर्क रहें। कभी भी पानी के साथ मजाक मत करें। मैं अपनी आंखों से 8-10 लोगों को लापरवाही की वजह से नर्मदा नदी में डूबते देखा। हालांकि स्थानीय लोगों की कोशिशों ने उन्हें डुबने से बचाया। 






किराए का ताला-

शाम को सात-आठ बजे घाट के करीब हमलोगों ने घाट के ही करीब गोमुख घाट मार्ग पर स्थित श्री रेखा गुर्जर धर्मशाला में कमरा लिया। धर्मशाला काफी अच्छा है। यहां हमलोग दो रात रुके। इसके लिए हमोलोगों ने महज 600 रु. का भुगतान किया। 

इस धर्मशाला की एक बात मुझे काफी अजीबोगरीब लगी। धर्मशाला में 42 कमरे हैं। हर कमरे के ताले तो अलग अलग हैं, लेकिन सब की चाबी एक ही है। जब हम कमरा में सामान रखकर ठहरने के लिए गए, तो कमरा खुला था। तो हमलोग कमरे में चले गए। कुछ देर के बाद हमलोगों को खाना खाने के लिए बाहर जाना था। ताला तो कमरा दरवाजे पर लटक रहा था, लेकिन चाबी नहीं थी। फिर मैंने धर्मशाला के मैनेजर से कमरे की चाबी मांगी, तो उन्होंने जो कहा वो सुनकर मैं हैरान रह गया। आप भी हैरान रह जाएंगे। मैनेजर ने कहा कि धर्मशाला के सभी ताले की एक ही चाबी है। इसलिए आपको अपने कमरे के लिए अलग से ताला लाना होगा। मैंने कहा कि ताला कहां से लाऊं। मैनेजर ने कहा कि घर्मशाला के सामने ही परचुन की दुकान है। वह किराए पर ताला देता है। किराए के ताला के लिए वह दुकानदार 50 रु. लेता है और ताला जमा करने के बाद 10 रु. काटकर 40 रु. वापस कर देता है। यानी किराए के ताले के बारे में मुझे पता चला। 

रात 9-10 बजे घर्मशाला के पास के ही एक होटल में हमलोगों ने खाना खाया। खाना सादा और काफी अच्छा था। खाना खाकर धर्मशाला आकर हमलोग सो गए।  

27 मई को क्या हुआ:
सुबह सुबह 5 बजे उठकर नहा - धोकर सबसे पहले नर्मदा घाट पर गए। वहां सुबह सुबह का नजारा देखा। फिर झूला मार्ग से ओंकारेश्वर मंदिर में दर्शन केलिए निकल पड़े। जिस धर्मशाला में हमलोग ठहरे हुए थे, झूला मार्ग वहीं से शुरू होता है और ममलेश्वर मंदिर भी उसी जगह पर है। 

झूला मार्ग से गुजरते समय नर्मदा नदी और आसपास का नजारा देखकम मन खुश हो गया। करीब 15 मिनट में हमलोग ओंकारेश्वर मंदिर के प्रवेश द्वार पर पहुंच चुके थे। डेढ़ घंटे में ज्योतिर्लिंग का बहुत अच्छे से दर्शन हुआ। 

ओंकारेश्वर मंदिर में दर्शन करने के बाद ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग का दर्शन किए। यहां आधे घंटे में दर्शन हो गए। करीब सुबह 9 बजे तक दोनों मंदिरों के अच्छे से दर्शन हो गए। 10 बजे हमलोग धर्मशाला में आकर आराम किए। फिर, दोपहर का खाना खाया। और फिर धर्मशाला में आकर अगले दिन यानी 28 मई को इंदौर होते हुए वापस अपने घर नालासोपारा आने की तैयारी करने में जुट गए। 

28 मई को क्या हुआ: 
28 मई को हमारे घर नालासोपारा से सटे स्टेशन वसई रोड के लिए इंदौर से सुबह सवा 11 बजे ट्रेन थी। ओंकारेश्वर से इंदौर करीब 80 किलोमीटर है। ओंकारेश्वर से बस या टैक्सी के जरिये खंडवा रोड, जिसमें  खूबसूरत और घुमावदार भेरू घाट भी शामिल है, से होते हुए इंदौर स्टेशन करीब ढाई घंटे में पहुंचा जा सकता है। तो, ओंकारेश्वर - ममलेश्वर में हमारा दर्शन और सैर-सपाटा 27 मई की शाम को खत्म हो चुका था और  28 मई को सुबह साढ़े पांच बजे की इंदौर जाने वाली पहली बस से हमें निकलना था। इसके लिए 28 मई को सुबह साढ़े चार - पांच बजे तक धर्मशाला छोड़ देना था और बस स्टैंड में जाकर इंदौर जाने वाली पहली बस में बैठ जाना था।

लेकिन, सुबह तीन बजे से ही तेज हवाओं के साथ भारी बारिश शुरू हो गई। बारिश थमने का नाम नहीं ले रही थी। सुबह के चार बज गए फिर पांच भी बज गए, लेकिन बारिश मानों धीमी होने या रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी। उधर, हमलोगों को हर हाल में इंदौर के लिए निकलना था। बारिश जब ना तो रुकी और ना ही धीमी हुई, तो हमलोगों ने सवा पांच-साढ़े पांच बजे  धर्मशाला छोड़ दिया और तेज बारिश में ही बस पकड़ने के लिए बस स्टैंड की तरफ निकल पड़े।

धर्मशाला से बस स्टैंड करीब एक-डेढ़ किलोमीटर दूर है। हालांकि, सुबह 5 बजे से ओंकारेश्वर में ऑटो सेवा शुरू हो जाती है। लेकिन, भारी बारिश की वजह से उस सुबह ऑटो वाले कहीं दिख नहीं रहे थे। ये अच्छी बात थी कि हमलोगों ने अपने पास छाता रख लिया था। पैदल बस स्टैंड तक पहुंचने में मुश्किल से 15 मिनट लगे होंगे। 

जैसे जैसे हम बस के करीब पहुंच रहे थे, वैसे वैसे बारिश की रफ्तार भी कम हो रही थी।  इस तरह से ओंकारेश्वर से इंदौर की साढ़े पांच की पहली बस तो नहीं मिली, लेकिन छह बजे वाली दूसरी बस जरूर मिल गई। हमलोग साढ़े आठ बजे सुबह तक इंदौर रेलवे स्टेशन पहुंच चुके थे और हमारी ट्रेन सुबह सवा ग्यारह बजे थी। इंदौर में सरवटे बस अड्डे पर हमारी बस रुकी। बस अड्डे पर उतरते ही हमलोगों ने सबसे पहले नास्ता किया।  सरवटे बस अड्डा से महज 10 मिनट की दूरी पर इंदौर रेलवे जंक्शन है। ओकारेश्वर से इंदौर के लिए बस वाले ने प्रति व्यक्ति 140 रु. भाड़ा लिया। 

इंदौर में हमारी ट्रेन समय पर थी। ट्रेन सुबह सवा ग्यारह बजे खुली और रात को साढ़े ग्यारह बजे नालासोपारा से सटे वसई रोड़ स्टेशन पर पहुंचकर रुकी। वसई रोड स्टेशन पर हमलोग विरार लोकल ट्रेन पकड़ कर अगले स्टेशन नालासोपारा पहुंचे। यहां उतरकर पैदल ही रात 12 बजे अपने घर पहुंचे। 

तो, इस तरह महाकालेश्वर- ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग का हमारा दर्शननामा और सफरनामा सफलतापूर्वक समाप्त हुआ। 

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-सिद्धिविनायक मंदिर, सिद्धटेक, अष्टविनायक, अहमदनगर, Siddhivinayak Temple,Siddhatek, Ashtavinayak Ahmednagar

-मयुरेश्वर मंदिर, अष्टविनायक, मोरगांव, पुणे, Mayureshwar, Morgaon, Ashtavinayak, Pune

-जलकुंभी पर जलते  तैरते दीये, आलंदी, Jalakumbhee Par Jalte Tairte Deeye, Alandi    

-संत ज्ञानेश्वर समाधि मंदिर,आलंदी, Sant Dnyaneshwar Samadhi Mandir, Alandi

-संत तुकाराम समाधि मंदिर, देहू, Sant Tukaram Samadhi Mandir, Dehu

-संत तुकाराम मुख्य मंदिर,  देहू, Sant Tukaram Maharaj Mukhya Mandir,Dehu  

-अष्टविनायक, वरदविनायक मंदिर,महड, Ashtvinayaka, Varadavinayak Temple, Mahad, Raigad

-मालशेज घाट, महाराष्ट्र, टूरिस्ट, रंगारंग इंडिया, Malshej Ghat, Maharashtra, Tourist Attraction, RangaRang India

-अष्टविनायक, बल्लालेश्वर मंदिर,पाली, रायगड, Ashtavinayaka, Ballaleshwar Temple,Pali, Raigad

-अष्टविनायक दर्शन करके मालशेज घाट में भोजन...मतलब, आनंद ही आनंद 

-अजुबा अजंता गुफा (मराठी में-अजिंठा लेणी), अद्भुत औरंगाबाद के सफर का आनंद

-बाबा साहब को औरंगाबाद में कॉलेज बनाने के लिए जमीन किसने दी? 

-औरंगाबाद की पन चक्की ( Water Mill); इंजीनियरिंग का बेजोड़ नमूना

-अजुबा अजंता गुफा (मराठी में-अजिंठा लेणी); Ajanta, Tourist Attraction, RangaRang India 

-कुंभेरेश्वर महादेव मंदिर, पडघा, ठाणे, महाराष्ट्र

-ग्रेट अन्नपूर्णा, गेस्ट हाउस, लॉजिंग, बोर्डिंग, खुलताबाद, औरंगाबाद, एलोरा, महाराष्ट्र

-खुलताबाद से दौलताबाद (देवगिरि), औरंगाबाद, महाराष्ट्र

-दौलताबाद (देवगिरि) किला, औरंगाबाद, महाराष्ट्र, रंगारंग इंडिया

-श्रीमंत छत्रपति शिवाजी महाराज संग्रहालय, औरंगाबाद, महाराष्ट्र, रंगारंग इंडिया

-बीबी का मकबरा, दक्कन का ताज, औरंगाबाद, महाराष्ट्र, रंगारंग इंडिया

-दौलताबाद के दुलारे, औरंगाबाद, महाराष्ट्र, रंगारंग इंडिया

-पेड़ एक, जड़ अनेक, खुलताबाद, औरंगाबाद, महाराष्ट्र, रंगारंग इंडिया

-अजंता के 'आतंक'!

-अजंता के पास सतपुड़ा पर्वत श्रृंखला, औरंगाबाद, महाराष्ट्र, रंगारंग इंडिया

-घृष्णेश्वर मन्दिर, ज्योतिर्लिंग, एलोरा, औरंगाबाद, महाराष्ट्र, रंगारंग इंडिया

-शनि मंदिर, वाघोली, नालासोपारा, महाराष्ट्र, रंगारंग इंडिया, टूरिज्म

-निर्मल, शंकराचार्य समाधि मंदिर, हनुमान मंदिर, चर्च, नालासोपारा, पालघर, महाराष्ट्र, रंगारंग इंडिया 

-शंकराचार्य समाधि मंदिर, निर्मल, नालासोपारा, महाराष्ट्र

सुगन्धित, स्वादिष्ट, स्वस्थ, स्वच्छ, सुरम्य साईनगरी शिर्डी का सफरनामा

-साईनगरी शिर्डी का सौंदर्य देखिये;  Shirdi, Maharashtra, Tourist Attraction, RangaRang India

-शिर्डी में ऑस्ट्रेलिया का ऐमू देखना मत भूलें, Tourist Attraction, Maharashtra, RangaRang India

-शुभारंभ शिर्डी, Shirdi Ki Subah, Tourist Attraction, Maharashtra, RangaRang India

-Sai Shayan Aarti@11.00 PM, Shirdi, Tourist Attraction, Maharashtra, RangaRang India

-Sai Temple, Shirdi at Night, Tourist Attraction, Maharashtra

-Santosi Mata Temple, Ashagad, Dahanu

-Chamunda devi Temple, Safale

-Shitla Devi Mata Temple, Kelve

-Mahakali Mandir-Vadrai, Kelve

-Mahikavti Mandir, Kelve 

-Khamjai Mata Mandir, Shirgaon

-Tulja Bhawani Temple,Kaner Fata, Virar

-मजा आ गया! 9 अलग अलग मंदिरों के दर्शन,15 घंटे, 365 कि.मी, ₹900,35अजनबी 

Beautiful Sahyadri Mountain Range In Palghar, Maharashtra

Navratri, Dahanu Mahalaxmi Mandir, Tourist Attraction, RangaRangIndia

Navratri, Vajreshwari Temple, Tourist Attraction, Bhiwandi, Thane, RangaRangIndia

Mumbai-Ahmedabad Highway, Tourist Attraction, Virar-Dahanu, RangaRangIndia

बिहार के बांका स्थित मंदार पर्वत का धार्मिक, सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, प्राकृतिक महत्व, यहां सैर-सपाटे का कैसे उठाएं आनंद

बिहार का बांका सैलानियों के लिए बना और शानदार, रोपवे से करें  खूबसूरत वादियों का दीदार 

India gets its 40th World Heritage Site

भारत के 40वें स्थल को विश्व धरोहर स्थल का दर्जा मिला

भारत को अपना 39वां विश्व धरोहर स्थल प्राप्त हुआ

-नालासोपारा पश्चिम के इस भगवान महादेव की दिलचस्प कहानी 

>सिंहगढ़ किला, पुणे: ट्रैकिंग के साथ साथ इतिहास पर गर्व करने वाली जगह

(जीवदानी मंदिर के ऊपर से आसपास के इलाकों के खूबसूरत नजारे 
(जीवदानी मंदिर के ऊपर से आसपास के इलाकों के खूबसूरत नजारे 
((जीवदानी मंदिर (विरार, महाराष्ट्र) के पिंजड़े के चहकते परिंदे
((जीवदानी मंदिर परिसर स्थित महाकाली मंदिर, काल भैरव मंदिर
((श्री वारोंडा देवी.  जीवदानी मंदिर (विरार, महाराष्ट्र) 
((जीवदानी मंदिर, विरार (पूर्व), महाराष्ट्र; Jivadani Mandir, Virar (East), Maharashtra
(शानदार और यादगार ट्रिप: अक्कलकोट- गाणगापुर-सोलापुर- तुलजापुर-सिद्देश्वर-पंढरपुर-मिनी तिरुपति
(शिवयोगी सिद्धेश्वर मंदिर (अंदर से); Shivyogi Siddheshwar Mandir, Solapur, Maharashtra
(शिवयोगी सिद्धेश्वर मंदिर, सोलापुर, महाराष्ट्र (बाहर से); Shivyogi Siddheshwar Mandir, Solapur, Maharashtra
(श्री विट्ठल रुक्मिणी मंदिर: Shri Vittal Rukmini Mandir, Pandharpur, Maharashtra
(श्री भैरवनाथ मंदिर, दौंडज, कदमबस्ती, पुणे; Shri BhairavNath Mandir, Daundaj, Pune
(शिवयोगी सिद्देश्वर मंदिर रेप्लिका, सोलापुर; Shivyogi Siddheshwar Temple Replica, Solapur 
(तुलजा भवानी मंदिर, तुलजापुर, उस्मानाबाद, महाराष्ट्र ; Tulja Bhavani Mandir, Tuljapur, Maharashtra
(श्री शिवयोगी सिद्देश्वर मंदिर (सोलापुर) के बारे में क्या कहते हैं श्रद्धालु
(भक्त निवास, अक्कलकोट, महाराष्ट्र; Bhakt Niwas, Akkalkot, Maharashtra
((श्री स्वामी समर्थ मंदिर, अक्कलकोट,  Shri Swami Samarth Temple, Akkalkot
(श्री दत्तात्रेय भगवान का मंदिर, गाणगापुर, Shri Duttatreya Temple, Ganagapur, Kalburgi, Karnataka
( इच्छापूर्ति औदुंबर वृक्ष, गाणगापुर,  Holy Audumbar Tree, Ganagapur, Kalburgi, Karnatka
((भीमा-अमरजा संगम, गाणगापुर, कर्नाटक Prayagraj of Ganagapur, Kalburgi, Karnataka
(Nehru Centre, Worli, Mumbai (नेहरू सेंटर, वर्ली, मुंबई); क्या देखें, कैसे पहुंचें 
(कबड्डी खिलाड़ियों को भी भाता है Akloli (अकलोली) का गर्म पानी का कुंड
(सैलानियों को क्यों पसंद है Akloli (अकलोली) 
(Mumba Devi Mandir, Mumbai; मुंबा देवी मंदिर, मुंबई
(Akloli Hot Springs, Vajreshwari, Maharashtra; What Local People says)
(Vajreshwari Mandir, Vasai, Palghar, Maharashtra
(How to save yourself, family, flat from fire
(Rajodi Beach, Nalasopara, Maharashtra
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((Gateway Of India on Sunday Morning
((The Fishing Community of Arnala Bunder, Virar, Maharashtra
((Arnala Fort: Attarctive Tourist Spot: How to reach
((Nasik to Igatpuri; Everywhere Greenary
((Kasara to Karjat, Maharashtra; See Beauty of Nature
((Igatpuri Station, Maharashtra
(Patna Junction, Bihar, India
(Rice Fields of Bihar
(Gaya Railway Junction, Bihar, India
((Bodh stupa, Nalasopara (west), Maharashtra
(Village of Freedom Fighters, ignored by Govt Part 3; Amokhar, Bihar
(Village of Freedom Fighters, ignored by Govt Part 2; Amokhar, Bihar
(Village of Freedom Fighters, ignored by Govt Part 1; Amokhar, Bihar
(Girgaon Beach, Mumbai in Evening: गिरगांव चौपाटी, मुंबई शाम का नजारा 
(Antilia, Mumbai: एंटीलिया, मुंबई
((Jaslok Hospital, Mumbai: जसलोक अस्पताल, मुंबई
(Girgaum Chowpatty, Mumbai@7pm, गिरगांव चौपाटी, मुंबई
((Pachu Bandar, Vasai, Maharashtra, पाचू बंदर, वसई, महाराष्ट्र
((Chimaji Appa Memorial, Vasai; चिमाजी अप्पा स्मारक, वसई, महाराष्ट्र
((Vasai Court, Maharashtra; वसई कोर्ट, महाराष्ट्र
((Vasai station to Vasai Court & Vasai Fort by Auto; वसई स्टेशन से वसई फोर्ट और वसई फोर्ट ऑटो से)
((Vasai Fort, Maharashtra; वसई किला, महाराष्ट्र
((Vasai Road Station (BSR);वसई रोड स्टेशन 



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5-अमीर बनने की ख्वाहिश हममें से हर किसी की होती है, लेकिन इसके लिए लोगों को पैसे से पैसा बनाने की कला तो आनी चाहिए। कैसे आएगी ये कला, पढ़िये - 'आपका पैसा, आप संभालें' - 
6-इंसान के पास संसाधन या मार्गदर्शन हो या ना हो, सपने जरूर होने चाहिए। सिर्फ सपने के सहारे भी कामयाब होने वालों की दुनिया में कमी नहीं है। - 'जब सपने बन जाते हैं मार्गदर्शक' -
7-बेटियों को बहादुर बनने दीजिए और बनाइये, ये समय की मांग है,  "बेटी तुम बहादुर ही बनना " -
8 -अपनी हाउसिंग सोसायटी को जर्जर से जन्नत बनाने के लिए पढ़ें,  डेढ़ साल बेमिसाल -

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